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Monday, 18 November, 2024
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महिला वकील के साथ ‘शर्मनाक हरकत’ को लेकर पंजाब के महाधिवक्ता निशाने पर, विपक्ष ने की जांच की मांग

राज्यपाल को लिखे पत्र में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने एजी विनोद घई के कथित कदाचार का सिलसिलेवार विवरण देते हुए, महिला के परिवार द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो का हवाला दिया और उन्हें पद से हटाने को कहा.

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चंडीगढ़: पंजाब के महाधिवक्ता (एजी) विनोद घई सोमवार को उस समय मुश्किल में पड़ गए जब विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने उनके साथ काम करने वाली एक महिला वकील को कथित रूप से “नीचा दिखाने” और “प्राधिकार के घोर दुरुपयोग” में शामिल होने के लिए उनके खिलाफ जांच की मांग की. .

पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को लिखे अपने पत्र में – रविवार को महिला वकील के परिवार द्वारा जारी एक वीडियो के बाद भेजा गया – बाजवा ने घई को एजी के पद से हटाने की भी मांग की.

अपने पत्र में, जिसकी एक प्रति बाजवा ने ट्वीट की, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने YouTube पर पोस्ट किए गए वीडियो का उल्लेख किया जिसमें एक महिला अपनी बहन के बारे में घई के आचरण के बारे में बता रही है, जो घई के साथ पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में वकील भी हैं और उनके साथ काम कर रहे हैं.

अपने पत्र में बाजवा ने कहा, “यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि कल यूट्यूब पर एक वीडियो सामने आया जिसमें एक वकील सुश्री …. ( महिला वकील का नाम दिप्रिंट नहीं चलाएगा) ने महाधिवक्ता, विनोद घई, पंजाब के आचरण के बारे में उनके सहयोगी वकील, जो सुश्री की सगी बहन हैं, के आचरण के बारे में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं.

बाजवा ने लिखा, “वीडियो में बोले जा रहे तथ्य, यदि सत्य हैं तो यह अक्षम्य हैं. ये तथ्य केवल अपराधों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि एक महिला के खिलाफ उसके माता-पिता, बहन और भाई को डराने-धमकाने के सभी प्रकार के शर्मनाक कृत्यों को शामिल करने वाले अधिकार के दुरुपयोग भी सीधे तौर पर शामिल हैं, ”

उन्होंने कहा कि वीडियो में महिला ने यह अंदेशा भी जताया कि उसे और उसके परिवार को झूठे मामलों में फंसाया जा सकता है यहां तक की दुर्घटना में भी मरवाया जा सकता है.

पत्र में यह भी लिखा है कि “वीडियो में यह विशेष रूप से कहा गया है कि पंजाब पुलिस महाधिवक्ता के अधीन होने के कारण परिवार को झूठे मामलों में फंसाकर सलाखों के पीछे डाल देगी. पंजाब के महाधिवक्ता विनोद घई के कदाचार को साबित करने के लिए इस वीडियो में कई स्क्रीनशॉट, ऑडियो और वीडियो क्लिप भी दिखाए गए हैं. ”

बाजवा ने कहा ,“अगर इस वीडियो में जो कहा गया है वह सही है, तो यह दर्शाता है कि महाधिवक्ता के संवैधानिक पद पर बैठे सरकार के सबसे वरिष्ठ पदाधिकारियों में से एक महिला के साथ इस तरह का व्यवहार कर रहा है. इस तरह के कृत्य को बिना जांच के जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, ”

“झूठे मामलों में निर्दोष व्यक्तियों को फंसाने के लिए पंजाब पुलिस का दुरुपयोग सर्वविदित है. इसके साथ ही पंजाब सरकार की लीगल टीम के मुखिया पंजाब के लोगों को न्याय दिलाने के बजाय इस तरह के गैरकानूनी कामों में लिप्त हैं और झूठे मामलों में निर्दोष व्यक्तियों को पंजाब पुलिस द्वारा राज्य के लोगों की रक्षा करने के बजाय फंसाया जा रहा है.इससे ज्यादा चौंकाने वाली बात और क्या हो सकती है?”

संपर्क करने पर, घई ने दिप्रिंट को बताया कि वह इस मामले पर कुछ नहीं कहना चाहते हैं और वह अदालत में हैं और काम कर रहे हैं.


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‘निष्पक्ष, त्वरित जांच समय की जरूरत’

पत्र में कहा गया है कि एजी और उनकी टीम “यह सुनिश्चित करने वाली है कि लोगों को न्याय मिले”, लेकिन आरोप लगाया कि घई खुद इस तरह के अपराधों के दोषी हैं.

बाजवा ने लिखा है कि “अगर पंजाब पुलिस इतनी निष्पक्ष होती, तो पुलिस महानिदेशक, पंजाब ने उस समय प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया होता, जब इस तरह का वीडियो सामने आया था, क्योंकि उनकी जानकारी में संज्ञेय अपराध लाए गए थे. लेकिन उनके द्वारा ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई जिससे साफ पता चलता है कि पंजाब पुलिस पर लगाए गए आरोप सही हैं.

उन्होंने घई को एजी के पद से हटाने का अनुरोध किया है और वीडियो में लगाए गए आरोपों की जांच की मांग की है.

उन्होंने लिखा, “क़ानून अंधा क़ानून है, यानी लेडी जस्टिस अपनी आंखों को ढककर निष्पक्षता का प्रतिनिधित्व करती है, इस आदर्श को मूर्त रूप देती है कि अभियुक्त व्यक्तियों की संपत्ति, शक्ति या स्थिति के बावजूद न्याय लागू किया जाना चाहिए.”

उन्होंने लिखा. “इसलिए, एडवोकेट जनरल, पंजाब के आचरण के संबंध में वीडियो में लगाए गए सभी आरोपों के नैतिक, कानूनी और सामाजिक निहितार्थों पर विचार करते हुए, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया उन्हें तत्काल प्रभाव से उनके पद से हटा दें और मामले की जांच का आदेश दें. उन पर इस तरह के आरोप लगाए गए हैं. वीडियो में लगाए गए आरोप स्पष्ट रूप से संज्ञेय अपराध हैं और इसलिए, ललिता कुमारी बनाम यूपी सरकार और अन्य मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य है.

बाजवा ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच के अनुरोध के साथ राज्यपाल पुरोहित को लिखे अपने पत्र को समाप्त किया “क्योंकि इस वीडियो में पंजाब पुलिस के आचरण को पहले ही स्पष्ट रूप से उजागर किया गया है और एक निष्पक्ष और त्वरित जांच समय की आवश्यकता है.”

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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