नई दिल्ली: यदि आप सोशल मीडिया के सक्रिय यूजर हैं, तो संभव है कि आपने दान के रूप में मदद मांगने वाले विज्ञापन देखे होंगे. कई बार यह विज्ञापन दिल दहलाने वाले होते हैं. हालांकि, हो सकता है कि यह विज्ञापन सच हो, लेकिन कई बार ये यूजर्स को परेशान कर देते हैं. साथ ही कई बार तो यूजर्स को यह भी लगता है कि अगर वह दान नहीं देते हैं तो यह गलत है जिसके कारण उन्हें गिल्ट महसूस होता है.
इस पर संज्ञान लेते हुए विज्ञापन उद्योग की स्व-नियामक संस्था भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) ने गुरुवार को ऐसे विज्ञापनों के लिए कुछ नियम जारी किए. नियम के मुताबिक अब ऐसे विज्ञापन ही दिए जाएंगे जो किसी चैरिटी को सपोर्ट ने करने पर आपको “शर्मिंदा” महसूस नहीं करा सकते. दिशानिर्देश 1 अगस्त से लागू हो जाएंगे.
ASCI ने अपने नए दिशानिर्देशों में कहा है, “यह बिल्कुल समझ में आता है कि चैरिटेबल ट्रस्ट अपने उद्देश्यों के लिए जागरूकता और धन जुटाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहते हैं. हालांकि, उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे यूजर्स को गुमराह करके या अनुचित संकट पैदा करके सीमा से आगे न बढ़ें.”
निकाय ने इस पर ध्यान दिया है कि हाल के वर्षों में चैरिटी एक सक्रिय विज्ञापनदाता रहे हैं, खासकर डिजिटल मीडिया पर. इनका मुख्य उद्देश्य अपने लाभार्थियों के लिए क्राउडफंडिंग के तहत धन प्राप्त करना रहा है.
इसमें कहा गया है, “हालांकि, उन विज्ञापनों के बारे में कुछ चिंताएं हैं जो तस्वीर का इस्तेमाल कर यूजर्स को असमंजस में डाल देते हैं. इस साथ ही इसमें ग्राफिक्स का भी इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, इस तरह के पोस्ट का इरादा निस्संदेह यूजर्स को दान देने के लिए किया जाता है, लेकिन वे आम यूजर्स के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं जो उस समय डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे होंगे.”
ASCI ने स्वीकार किया कि चैरिटी के लिए महत्वपूर्ण और संवेदनशील चीजों को समझाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. लेकिन इससे यूजर्स परेशान नहीं होंगे.
दिशानिर्देशों में कहा गया है, “किसी धर्मार्थ संगठन या दान के लिए क्राउडसोर्सिंग प्लेटफॉर्म के विज्ञापन में खुले तौर पर या स्पष्ट रूप से यह सुझाव नहीं दिया जाना चाहिए कि जो कोई भी उन्हें सपोर्ट नहीं करता है वह अपनी जिम्मेदारी नहीं पूरी कर रहा है और इसके लिए उसे शर्मिंदा महसूस करना चाहिए.”
इसके अलावा, विज्ञापनों में उन लोगों की गरिमा का अपमान नहीं किया जाना चाहिए जिनकी ओर से अपील की जा रही है, जिसमें संकट में पीड़ितों, विशेषकर बच्चों और नाबालिगों की ग्राफिक छवियां दिखाना भी शामिल है.
दिशानिर्देशों में आगे कहा गया है, “विज्ञापनदाता को लाभार्थियों की छवियों के उपयोग के लिए स्पष्ट सहमति का सबूत पेश करने में सक्षम होना चाहिए, अगर ऐसा करने के लिए कहा जाए.”
ASCI ने इस बात पर भी जोर दिया कि डिजिटल विज्ञापन में दिखाई गई तस्वीर जो सामान्य यूजर्स के लिए परेशानी का कारण बन सकती है, उसे धुंधला किया जाना चाहिए और केवल उन लोगों के लिए दृश्यमान होना चाहिए जो क्लिक करने और उसे अधिक जानने में रुचि रखते हैं.
इसमें कहा गया है, “जब किसी विशेष मामले या किसी विशेष लाभार्थी के लिए अपील की जाती है, तो विज्ञापन में यह खुलासा होना चाहिए कि क्या धनराशि का उपयोग संभावित रूप से अन्य उद्देश्यों या अन्य लाभार्थियों के लिए किया जा सकता है. विज्ञापनों को यूजर्स को गुमराह नहीं करना चाहिए कि उनका दान कहां और किसे जा रहा है.”
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि इसके अतिरिक्त, यदि कोई क्राउडसोर्सिंग प्लेटफॉर्म यूजर्स के द्वारा दिए गए धन में से अपने मैनेजमेंट और बाकी कामों के लिए अपना हिस्सा लेता है तो उन्हें विज्ञापन में ही स्पष्ट करना होगा कि वह राशि कितनी है.
(संपादन: ऋषभ राज)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: सरकार ने संसद में बताया- जून 2022 से ईंधन के दाम नहीं बदले लेकिन तेल के दामों में एक तिहाई गिरावट