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Friday, 22 November, 2024
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‘Adopt a Heritage 2.0’: स्मारकों का रखरखाव अब कॉरपोरेट्स के जिम्मे, ASI ने लॉन्च की नई पहल

एएसआई ने सोमवार को 2 अन्य पहल शुरू की जिसमें हेरिटेज साइट्स की जानकारी पर आधारित एक मोबाइल ऐप और एक-चरणीय ई- पर्मिशन पोर्टल शामिल है.

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नई दिल्ली: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने देश में 3,696 केंद्रीय संरक्षित स्मारकों के रखरखाव में कॉर्पोरेट भागीदारी बढ़ाने के मकसद से सोमवार को तीन नई पहल शुरू की हैं.

“एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0” नाम की यह योजना विभिन्न बुनियादी ढांचे, सेवा संपत्तियों के निर्माण, संचालन और रखरखाव से संबंधित हेरिटेज साइट्स के सामने आने वाली चुनौतियों को कम करेगी.

पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और एएसआई की ये नई रणनीति 2017 की एक पुरानी योजना को आगे बढ़ाती है- “एडॉप्ट ए हेरिटेज: अपनी धरोहर, अपनी पहचान”– जो विरासत स्थलों पर टूरिस्टों को बढ़ाने की दिशा में काम करेगी.

एएसआई के महानिदेशक प्रोफेसर किशोर बासा ने सोमवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में “एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0” के साथ-साथ भारतीय विरासत ऐप और ई-पर्मिशन पोर्टल लॉन्च किया.

बासा ने कहा, “विरासत सांस्कृतिक क्षेत्र में और नए भारत की इमेज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.”

संगठन में कर्मचारियों की कमी की कई सरकारी रिपोर्टों के बीच, उन्होंने स्वीकार किया कि हेरिटेज साइट्स का रखरखाव केवल एएसआई द्वारा नहीं किया जा सकता है.

नई योजना के तहत, एएसआई कंपनियों को स्मारकों में सुविधाओं में सुधार के लिए अपने कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) फंड का उपयोग करने के लिए आमंत्रित करेगा. बासा ने कहा, “नए प्रोग्राम का उद्देश्य टूरिस्टों के अनुभव को बढ़ाना और युवाओं और स्थानीय लोगों को हमारे समृद्ध विरासत स्थलों के बारे में शिक्षित करना है. यह आजीविका के मामले में भी स्थानीय लोगों को मजबूत करेगा.”

आईजीएनसीए में खचाखच भरे सभागार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “यह एएसआई के लिए एक क्रांतिकारी और युगांतकारी पल है और हमें स्मारकों के समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने का मौका देता है.”

इस दौरान संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने भारत की पहचान को आकार देने में सांस्कृतिक विरासत की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया. रेड्डी ने कहा, “मोदी जी ने भारत की विरासत को समृद्ध करने के लिए कई कदम उठाए हैं. उनका कहना है कि विरासत को सहेजने के लिए सार्वजनिक भागीदारी की ज़रूरत है. ये नए प्रयास इसे सुनिश्चित करेंगे और स्थानीय समुदायों को रोज़गार भी देंगे.”

एएसआई के अतिरिक्त महानिदेशक गुरमीत चावला ने तीन नए पहलों और 2017 की योजना को नया रूप देने के पीछे के कारण पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी.

यह पहली बार नहीं है कि भारत सरकार ने स्मारकों के रखरखाव के लिए कॉरपोरेट्स पर भरोसा किया है. 2011 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने राष्ट्रीय संस्कृति कोष का गठन किया और स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया जिसमें 120 स्मारकों और स्थलों की पहचान की गई थी.

Adopt a Heritage 2.0 ASI
एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0 कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी समेत एएसआई और संस्कृति मंत्रालय के अधिकारी | फोटो: एक्स /@ASIGoI

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योजना किस पर केंद्रित होगी?

एएसआई और संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय एक साल से अधिक समय से इस पहल पर काम कर रहा था. मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने कहा कि एएसआई के पास स्मारकों के उचित रखरखाव के लिए पर्याप्त लोग नहीं हैं.

उन्होंने कहा, “हमारे पास दुनिया के बेहतरीन स्मारक हैं, लेकिन प्रबंधन अच्छा नहीं है. दूसरी ओर, कई देशों में कम स्मारक हैं, लेकिन वो पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बहुत अच्छा काम कर रहे हैं.”

कार्यक्रम में सुविधाओं के प्रावधान के लिए कॉर्पोरेट्स को शामिल करने के लिए चार-आयामी रूपरेखा की परिकल्पना की गई है- “स्वच्छता”, “पहुंच”, “सुरक्षा” और “नॉलेज” शामिल है.

“स्वच्छता” में शौचालय, पीने का पानी, शिशु देखभाल कक्ष, कचरा प्रबंधन शामिल है जबकि “पहुंच-योग्यता” में रास्ते, साइनेज बॉर्ड, वाई-फाई सुविधा और पार्किंग शामिल हैं. “सुरक्षा” में प्राइमरी ट्रीटमेंट, सीसीटीवी, रोशनी और क्लॉक रूम हैं जबकि “नॉलेज” में व्याख्या केंद्र, कैफेटेरिया, लाइट-एंड-साउंड शो और एक्जीबिशन कियोस्क शामिल हैं.

प्रोग्राम में मौजूद विदेश एवं संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि पुरानी योजना की सभी कमियां अब दूर हो गई हैं. उन्होंने कहा, “लोग हेरिटेज का सम्मान करना नहीं जानते. यह हमारी विरासत और संस्कृति की रक्षा करने और उसे दोबारा हासिल करने का समय है और ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज’ हमारे खोए हुए विचारों को फिर हासिल करेगा.”

लेखी ने कहा कि विकास और विरासत साथ-साथ चलने चाहिए क्योंकि “केवल आर्थिक विकास से काम नहीं चलेगा”.

उन्होंने कहा, “सांस्कृतिक विकास भी समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. नई योजना से पर्यटन को फायदा होगा, जिससे हेरिटेज के साथ-साथ आर्थिक विकास दोनों को फायदा होगा.”

नए प्रोग्राम के तहत स्मारकों को अपनाने के लिए चयन प्रक्रिया को आसान बनाया गया है. मूल्यांकन चयनित सुविधाओं, कार्य योजना, दृष्टि योजना, कार्यान्वयन योजना, सीएसआर भागीदारों की साख और उनकी वित्तीय क्षमताओं पर आधारित होगा. एडीजी गुरमीत चावला ने कहा, “हम कॉरपोरेट्स की दीर्घकालिक सहभागिता चाहते हैं. इसकी प्रारंभिक अवधि पांच साल की होगी, जिसे अगले पांच साल का और विस्तार मिल सकता है.”


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भारतीय विरासत ऐप और ई-पर्मिशन पोर्टल

प्रोग्राम में एएसआई ने ‘इंडियन हेरिटेज मोबाइल ऐप’ भी लॉन्च की, जो एक यूजर-फ्रेंडली ऐप है जो भारत के स्मारकों के लिए राज्य-वार डिटेल्स, तस्वीरें, सार्वजनिक सुविधाओं की सूची, जियो-टैग्ड लोकेशन और नागरिक प्रतिक्रिया तंत्र की पेशकश के लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करता है. चावला ने कहा, “इसका उद्देश्य यूजर्स के अनुसार इंटरफेस और फीडबैक तंत्र प्रदान करना है, जिससे टूरिस्ट को और आसानी मिलेगी. इसे विभिन्न चरणों में लॉन्च किया जाएगा और पहले चरण में टिकट वाले स्मारकों पर काम किया जाएगा.”

एएसआई देश भर में विभिन्न ऐतिहासिक 3,696 स्मारकों का संरक्षक है. पर्यटन मंत्रालय की महानिदेशक मनीषा सक्सेना ने कहा, “एएसआई ने पूरी प्रक्रिया को आसान बना दिया है क्योंकि हेरिटेज हमारा एक जीवंत हिस्सा है…यह पहल इसे हासिल करने में मदद कर सकती है.”

केंद्रीय मंत्री रेड्डी ने भारत की विरासत को उन्नत तकनीक से जोड़ने के प्रयास की सराहना की और कहा कि अब कई तरह की अनुमतियां समय पर मिल पाएगी.

एएसआई ने सोमवार को एक और पहल ई-पर्मिशन पोर्टल की शुरुआत की जो विरासत स्मारकों पर फोटोग्राफी, फिल्मांकन और विकास परियोजनाओं से संबंधित अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करेगी.

चावला ने कहा, “इससे एक ही जगह पर हर तरह की अनुमति मिल सकेगी, जो व्यवस्था में पारदर्शिता लाएगा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए समयबद्ध मंजूरी प्रदान करेगा.”

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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