नई दिल्ली: इसरो ने रविवार को कहा 6 अक्टूबर, 2023 को भारत के पहले सौर मिशन को अंजाम देने वाले आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान ने लगभग 16 सेकंड के लिए प्रक्षेपवक्र सुधार (टीसीएम) की है.
इसरो ने अपनी एक्स टाइमलाइन में लिखा कि 19 सितंबर को किए गए ट्रांस-लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 इंसर्शन (टीएल1आई) पैंतरेबाज़ी को ट्रैक करने के बाद मूल्यांकन किए गए प्रक्षेपवक्र को सही करने के लिए इसकी जरूरत थी.
इसरो ने एक्स पर लिखा, “टीसीएम सुनिश्चित करता है कि अंतरिक्ष यान एल1 (अपने गंतव्य) के आसपास हेलो कक्षा में प्रवेश की दिशा में अपने रास्ते पर है. जैसे-जैसे आदित्य-एल1 आगे बढ़ता रहेगा, मैग्नेटोमीटर कुछ दिनों के भीतर फिर से चालू हो जाएगा.”
Aditya-L1 Mission:
The Spacecraft is healthy and on its way to Sun-Earth L1.A Trajectory Correction Maneuvre (TCM), originally provisioned, was performed on October 6, 2023, for about 16 s. It was needed to correct the trajectory evaluated after tracking the Trans-Lagrangean…
— ISRO (@isro) October 8, 2023
भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ने यह भी कहा कि अंतरिक्ष यान बिलकुल ठीक है और अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहा है.
अब तक अपनी यात्रा में, अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक चार पृथ्वी-संबंधी युक्तियों और एक ट्रांस-लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 इंसर्शन (टीएल1आई) युक्तियों से गुजर चुका है. इस प्रक्रिया में, अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बच निकला.
आदित्य-एल1 ने वैज्ञानिक डेटा एकत्र करना भी शुरू कर दिया है. STEPS (सुप्रा थर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर) उपकरण के सेंसर ने पृथ्वी से 50,000 किमी से अधिक दूरी पर सुपर-थर्मल और ऊर्जावान आयनों और इलेक्ट्रॉनों को मापना शुरू कर दिया है.
यह डेटा वैज्ञानिकों को पृथ्वी के आसपास के कणों के व्यवहार का विश्लेषण करने में मदद करेगा.
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद, इसरो ने 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से देश का पहला सौर मिशन – आदित्य-एल1 लॉन्च किया था.
यह सूर्य का विस्तृत अध्ययन करने के लिए सात अलग-अलग पेलोड ले गया, जिनमें से चार सूर्य से प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और अन्य तीन प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के इन-सीटू मापदंडों को मापेंगे.
आदित्य-एल1 को लैग्रेंजियन पॉइंट 1 (या एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर है. इसके चार महीने के समय में दूरी तय करने की उम्मीद है.आदित्य-एल1 पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर रहेगा, जो सूर्य की ओर निर्देशित होगा, जो पृथ्वी-सूर्य की दूरी का लगभग 1 प्रतिशत है. सूर्य गैस का एक विशाल गोला है और आदित्य-एल1 सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा.
इसरो ने कहा था कि आदित्य-एल1 न तो सूर्य पर उतरेगा और न ही सूर्य के करीब जाएगा.
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