नई दिल्ली: कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में संविधान पर कथित हमले पर चिंता जताते हुए कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन के दिन राजनेताओं को संविधान की जो नई प्रतियां सौंपी गईं, उनमें ‘समाजवादी धर्मनिरपेक्ष’ जैसे शब्द नहीं है.
उन्होंने कहा, “संविधान की जो नई प्रतियां आज (19 सितंबर) हमें दी गईं, जिन्हें हम अपने हाथों में लेकर (नए संसद भवन) में गए, उसकी प्रस्तावना में ‘समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष’ शब्द नहीं है.”
चौधरी ने आगे कहा, “हम जानते हैं कि ये शब्द 1976 में एक संशोधन के बाद जोड़े गए थे, लेकिन अगर आज कोई हमें संविधान देता है और उसमें ये शब्द नहीं हैं, तो यह चिंता का विषय है.”
उन्होंने आरोप लगाया, ”उनकी मंशा संदिग्ध है. यह बड़ी चतुराई से किया गया है. यह मेरे लिए चिंता का विषय है.”
चौधरी ने कहा, ”मैंने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की, लेकिन मुझे इस मुद्दे को उठाने का मौका नहीं मिला.”
इससे पहले मंगलवार को पांच दिवसीय विशेष सत्र के दूसरे दिन नए संसद परिसर में लोकसभा में बोलते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि किसी को भी ‘इंडिया’ और ‘भारत’ के बीच अनावश्यक दरार पैदा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. भारत के संविधान के अनुसार दोनों में कोई अंतर नहीं है.
उन्होंने कहा, “यह संविधान हमारे लिए गीता, कुरान और बाइबिल से कम नहीं है. अनुच्छेद 1 कहता है, “इंडिया, यानी भारत, राज्यों का एक संघ होगा… इसका मतलब है कि इंडिया और भारत में कोई अंतर नहीं है. यह बेहतर होगा कि कोई भी अनावश्यक रूप से दोनों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश न करे.”
विवाद तब शुरू हुआ जब G20 रात्रिभोज का निमंत्रण इंडिया के बजाय ‘भारत’ के राष्ट्रपति के नाम पर भेजा गया था.
यह बहस तब शुरू हुई जब केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक्स पर एक G20 रात्रिभोज का निमंत्रण साझा किया, जिसमें द्रौपदी मुर्मू को ‘भारत का राष्ट्रपति’ बताया गया था.
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