कोच्चि: एक केरल अदालत ने सोमवार को 2017 के अभिनेता हमले के मामले में मलयालम अभिनेता-निर्माता दिलीप को सभी आरोपों से बरी कर दिया, यह कहते हुए कि अभियोजन पक्ष आपराधिक साज़िश को साबित करने में असफल रहा.
दिलीप इस मामले में आठवें आरोपी थे, जो 17 फरवरी 2017 को सामने आया था.
इस बीच, पहले छह आरोपियों को विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया है, जिनमें 340, 357, 366, 377 बी और आईटी एक्ट की धारा 66ए शामिल हैं. सज़ा की मात्रा 12 दिसंबर को सुनाई जाएगी. तब तक वे हिरासत में ही रहेंगे.
पीड़िता, जो दक्षिण भारत की एक प्रमुख अभिनेत्री हैं, को पुरुषों के एक समूह ने अगवा किया था, जिसमें पहला आरोपी पल्सर सुनी भी शामिल था, जब वह थ्रिसुर से कोच्चि कार से यात्रा कर रही थीं. इस समूह ने उनके साथ दुष्कर्म किया, जबकि सुनी ने इसका वीडियो मोबाइल फोन में रिकॉर्ड किया और फिर उन्हें रास्ते में छोड़ दिया.
पुलिस ने पाया था कि दिलीप की पीड़िता के प्रति दुश्मनी थी. उन्हें लगता था कि उनकी पहली शादी टूटने के लिए पीड़िता ज़िम्मेदार थीं. बदला लेने के लिए अभिनेता ने कथित रूप से पल्सर सुनी के साथ मिलकर उन्हें अगवा करने, यौन शोषण करने और बाद में वीडियो के ज़रिए ब्लैकमेल करने की साज़िश की.
दिलीप उस समय एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स (AMMA) के कोषाध्यक्ष थे और सबसे लोकप्रिय अभिनेताओं में से एक थे. उनके कई अन्य व्यवसाय भी थे, जैसे रेस्तरां, थिएटर और एक प्रोडक्शन हाउस.
यह मामला लगभग पांच साल की लंबी सुनवाई के बाद समाप्त हो रहा है, जिसमें पीड़िता ने कई बार उच्च अदालत का रुख किया. उन्होंने पक्षपात का आरोप लगाते हुए जज बदलने की मांग भी की थी.
मुकदमे के दौरान, अहम वीडियो वाला मेमोरी कार्ड भी अवैध रूप से एक्सेस किया गया था. इस मामले ने भारत की पहली महिला अभिनेत्रियों की संस्था विमेन इन सिनेमा कलेक्टिव के गठन को जन्म दिया और बाद में 2017 में जस्टिस हेमा कमेटी का गठन हुआ. आयोग की रिपोर्ट, जो पिछले साल जारी हुई, ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में फैले व्यापक यौन शोषण का खुलासा किया.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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