बेंगलुरु, चार मार्च (भाषा) सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने मंगलवार को कथित ‘एमयूडीए भूखंड आवंटन घोटाला’ मामले में एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख किया ।
एकल न्यायाधीश ने मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) से जुड़े भूखंड आवंटन घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ सीबीआई जांच से इनकार कर दिया था।
अपनी नई याचिका में कृष्णा ने उच्च न्यायालय से न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना के सात फरवरी के आदेश को रद्द करने की अपील की। न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने से इनकार कर दिया था।
हाल में इस मामले में लोकायुक्त पुलिस द्वारा सिद्धरमैया और उनके परिवार के सदस्यों को ‘क्लीन चिट’ दिए जाने के बाद कृष्णा ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
कृष्णा लोकायुक्त पुलिस द्वारा निष्पक्ष जांच को लेकर आशंकित थे।
उच्च न्यायालय में पहले दायर अपनी याचिका में कृष्णा ने तर्क दिया था कि निष्पक्ष जांच संभव नहीं है, क्योंकि मुख्यमंत्री होने के नाते सिद्धरमैया का राज्य के विभागों, खासकर पुलिस अधिकारियों और कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस जैसी राज्य जांच एजेंसियों पर बहुत अधिक प्रभाव है।
न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने सात फरवरी को उनकी याचिका को खारिज करते हुए कहा था, ‘‘रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री कहीं भी यह संकेत नहीं देती है कि लोकायुक्त द्वारा की गई जांच पक्षपातपूर्ण, एकतरफा या घटिया है, जिसके लिए यह अदालत मामले को आगे की जांच या फिर से जांच के लिए सीबीआई को भेजे। परिणामस्वरूप याचिका अनिवार्य रूप से खारिज हो जाएगी और तदनुसार यह खारिज की जाती है।’’
सिद्धरमैया, उनकी पत्नी, रिश्तेदार बी एम मल्लिकार्जुन स्वामी, देवराजू (जिनसे स्वामी ने जमीन खरीदकर पार्वती को उपहार में दी थी) और अन्य को मैसुरु की लोकायुक्त पुलिस द्वारा 27 सितंबर, 2024 को दर्ज की गई एक प्राथमिकी में नामजद किया गया है।
यह प्राथमिकी उस विशेष अदालत के आदेश के बाद दर्ज की गई जो विशेष रूप से पूर्व और निर्वाचित सांसदों/विधायकों से संबंधित आपराधिक मामलों की सुनवाई करती है।
भाषा संतोष राजकुमार
राजकुमार
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