अहमदाबाद, 21 अप्रैल (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व मंत्री माया कोडनानी के 2002 के दंगों से जुड़े दूसरे और आखिरी मामले में बरी होने के साथ ही गुजरात की सक्रिय राजनीति में उनकी वापसी के लिए दरवाजे खुल गए हैं। गोधरा कांड के बाद राज्य में हुई साम्प्रदायिक हिंसा से संबंधित आरोपों के बाद कोडनानी का राजनीतिक सफर रसातल में चला गया था।
चिकित्सक से नेता बनीं कोडनानी कभी गुजरात की राजनीति में उभरता सितारा एवं तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार की सदस्य थीं।
गुजरात भाजपा के नेताओं ने शुक्रवार को कहा कि अगर कोडनानी सक्रिय राजनीति में वापस आना चाहती हैं, तो पार्टी निश्चित रूप से उन्हें काम सौंपेगी।
गुजरात की एक विशेष अदालत ने बृहस्पतिवार को 2002 के नरोदा गाम दंगों के मामले में माया कोडनानी (68) सहित सभी 67 आरोपियों को बरी कर दिया।
अहमदाबाद के नरोदा गाम में गोधरा मामले के बाद भड़के दंगों में मुस्लिम समुदाय के 11 सदस्यों के मारे जाने के दो दशक से अधिक समय बाद विशेष अदालत का यह फैसला आया है।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘कोडनानी एक सक्रिय कार्यकर्ता हैं और वह पार्टी के कार्यक्रमों में भाग लेती रही हैं। यह उनका निजी विकल्प है कि वह सक्रिय राजनीति में भाग लेना चाहती हैं या नहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह उन्हें तय करना है कि वह राजनीति में सक्रिय बने रहना चाहती हैं या नहीं। अगर वह ऐसा करती हैं, तो पार्टी निश्चित रूप से उन्हें काम सौंपेगी।’
दंगों से जुड़े दो मामलों में आरोपों के बाद जब गुजरात उच्च न्यायालय ने 27 मार्च, 2009 को उनकी अग्रिम जमानत खारिज कर दी थी तो कोडनानी को तत्कालीन मोदी सरकार में महिला और बाल विकास राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था ।
कोडनानी ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत अहमदाबाद भाजपा महिला मोर्चा से की थी और 1990 के दशक में वह अहमदाबाद नगर निगम की पार्षद और फिर नगर निकाय की स्थायी समिति की अध्यक्ष चुनी गईं।
स्त्री रोग विशेषज्ञ कोडनानी 1998 में पहली बार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुईं । उन्होंने अहमदाबाद के नरोदा निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार को 74,500 से अधिक मतों से हराया था। 2002 के दंगों के बाद, उसी वर्ष दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने उसी सीट पर एक लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की। वह 2007 में नरोदा से तीसरी बार विधायक बनीं और इस बार मतों का अंतर बढ़कर 1.80 लाख हो गया। इसके बाद उन्हें राज्य की मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया।
भाषा अविनाश नरेश
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