नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली स्थित आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसीएमएस) को 2022 बैच के एमबीबीएस प्रशिक्षुओं को 25,000 रुपये प्रतिमाह के बकाये वजीफे का भुगतान करने का आदेश देते हुए कहा कि वे “अधिकार के तौर” इसे पाने के हकदार हैं।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने चिकित्सा स्नातक अभिषेक यादव और अन्य की ओर से वकील तन्वी दुबे के माध्यम से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि सितंबर 2023 में पारित फैसले में एमबीबीएस प्रशिक्षुओं को अक्टूबर 2023 से 25,000 रुपये प्रतिमाह का वजीफा देने का आदेश दिया गया था, इसके बावजूद पिछले बैच को कोई भुगतान नहीं किया गया।
न्यायमूर्ति धूलिया ने एसीएमएस की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर बालासुब्रमण्यम से सवाल किया कि लगभग तीन साल बाद भी 2022 बैच के प्रशिक्षुओं को भुगतान क्यों नहीं किया गया।
उन्होंने कहा, “आप वजीफा क्यों देंगे? (क्योंकि) वे अधिकार के तौर पर इसे पाने के हकदार हैं।”
न्यायमूर्ति कुमार ने भी एसीएमएस के रुख की आलोचना की। उन्होंने कहा, “आप उनसे 18 से 19 घंटे काम करवाते हैं और आप उन्हें वजीफा भी नहीं देना चाहते?”
बालासुब्रमण्यम ने दलील दी कि कॉलेज का प्रबंधन एक निजी सोसाइटी करती है और उसे सरकारी सहायता प्राप्त नहीं होती है।
हालांकि, पीठ अपने रुख पर कायम रही। उसने कहा, “इन छात्रों ने कॉलेज के लिए काम किया है। उन्हें भुगतान किया जाना चाहिए।”
पीठ ने एसीएमएस को 2022 बैच के एमबीबीएस प्रशिक्षुओं को आठ हफ्ते के भीतर बकाये वजीफे का भुगतान करने का आदेश दिया।
भाषा पारुल सुरेश
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