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Thursday, 2 May, 2024
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दिल्ली में हुए Acid Attack से फिर याद आईं लक्ष्मी, क्यों आज भी खुलेआम बिक रहा है तेजाब

इस मामले में पश्चिमी दिल्ली पुलिस ने संजीदगी, सख्ती और त्वरित कार्रवाई की और शाम होते होते तीन आरोपियों को हिरासत में ले लिया. घटना के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई है.

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नई दिल्लीः पश्चिमी दिल्ली के मोहन गार्डन थाना क्षेत्र में बुधवार सुबह मोटरसाइकिल पर आए दो व्यक्तियों ने 17 वर्षीय लड़की पर कथित रूप से तेजाब फेंक दिया. लड़की को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने कहा कि उसके चेहरे का सात-आठ प्रतिशत हिस्सा झुलस गया है और आंखों पर भी असर पड़ा है.

आज के इस मामले के बाद दोबारा से तेजाब की खुलेआम बिक्री को लेकर बहस तेज हो गई है.

नोएडा में एसिड अटैक सर्वाइवर्स द्वारा चलाए जा रहे एक कैफे के संस्थापक आलोक दीक्षित ने कहा, आज भी खुले आम तेजाब की बिक्री होती है. कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया जाता है.

दीक्षित ने दिप्रिंट से कहा, ‘कोर्ट ने अपने आदेश में जिलाधिकारियों से अपने क्षेत्रों में तेजाब की बिक्री का निरीक्षण करने के लिए कहा था, लेकिन बहुत सारे डीएम यह बात जानते ही नहीं हैं कि उन्हें यह काम भी करना है.’

तेजाब हमले की पीड़िताओं के लिए बनाए गए एक गैर सरकारी सगंठन से भी जुड़े आलोक ने कहा कि उनके एनजीओ द्वारा छोटे शहरों में इन हमलों की पीड़िताओं की हर संभव मदद की कोशिश की जाती है.

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आलोक ने बताया कि उन्होंने देशभर में सूचना का अधिकार (आरटीआई) के जरिए आंकड़े एकत्र किए, जिनमें सामने आया कि आज भी तेजाब धड़ल्ले से बेचा जा रहा है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) डेटा के अनुसार, देश भर में तेजाब से हमले के 2021 में 176, 2020 में 182 और 2019 में 249 मामले दर्ज किए गए. वहीं, अगर सिर्फ दिल्ली की बात करें तो 2021 में तेजाब से हमले के नौ मामले सामने आये.

वहीं, गृह मंत्रालय ने सदन में एक सवाल के जवाब में कहा था कि 2018 से 2022 के बीच देश में 386 मामले दर्ज हुए.

एनसीआरबी के मुताबिक, जिन मामलों में न्यायिक कार्रवाई की जाती है, परिणाम निराशाजनक निकलते हैं. पिछले दस साल में तेजाब हमलों के लिए दोष साबित होने की दर में कई कमी देखी गई है. 2021 में यह दर 71.4 प्रतिशत से गिरकर 20 प्रतिशत हो गई. इसके अलावा, 2017 से 2021 के बीच सिर्फ 175 लोगों को सजा हुई है.

2021 में तेजाब से हमले के प्रयास के तहत 79 और 2020 में 60 मामले दर्ज किए गए.


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तेजाब पर राजनीति

दिल्ली में बुधवार सुबह लड़की पर हुए तेजाब हमले के बाद एकबार फिर राजनीति शुरू हो गई है. एक तरफ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि ये ‘बर्दाश्त’ नहीं किया जाएगा. वहीं, दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने तेजाब की खुद्रा बिक्री को लेकर सरकार की आलोचना कर कहा कि ‘सरकारे कब जागेंगी?’

इस मामले में पश्चिमी दिल्ली पुलिस ने संजीदगी, सख्ती और त्वरित कार्रवाई की और शाम होते होते तीन आरोपियों को हिरासत में ले लिया.

पिता की शिकायत के बाद, पुलिस ने घटना के संबंध में की प्राथमिकी दर्ज की है.

द्वारका के पुलिस उपायुक्त एम. हर्षवर्धन ने कहा, लड़की पर तेजाब से हमला करने वाले तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.

उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने भी घटना के बारे में शहर के पुलिस आयुक्त से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. एलजी ने पुलिस प्रमुख से कहा है कि बिक्री पर प्रतिबंध के बावजूद तेजाब कैसे खरीदा गया, इस बारे में भी रिपोर्ट में जानकारी दी जाए.

राजभवन ने ट्वीट किया, ‘उपराज्यपाल ने आज द्वारका मोड़ पर हुई तेजाब हमले की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बारे में पुलिस आयुक्त से बात की और घटना को लेकर विस्तृत रिपोर्ट मांगी. इस रिपोर्ट में यह भी बताने के लिए कहा गया है कि शहर में बिक्री पर प्रतिबंध के बावजूद तेजाब कैसे खरीदा गया.’

राजभवन ने लिखा, ‘उपराज्यपाल ने त्वरित और गहन जांच के निर्देश दिए हैं ताकि दोषियों के लिए सख्त से सख्त सजा सुनिश्चित की जा सके. उपराज्यपाल अस्पताल के अधिकारियों के भी संपर्क में हैं और उनसे लड़की का सर्वोत्तम इलाज सुनिश्चित करने का आग्रह किया है. उन्होंने पीड़ित और उसके परिवार को हर संभव सहायता का आश्वासन भी दिया है.’


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कानून रहा नाकाम

2013 में कानून बनाए जाने के बावजूद आज भी कई जगह तेजाब धड़ल्ले से बेचा जा रहा है.

बता दें कि 2013 में लक्ष्मी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा था कि तेजाब बेचने वाले प्रतिष्ठानों को ऐसा करने के लिए लाइसेंस की जरूरत होगी और उन्हें पॉइजन एक्ट, 1919 के तहत पंजीकरण करवाना होगा. इसके अलावा, दुकानों को तेजाब की व्यक्तिगत बिक्री और अपने स्टॉक का एक रजिस्टर रखना होगा और खरीदार को आईडी प्रूफ देना होगा और तेजाब को खरीदने का कारण बताना होगा.

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के मुताबिक, नियमों का पालन नहीं करने पर उप-विभागीय मजिस्ट्रेट द्वारा 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. भारत में अनुमानित 13 मिलियन छोटी दुकानों से अब तक 36.5 लाख रुपये का जुर्माना वसूल किया गया है.

आलोक ने बताया, जुर्माना वसूलने और तेजाब की ब्रिकी का डेटा रखने के लिए कोर्ट ने एक ऐप बनाने का आदेश दिया था, लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है.

राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) योजना के तहत, तेजाब से हमले की पीड़िताएं सभी निजी और सार्वजनिक अस्पतालों में मुफ्त इलाज की हकदार हैं.

एक डॉक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘बहुत कम मामलों में एसिड अटैक सर्वाइवर्स अपनी सामान्य जिंदगी में वापिस लौट पाती हैं. सरकारी मुआवजा इस बात पर निर्भर करता है कि स्थिति कितनी गंभीर है. इस तरह ज्यादातर लोग कभी ठीक नहीं हो पाते.’

सुप्रीम कोर्ट के 2013 के निर्देश में घटना के तीन महीने के भीतर पीड़िता को तीन लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया था. यह ट्रीटमेंट लागत के 10 प्रतिशत से भी कम का खर्च कवर करता है.

इसके अलावा, हमले के 15 दिनों के अंदर जिंदा बचे लोगों को एक लाख रुपये दिए जाते हैं, लेकिन मुआवजा पीड़िता तक पहुंचने में छह से सात साल लगते हैं.

आलोक ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2013 में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-326ए बनाने के बावजूद आज भी इन मामलों में आरोपी को सज़ा मिलने में सालों बीत जाते हैं.’

आईपीसी के सेक्शन 326 ए के तहत आरोपी को दस साल के कारावास की सजा दी जाती है, जिसे अपराध की प्रवृत्ति को देखते हुए जुर्माने समेत आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है.

तेजाब हमलों की पीड़िताओं के लिए काम कर रहे एक वकील ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘शहर में ऐसे हमलों को कम करने के लिए वन स्टॉप सेंटर की संख्याएं बढ़ाई जानी चाहिए.

वन स्टॉप सेंटर महिलाओं के खिलाफ हिंसा की समस्या के समाधान के लिये एक केंद्र की प्रायोजित योजना है. इसे अप्रैल 2015 में लॉन्च किया गया था.

वहीं, एसिड विक्टिम लक्ष्मी अग्रवाल जो अब खुद ऐसी लड़कियों और महिलाओं की मदद करती हैं, ने बुधवार को कहा कि वह पश्चिमी दिल्ली में तेजाब हमले की शिकार 17 वर्षीय किशोरी की हर संभव मदद करेंगी.

उन्होंने अधिकारियों से तेजाब पर कड़ा प्रतिबंध लगाने का आग्रह भी किया.

पंद्रह साल की उम्र में तेजाब हमले का सामना करने वाली अग्रवाल सफदरजंग अस्पताल के ‘बर्न आईसीयू’ में पीड़िता से मिलने गई थीं, लेकिन अधिकारियों ने उन्हें रोक दिया.

अग्रवाल ने कहा, ‘मैं पीड़िता के इलाज में उसकी मदद करना चाहती हूं और उसकी काउंसलिंग करना चाहती हूं. हमारा फाउंडेशन किशोरी की मदद करेगा. उसका अच्छी तरह से इलाज किया जाना चाहिए. इस तरह की ज्यादातर घटनाओं में तेजाब से आंखों को भी नुकसान पहुंचता है. इसलिए प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि इसका आंखों पर कोई प्रभाव न पड़े.’

लक्ष्मी ने अब भी बड़े पैमाने पर तेजाब की बिक्री होने पर अफसोस जताते हुए अधिकारियों से इसकी खरीद-फरोख्त पर पूरी तरह से रोक लगाने का अनुरोध किया.


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‘काश मैं स्कूल छोड़ने जाता’

अपनी बेटी पर हुए हमले से बदहवास पिता ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘काश मैं उसे स्कूल छोड़ने जाता.

‘उन्होंने कहा, ‘अगर मुझे  जरा भी आभास होता कि ऐसा कुछ हो सकता है तो मैं उसे कभी अकेले नहीं जाने देता.’

पीड़िता के पिता ने कहा बेटी की आंखों पर असर पड़ा वो हमलावर को नहीं देख पाई. उन्होंने अपनी बेटी से घटना के बारे में पूछा था लेकिन वह उनके बारे में ज्यादा नहीं जानती. वह उसे देख भी नहीं पाई.

बुधवार को तेजाब की शिकार हुई लड़की के परिवारवालों का कहना है कि उनकी बच्ची पढ़ाई में बहुत अच्छी है और वह एलएलबी करना चाहती है.

दिप्रिंट से बात करते हुए लड़की की बुआ ने कहा, ‘वह पढ़ाई में बहुत अच्छी है. उसे कबड्डी इवेंट के लिए शुक्रवार को पुरस्कार मिलना था. वह घूमने-फिरने वाली लड़की नहीं है. हम अपनी बेटी को बिल्कुल दोष नहीं दे सकते.’

बुआ ने यह भी कहा कि बेटी की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी.


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