नयी दिल्ली, पांच जून (भाषा) विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर दार्शनिक और लेखक आचार्य प्रशांत को बृहस्पतिवार को प्रतिष्ठित ‘सर्वाधिक प्रभावशाली पर्यावरणविद्’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ‘ग्रीन सोसाइटी ऑफ इंडिया’ द्वारा प्रदान किए गए इस पुरस्कार में आचार्य प्रशांत को ‘आध्यात्मिक स्पष्टता को पर्यावरण जागरूकता के साथ एकीकृत करने’ तथा ‘लाखों लोगों को प्रकृति अनुकूल जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करने’ में उनके अद्वितीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
आचार्य प्रशांत ने बुधवार शाम ग्रेटर नोएडा में विश्व पर्यावरण सम्मेलन 2025 में अपने संबोधन में कहा, ‘जलवायु संकट सिर्फ़ बाहर नहीं है, यह अंदर भी है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं क्योंकि हमारे मन लालच से जल रहे हैं। समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है क्योंकि हमारी इच्छाओं की कोई सीमा नहीं है। इससे पहले कि हम जिम्मेदारी से काम करें, हमें पहले स्पष्ट रूप से सोचना चाहिए और यहीं से पर्यावरण के प्रति सच्चे प्रेम की शुरुआत होती है।’
उन्होंने भारत के युवाओं को पर्यावरण के प्रति जागृत करने और शिक्षित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी पहल, ‘ऑपरेशन 2030’ शुरू किया है।
यह पहल, अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिषद (आईपीसीसी) समर्थित संयुक्त राष्ट्र जलवायु लक्ष्य के अनुरूप है जिसके अंतर्गत 2030 तक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस नीचे रखना है।
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास समय नहीं है, बल्कि पहले ही खत्म हो चुका है। वर्ष 2030 अब कोई नीतिगत लक्ष्य नहीं है, यह पृथ्वी की जीवन रेखा है… अब एकमात्र उम्मीद जागरूक, साहसी व्यक्तियों के नेतृत्व में एक आंतरिक क्रांति है जो समस्या का हिस्सा बनने से इनकार करते हैं। कोई भी पृथ्वी को बचाने नहीं आएगा। इसकी शुरुआत आपसे होती है।’
प्रसिद्ध वेदांत शिक्षक और ‘प्रशांत अद्वैत फाउंडेशन’ के संस्थापक, आचार्य प्रशांत ने 160 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं।
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राखी प्रशांत
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