नयी दिल्ली, 24 अगस्त (भाषा) राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने हिंदी साहित्य के प्रख्यात साहित्यकार आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी को सांस्कृतिक चेतना का अग्रदूत बताते हुए कहा कि उनका साहित्य आम जनजीवन के समस्त पहलुओं को छूता है और आज की चुनौतियों से निपटने के लिए उनके कार्यों को ध्यान में रखना चाहिए।
हरिवंश ने द्विवेदी की 119वीं जंयती के मौके पर साहित्य अकादमी के सभागार में शनिवार को ‘आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी मेमोरियल ट्रस्ट’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की। इस कार्यक्रम में द्विवेदी के प्रसिद्ध निबंध ‘अशोक के फूल’ विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया था।
एक बयान के मुताबिक, अपने अध्यक्षीय संबोधन में हरिवंश ने कहा कि द्विवेदी का साहित्य आम जनजीवन के समस्त पहलुओं का खूबसूरती से प्रतिनिधित्व करता है और उन्होंने साहित्य को संपूर्ण मानवजाति को सौंदर्य प्रदान करने का माध्यम बनाया।
उपसभापति ने कहा कि आज के आधुनिक जीवन की भौतिक चुनौतियों से निपटने के लिए द्विवेदी जैसे साहित्यकारों के कार्यों को संज्ञान में रखना आवश्यक है।
उन्होंने कहा, “जिन आंखों ने आचार्य जी को साक्षात देखा होगा, वे अच्छी तरह से जानते हैं कि वे कभी न बुझने वाली लौ थे। वह बड़े साहित्यकार थे और उससे भी बड़े एक सांस्कृतिक चेतना के अग्रदूत थे।”
इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी, रांची विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विंध्यवासिनी नंदन पाण्डेय और दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज के प्रोफेसर विनय ‘विश्वास’ ने शिरकत की।
बयान के मुताबिक, इस अवसर पर ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित स्मारिका ‘पुनर्नवा’ का विमोचन किया गया। साथ ही डॉ. विंध्यवासिनी पाण्डेय द्वारा लिखित पुस्तक ‘आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी : विचार कोश’ का भी लोकार्पण किया गया।
द्विवेदी का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया में 19 अगस्त 1907 को हुआ था तथा 19 मई 1979 में दिल्ली में उनका निधन हो गया था।
भाषा नोमान नोमान संतोष
संतोष
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