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बुधवार, 7 मई, 2025
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आरोपी खुद की तुलना भगत सिंह से नहीं कर सकते: उच्च न्यायालय ने संसद सुरक्षा चूक मामले पर कहा

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नयी दिल्ली, सात मई (भाषा) संसद भवन को भारत का गौरव बताते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि 2023 में इसकी सुरक्षा से खिलवाड़ करने के लिए गिरफ्तार किए गए लोग खुद की तुलना भगत सिंह जैसे शहीदों से नहीं कर सकते।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने दिल्ली पुलिस से यह बताने को कहा कि आरोपियों पर कठोर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत दंडनीय अपराध के लिए मामला क्यों दर्ज किया गया।

पीठ ने कहा, ‘‘संसद भवन में किसी भी तरह की शरारत या ऐसा कुछ नहीं किया जा सकता। ये (संसद) निश्चित रूप से देश का गौरव है। इस बारे में कोई कुछ नहीं कह रहा है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यूएपीए के तहत अपराध बनता है, जिसमें जमानत के लिए सख्त प्रावधान हैं? ऐसे अन्य अधिनियम भी हो सकते हैं जिनके तहत आप आगे बढ़ सकते हैं। इसमें कोई समस्या नहीं है। मुद्दा यह है कि क्या यूएपीए के तहत अपराध का मामला बनता है।’’

अदालत इस मामले में गिरफ्तार नीलम आजाद और महेश कुमावत की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

उच्च न्यायालय ने पुलिस से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या संसद के अंदर और बाहर धुआं फैलाने वाला उपकरण ले जाना या उनका उपयोग करना यूएपीए के अंतर्गत आता है और क्या यह आतंकवादी गतिविधियों की परिभाषा के अंतर्गत आता है।

पीठ ने कहा, ‘‘अन्यथा उनकी स्वतंत्रता पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए और आप (पुलिस) मुकदमा जारी रख सकते हैं और उन्हें जमानत पर छोड़ा जा सकता है। वे केवल जमानत के लिए आवेदन कर रहे हैं।’’

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘हम एक मिनट के लिए भी यह नहीं कह रहे हैं कि उन्होंने कोई विरोध प्रदर्शन किया है और यह विरोध का तरीका है। नहीं, यह विरोध का तरीका नहीं है और आप वास्तव में उस जगह को बाधित कर रहे हैं जहां गंभीर काम होता है, जहां देश के लिए कानून बनाए जाते हैं।’’

इसने कहा, ‘‘यह कोई मजाक नहीं है। यह ऐसी जगह भी नहीं है जहां आप खुद की तुलना भगत सिंह जैसे शहीदों से कर सकें। आप (आरोपी) खुद की तुलना उनके साथ नहीं कर सकते। फिर भी सवाल यूएपीए का है।’’

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने 13 दिसंबर की घटना का हवाला दिया, जो 2001 में संसद पर हुए हमले की भी तारीख थी, और दलील दी कि यह एक पूर्व नियोजित कृत्य था और अधिकारी इसे ‘‘बहुत गंभीरता’’ से ले रहे हैं।

वर्ष 2001 के संसद आतंकी हमले की बरसी पर एक बड़ी सुरक्षा चूक के तहत आरोपी सागर शर्मा और मनोरंजन डी कथित तौर पर शून्यकाल के दौरान सार्वजनिक दर्शक दीर्घा से लोकसभा कक्ष में कूद गए थे। उन्होंने कैन से पीली गैस छोड़ी और नारे लगाए। इसके बाद कुछ सांसदों ने उन्हें काबू कर लिया।

लगभग उसी समय, दो अन्य आरोपियों – अमोल शिंदे और आजाद ने संसद परिसर के बाहर कथित तौर पर ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ के नारे लगाते हुए कैन से रंगीन धुआं छोड़ा था।

भाषा शफीक नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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