नयी दिल्ली, 24 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने लिखित में सूचित किया है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी), केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) और कुछ सशस्त्र बल न्यायाधिकरणों (एएफटी) को छोड़कर अधिकतर न्यायाधिकरणों में पद भरे जा चुके हैं।
प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि वेणुगोपाल ने उल्लेख किया है कि एएफटी और कैट में कुछ नियुक्तियां न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली चयन समिति के पास लंबित हैं।
शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दतार द्वारा न्यायाधिकरणों में रिक्तियों को भरने से संबंधित एक याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने के अनुरोध के बाद की। याचिका में नये न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम को चुनौती दी गई है।
प्रधान न्यायाधीश रमण ने कहा, ”पिछली बार, न्यायमूर्ति राव की पीठ ने इस मामले में फैसला दिया था और उन्होंने फैसले का सम्मान नहीं किया और तत्काल एक वैसा ही अधिनियम ले आए थे।”
दतार ने दलील दी कि मद्रास बार एसोसिएशन मामले में शीर्ष अदालत के फैसले के बाद न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम में 50 वर्ष की न्यूनतम आयु सीमा के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया था।
उन्होंने कहा कि 50 वर्ष से कम आयु के कई पात्र अधिवक्ताओं को लेकर तब भी विचार नहीं किया जाता, जबकि अदालत ने कहा था कि 50 वर्ष की आयु सीमा लागू नहीं की जा सकती और इस तरह का फर्क नहीं किया जा सकता है।
दतार ने कहा कि अदालत ने निर्देश दिया था कि सदस्यों का कार्यकाल पांच वर्ष और आयु 67 या 70 वर्ष निर्धारित की जानी चाहिए, लेकिन केंद्र यह कहते हुए नियुक्तियां कर रहा है कि ये चार वर्ष और 67 या 70 वर्ष या अगले आदेश तक, जो भी पहले होगा, उस पर निर्भर करेंगी।
उन्होंने कहा, ” ये ‘अगले आदेश तक’, वाली बात नियुक्ति पत्रों से हटा दी जानी चाहिए। एक बार जब उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने नाम को मंजूरी दे दी, तो सरकार को इसमें हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है।”
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च के लिए सूचीबद्ध की।
पिछले साल छह सितंबर को शीर्ष अदालत ने न्यायाधिकरण पर नये कानून के प्रावधानों को पूर्व में हटाए गए प्रावधानों की ”प्रतिकृति” करार दिया था।
भाषा शफीक देवेंद्र
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