नई दिल्ली: अगर आप भारत में अपने क्षेत्र में जल्द ही 5जी के आने की उम्मीद पाले हुए हैं, जिससे आप नेटफ्लिक्स शो को कुछ ही क्षणों में डाउनलोड कर सकें या बार-बार की बफरिंग से बच सकें तो आप निराश होने वाले हैं. सरकार के लंबे वादों के बावजूद दुनियाभर में तेजी से फैल रही 5 जी प्रौद्योगिकी को भारत में आम जनमानस तक पहुंचने में कम से कम 5-6 साल लग सकते हैं, क्योंकि अभी तक तो पूरी तरह से परीक्षण के लिए 5जी स्पेक्ट्रम का आवंटन तक नहीं हुआ है.
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद के अनुसार, इस कैलेंडर वर्ष में स्पेक्ट्रम आवंटन हो जाएगा और मंत्रालय द्वारा आवंटित रेडियोवेब्स के साथ 5जी सर्विस का ट्रायल अगले 100 दिनों में शुरू हो जाएगा.
अगर हम वर्तमान गति पर ध्यान दें तो इस पर ज्यादा विश्वास नहीं हो रहा.
एक संपूर्ण 5जी सिस्टम में ऑरीजिनल इक्विपमेंट मेन्यूफेक्चर्स (ओईएम्स), इंफ्रास्ट्रक्चर, स्पेक्ट्रम और एज डिवाइसेज होते हैं, जो फिलहाल नहीं हैं. और ऐसी परिस्थिति में 5जी-इनेबल्ड विभिन्न डिवाइसेज भारतीय उपभोक्ताओं के लिए किसी काम की नहीं हैं.
काउंटरपॉइंट रिसर्च के शोध निदेशक नील शाह ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि 5जी भारत में मुख्यधारा में 2023 में आएगा और आम जनमानस में 2025 में आएगा.’
शाह ने कहा, ‘यह हालांकि 3जी या 4जी की तुलना में बहुत पहले हो जाएगा जिन्होंने दुनियाभर में व्यावसायीकरण के सात-आठ साल बाद भारत में प्रवेश किया था.’
भारत 5जी लाने के लिए हालांकि 2020 का लक्ष्य बना रहा है, लेकिन सरकार ने अभी तक ऑपरेटरों को 5जी ट्रायल के स्पेक्ट्रम तक आवंटित नहीं किए हैं.
फिलहाल आम जनता में बड़े पैमाने पर 5जी लागू करने के मामले में दक्षिण कोरिया, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका सबसे आगे हैं.