नई दिल्ली: 2 और 3 मई 1997 की शाम को इंजीनियरिंग करने के इच्छुक स्टूडेंट्स का एक ग्रुप एक कोचिंग सेंटर में सवालों का एक सेट हल करने के लिए इकट्ठा हुआ था. आईआईटी-जेईई के फिजिक्स, कैमिस्ट्री और मैथ्स (पीसीएम) के पेपर 3 और 4 मई को होने थे. जानकारी मिली कि “स्पेशल क्लास” में 4 मई को होने वाले गणित के पेपर के 17 में से सात सवालों के “शॉर्टहैंड” वर्जन थे.
परीक्षा रद्द कर दी गई और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मामले की जांच शुरू कर दी. जांच में पता चला कि छात्रों द्वारा लिखे गए नोट्स ऐसे व्यक्ति ने उपलब्ध कराए थे, जिसके पास उस साल आईआईटी-जेईई के पीसीएम प्रश्नपत्र मौजूद थे.
सीबीआई के आरोपपत्र के अनुसार, जांच में प्रिंटिंग प्रेस और लखनऊ स्थित कोचिंग सेंटर — त्रिवाग कोचिंग सेंटर के बीच कथित सांठगांठ का पता चला.
लगभग 30 साल और कई पेपर लीक के बाद, तकनीक के आने से और कोचिंग संस्थानों और कंसल्टेंसी की अधिक मेलजोल के जरिए काम करने का तरीका पहले से काफी बदल गया है.
इसे देखिए: सितंबर में सीबीआई ने न केवल रूसी हैकर, बल्कि एफिनिटी एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड और उसके तीन निदेशकों, सिद्धार्थ कृष्ण, विश्वंभर मणि त्रिपाठी और गोविंद वार्ष्णेय को 2021 आईआईटी-जेईई लीक मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया.
जेईई (मेन्स) पेपर लीक की जांच में सीबीआई ने कई शहरों में 19 स्थानों पर छापे मारे, जिसमें तीनों — कथित सहयोगियों और दलालों के साथ — परीक्षा में हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया था.
पहली बार इस तरह के मामले में विदेशी संलिप्तता पाई गई और वो भी इस प्रवेश परीक्षा में. बाद में सीबीआई ने अदालत को सूचित किया कि रूसी नागरिक मिखाइल शार्गिन द्वारा iLeon सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म को हैक करने से 800 से अधिक उम्मीदवारों को लाभ हुआ.
यह आगे बढ़ता हुआ व्यस्त और हलचल भरा उद्योग है जो प्रतिष्ठित संस्थान से डॉक्टर, इंजीनियर की पढ़ाई के बाद सुरक्षित नौकरी या गारंटीकृत कैरियर की मांग से उपजा है.
पेपर लीक और सांठगांठ परीक्षाओं का मुद्दा राष्ट्रव्यापी खतरे में बदल गया है, जिससे भर्ती और प्रवेश परीक्षाओं में बैठने वाले लाखों छात्र प्रभावित होते हैं.
पेपर लीक के प्रत्येक दौर का मतलब है कि उम्मीदवारों को परीक्षा रद्द होने, स्थगित होने और फिर से परीक्षा देने के मुश्किल दौर से गुज़रना पड़ता है. बिहार में इस साल शिक्षक भर्ती परीक्षा रद्द होने के बाद 5 लाख से अधिक उम्मीदवार प्रभावित हुए, जबकि 2022 के वरिष्ठ ग्रेड शिक्षक और 2021 के सब-इंस्पेक्टर और प्लाटून कमांडर भर्ती परीक्षाओं के पेपर सिंडिकेट के हाथ लगने के बाद इतनी ही संख्या में उम्मीदवार अधर में लटक गए. पिछले पांच साल में बिहार मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और गुजरात में कई पेपर लीक की खबरें आई हैं. यह इतना बड़ा था कि इन राज्यों में यह चुनावी मुद्दा बन गया. गिरोहों के जाल जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक और अरुणाचल प्रदेश समेत कई राज्यों में भी फैल गए.
हाल ही में जारी नीट-यूजी विवाद में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने पहले तो साफ तौर पर इस बात से इनकार किया कि कोई लीक हुआ है, जबकि 20 लाख से ज़्यादा मेडिकल उम्मीदवारों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है. जब एनटीए और शिक्षा मंत्री के कई आश्वासनों के बावजूद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा था, तो सीबीआई को नीट-यूजी के प्रश्नपत्र लीक होने और यूजीसी-नेट के प्रश्नों के डार्क वेब पर दिखने के आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया गया.
इस सीरीज़ की पहली स्टोरी में दिप्रिंट अलग-अलग मोडस ऑपरेंडी, प्रमुख खिलाड़ियों और बड़े मामलों में जांच से क्या पता चला है, इस पर नज़र डाल रहा है.
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धोखाधड़ी की शुरुआत और मुख्य पात्र
पेपर लीक के पीछे की साजिश कोचिंग सेंटर और विदेशी कंसल्टेंसी सर्विस प्रोवाइडरर्स से शुरू होती है. अक्सर, ये अपराधी वह होते हैं जो उम्मीदवारों को किसी भी कीमत पर परीक्षा पास करने में मदद करने का वादा करके लुभाते हैं.
उदाहरण के लिए गुजरात पुलिस ने पाया कि वडोदरा के एक कोचिंग सेंटर-कम-कंसल्टेंसी सर्विस प्रोवाइडर ने पेपर लीक का काम किया था, जिसमें कथित तौर पर 17 नीट उम्मीदवारों को परीक्षा केंद्र के अधीक्षक और निरीक्षण ड्यूटी पर तैनात शिक्षकों द्वारा सहायता प्रदान की गई थी. प्रत्येक छात्र ने कथित तौर पर 10 लाख रुपये दिए थे.
गुजरात के एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “लोग प्रश्नपत्र खरीदने के लिए दिए जाने वाले पैसे को रिश्वत मानते हैं और सोचते हैं कि वह इससे और भी अधिक वसूल सकते हैं, चाहे वे भर्ती परीक्षाओं के माध्यम से हों या किसी प्रतिष्ठित संस्थान से डॉक्टर या इंजीनियर के रूप में नौकरी लेकर.”
‘सेफ रूम’ में भेदिया रखने से लेकर प्रिंटिंग प्रेस और कूरियर इकाइयों से पेपर मंगवाने तक; शिक्षकों, खूफिया सॉल्वर, हैकर्स और तीसरे पक्ष के परीक्षा संचालकों को तैनात करने तक, साथ ही पेपर लीक करने वालों द्वारा शीर्ष अधिकारियों की मिलीभगत से ब्लूप्रिंट लीक करने के मामले भी सामने आए हैं — पेपर लीक की घटनाएं नए स्तर पर पहुंच गई हैं.
जांचकर्ताओं के अनुसार, मामले दर मामले में सांठगांठ अलग-अलग हो सकती है, लेकिन मुख्य खिलाड़ी वही हैं — पेपर लीक करने वाले लोग, सॉल्वर और उनकी सेवाओं के लिए पैसे देने वाले छात्र.
राजस्थान के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “1997 से पेपर लीक और सांठगांठ के तरीके बदले हैं. अगर पहले पेपर एक छात्र को ज़ेरॉक्स करके दिया जाता था, तो अब यह सोशल मीडिया टूल के ज़रिए बहुत तेज़ी से ज़्यादा छात्रों तक पहुंचता है. इस पहलू की वजह से बाज़ार भी बढ़ा है.”
जांचकर्ताओं के अनुसार, उल्लंघन “आसान” हैं, लेकिन सिस्टम में खामियां अभी भी बनी हुई हैं.
बिहार के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “सिस्टम में खामियां हैं. सेफ रूम ठीक से सुरक्षित नहीं हैं. आरोपी स्ट्रांगरूम में घुस रहे हैं और प्रश्नपत्रों को स्कैन कर रहे हैं. कोचिंग सेंटरों का सिटी कोऑर्डिनेटर और परीक्षा केंद्रों के अधीक्षकों के साथ गठजोड़ है. इसे एक संगठित रैकेट के जैसे देखा जाना चाहिए, भले ही इनमें से कुछ परीक्षाएं राज्य स्तर की हों, क्योंकि ये सभी सिंडिकेट अंतर-राज्यीय गिरोह के सदस्य हैं. इसमें बड़े खिलाड़ी शामिल हैं.”
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि नकल कोई नई बात नहीं है, “लेकिन ज़्यादातर मामलों में वो किसी की नज़र में नहीं आती. समय के साथ, नकल ने हेरफेर, लीक और अन्य तरह के समझौतों का रूप ले लिया है. हालांकि, बुनियादी बातें वही हैं.”
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हैकर्स के जरिए खेल एक कदम आगे
पेपर लीक करने के गुप्त ऑपरेशन में एक नया चलन विभिन्न प्रवेश और भर्ती परीक्षाओं के लिए उपयोग किए जाने वाले ऑनलाइन सॉफ्टवेयर को हैक करना है.
रूसी नागरिक मिखाइल शार्गिन ने कथित तौर पर 2021 के आईआईटी-जेईई प्रश्नों तक रिमोट एक्सेस प्राप्त करने के लिए iLeon सॉफ्टवेयर को हैक किया, जिसके बाद सॉल्वर (आरोपी) और ने 820 से अधिक छात्रों की ‘मदद’ की. इसके लिए कानपुर स्थित निजी फर्म एफिनिटी एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड ने कथित तौर पर हर उम्मीदवार से लगभग 10 लाख रुपये से 15 लाख रुपये वसूले.
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल इकाई ने राज तेवतिया सहित कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया, जो आईआईटी-जेईई मामले में भी आरोपी है. तेवतिया और अन्य — मुंबई, दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान के तीन-भाग वाले मॉड्यूल का हिस्सा — ने कथित तौर पर रूसी हैकर्स को काम पर रखा था.
रूसी हैकर्स ने कथित तौर पर ग्रेजुएट मैनेजमेंट एडमिशन टेस्ट (जीमैट) से लेकर भारतीय वायु सेना और नौसेना की परीक्षाओं तक कई तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं में उम्मीदवारों की मदद की है. पुलिस के अनुसार, उन्होंने प्रति एस्पिरेंट 3 से 5 लाख रुपए तक वसूले थे.
‘ट्रक ड्राइवर, कूरियर बॉय से लेकर प्रिंटिंग प्रेस तक’
अगर कुछ चुनिंदा अधिकारी पेपर लीक गिरोहों के साथ मिले हुए हैं, तो प्रश्न सेट डिलीवर करने वाली कूरियर कंपनियां भी ऐसी गड़बड़ियों में इसी तरह से शामिल हैं. बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की शिक्षक भर्ती परीक्षा का मामला लें, जिसे इस साल पेपर लीक की सूचना के कारण रद्द कर दिया गया था.
शिव कुमार नामक कथित गिरोह, जिसके पिता संजीव कुमार का नाम चल रहे नीट विवाद में सामने आया है, को सूचना मिली कि डीटीडीसी द्वारा प्रश्नपत्रों को ले जाया जाना है. कूरियर कंपनी ने श्रीनिवास चौधरी नामक विक्रेता से वाहन किराए पर लिए थे, जिसने जेनिथ लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड से वाहन बुक किए थे.
जांचकर्ताओं ने बताया कि शिव कुमार के गिरोह ने जेनिथ के अकाउंटेंट राहुल पासवान को लालच दिया और उसका इस्तेमाल चौधरी को फंसाने के लिए किया गया.
जांच में पता चला कि ट्रक चालक ने नालंदा जिले के नगरनौसा में सड़क किनारे एक रेस्टोरेंट के बाहर प्रश्नपत्रों से लदे वाहन को जैसे ही पार्क किया, शिव कुमार के गिरोह के सदस्यों ने कथित तौर पर एक स्पेशल टूल से अंदर के बॉक्स को खोला और प्रश्नपत्रों को स्कैन किया.
यह परीक्षा से तीन दिन पहले यानी 12 मार्च को हुआ. जांच में पाया गया कि इस तरह की योजना बनाई गई थी कि झारखंड के हजारीबाग में एक बैंक्वेट हॉल में प्रश्नपत्रों को याद करने के लिए ‘क्लाइंट’ को तैयार किया गया था.
एक अन्य मामले में भी जेनिथ लॉजिस्टिक्स का नाम आया: बिहार पुलिस में कांस्टेबलों की भर्ती के लिए केंद्रीय चयन बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा पिछले साल 1, 7 और 15 अक्टूबर को निर्धारित की गई थी. हालांकि, परीक्षा से कुछ घंटे पहले सोशल मीडिया पर आंसर की (उत्तर कुंजी) वायरल होने के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई थी.
आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की जांच में पाया गया कि डीपी वर्ल्ड को प्रश्नपत्रों के ट्रांसपोर्ट का ठेका दिया गया था, जिसे बिहार के सभी जिलों और केंद्रों में प्रश्नों के परिवहन के लिए जेनिथ लॉजिस्टिक्स को आउटसोर्स किया गया था. ईओयू ने पाया है कि कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के प्रश्नपत्रों से भरे ट्रक पटना में छह घंटे तक खड़े रहे और बीपीएससी शिक्षक परीक्षा की तरह प्रश्नपत्र लीक हो गए.
ईओयू ने अब तक 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि संजीव कुमार पर इस लीक के पीछे भी संदेह है.
इसी तरह ईओयू को संदेह है कि रांची से हज़ारीबाग कूरियर द्वारा ले जाए जाने के दौरान नीट प्रश्नपत्रों से छेड़छाड़ की गई. मामला सीबीआई को सौंप दिया गया. इस बीच नीट पीजी परीक्षा भी स्थगित कर दी गई है.
यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2024 के पेपर लीक में भी यही रणनीति अपनाई गई थी, जिसमें जांच दल ने पाया कि परीक्षा के प्रश्नपत्रों के ट्रांसपोर्ट के लिए जिम्मेदार कंपनी टीसीआई एक्सप्रेस के कर्मचारी कथित तौर पर एक मॉड्यूल के हिस्से के रूप में शामिल थे.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह सुनिश्चित करने के लिए प्रणाली लागू की गई है कि परीक्षा के प्रश्नपत्रों को ले जाने वाले ट्रक या अन्य कूरियर सेवा वाहनों का उल्लंघन न हो. जांचकर्ताओं का यह भी कहना है कि कुप्रबंधन और सेंधमारी का केंद्र केंद्रों और प्रिंटिंग प्रेस के चयन और आवंटन की प्रक्रिया में अधिक बार शुरू होता है.
यूपी पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “ट्रकों को जीपीएस के माध्यम से ट्रैक किया जाता है और उनमें क्यूआर कोड के साथ भारी जिपर लॉक हैं ताकि उनमें छेड़छाड़ या बदलाव न किया जा सके. ये ताले केवल निर्धारित तिथि पर गंतव्य पर पहुंचने पर ही काटे जा सकते हैं. अगर, कोई पुनर्निर्देशन होता है तो जीपीएस टैग अधिकारियों को सचेत करेगा. इसके अलावा, बक्सों को छेड़छाड़ प्रूफ सामग्री में सील किया जाता है. आमतौर पर, केवल एक एसडीएम-रैंक का अधिकारी ही कूरियर प्राप्त कर सकता है और इसे सीधे स्ट्रांगरूम में भेज दिया जाता है.”
कुछ अन्य मामलों जैसे कि गुजरात अधीनस्थ सेवा चयन (जीएसएसएसबी) परीक्षा 2021 या उत्तर प्रदेश समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (प्रारंभिक) परीक्षा 2024 में, प्रिंटिंग प्रेस से ही लीक हुआ.
पुलिस ने सूर्या ऑफसेट प्रिंटिंग प्रेस के सुपरवाइजर को जीएसएसएसबी पेपर लीक मामले में मुख्य आरोपी बताते हुए 14,000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है. दूसरे मामले में मैकेनिकल इंजीनियर सुनील रघुवंशी कथित तौर पर मरम्मत के बहाने प्रिंटिंग प्रेस में घुसा था. स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के मुताबिक, रघुवंशी ने प्रश्नपत्र को बोतल में छिपा दिया था. इसके बाद भोपाल के एक होटल में पेपर हल किया गया.
इस साल यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती लीक मामले के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने परीक्षा के पेपर छापने वाली कंपनी एडुटेस्ट को ब्लैक लिस्ट कर दिया था. यूपी एसटीएफ ने फर्म के मालिक विनीत आर्य को तलब किया था, लेकिन वह अमेरिका भाग गया.
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इतने ‘स्ट्रांग’ रूम नहीं और शीर्ष पर मिलीभगत
इन गड़बड़ियों में बार-बार आने वाला बिंदु ऐसी अवैध गतिविधियों में शामिल गिरोहों के साथ अधिकारियों की मिलीभगत है. मध्य प्रदेश के 2013 के व्यापम घोटाले से बेहतर कोई अन्य मामला इस तथ्य को उजागर नहीं करता है. गिरफ्तार किए गए लोगों में मध्य प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा और व्यापम परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी शामिल हैं.
पिछले पांच साल में कथित तौर पर अधिकारियों और सिंडिकेट्स के बीच सांठगांठ के कारण राजस्थान में परीक्षा से कुछ घंटे पहले परीक्षा केंद्रों से दो बड़े प्रश्नपत्र लीक हो गए थे.
राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा, उनके भतीजे विजय और आयोग के एक ड्राइवर सहित दर्जनों लोगों को दिसंबर 2022 के आरपीएससी वरिष्ठ शिक्षक पेपर लीक में गिरफ्तार किया गया था. कटारा कथित तौर पर प्रश्नपत्र हासिल करने के लिए जिम्मेदार था, जिसे एक अन्य आरोपी शेर सिंह ने वायरल किया था.
ईडी ने कहा कि उदयपुर में लगभग 150 उम्मीदवारों और जयपुर में 30 उम्मीदवारों को प्रश्न लीक किए गए थे. उम्मीदवारों ने कथित तौर पर प्रत्येक को 8 लाख रुपये से 10 लाख रुपये का भुगतान किया.
2021 के राजस्थान सब-इंस्पेक्टर और प्लाटून कमांडर भर्ती पेपर लीक मामले में जिसमें पिछले महीने चार्जशीट दाखिल की गई थी, राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने विस्तार से बताया है कि कैसे हिस्ट्रीशीटर जगदीश बिश्नोई द्वारा संचालित एक गिरोह ने कथित तौर पर केंद्र के अधीक्षक के साथ समन्वय करके ‘स्ट्रांगरूम’ से सांठगांठ की.
एसओजी की 2,000 से अधिक पन्नों की चार्जशीट में उल्लेख किया गया है कि अधीक्षक राजेश खंडेलवाल ने बिश्नोई के सहयोगी शिवरतन मोटे को सेंटर पर चपरासी तैनात किया था. एक अन्य सहयोगी, भांभू को प्रिंसिपल के रूम में छिपने की अनुमति दी गई थी, जो प्रश्नपत्रों को संग्रहीत करने के लिए स्ट्रांगरूम की तरह भी काम करता था.
एसओजी के अनुसार, खंडेलवाल ने बिश्नोई से 10 लाख रुपये लेने की बात कबूल की. उसने भांभू को ‘स्ट्रांगरूम’ तक पहुंचने में मदद की और इसे बाहर से बंद कर दिया, जिससे वह प्रश्नपत्रों वाले लिफाफों को खोलकर बिश्नोई तक पहुंचा सके.
एसओजी के अनुसार, मोटे, भांभू और बिश्नोई ने जूनियर इंजीनियरों के लिए 2020 की भर्ती परीक्षा में भी यही हथकंडा अपनाया था. उन्होंने जयपुर के एक अन्य सरकारी स्कूल के केंद्र अधीक्षक के साथ मिलीभगत की और अपने ग्राहकों को प्रश्नपत्र वितरित किए.
इसी तरह, तेलंगाना राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित कार्यकारी इंजीनियरों और मंडल लेखा अधिकारियों के लिए 2023 की भर्ती परीक्षाओं के प्रश्नपत्र टीएसपीएससी सचिव के निजी सहायक द्वारा लीक किए गए थे.
विशेष जांच दल (एसआईटी) के आरोपपत्र के अनुसार, आरोपियों ने एक अन्य टीएसपीएससी कर्मचारी के साथ मिलकर प्रश्नपत्रों को पेन ड्राइव में डाउनलोड करने की साजिश रची और पैसे के बदले उन्हें उम्मीदवारों के साथ साझा किया.
आरोपपत्र में दावा किया गया है कि सहायक कार्यकारी अभियंता (एईई) पदों के लिए प्रश्नपत्र सात उम्मीदवारों को लीक किए गए थे, जबकि सहायक अभियंता (एई) पदों के लिए प्रश्नपत्र 13 उम्मीदवारों को लीक किए गए थे और मंडल लेखा अधिकारी (डीएओ) के प्रश्नपत्र सात उम्मीदवारों को सौंपे गए थे.
एक अन्य प्रकरण में कथित तौर पर एक सरकारी अधिकारी शामिल है, झारखंड विधानसभा में कार्यरत अवर सचिव मोहम्मद शमीम को फरवरी में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) 2023 के पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने उनके दो बेटों को भी हिरासत में लिया है. झारखंड पुलिस के सूत्रों ने कहा है कि इस पेपर लीक मामले में भी संजीव कुमार एक “प्रमुख संदिग्ध” है.
हालांकि, लीक का स्रोत अज्ञात है, लेकिन झारखंड पुलिस ने दिप्रिंट को बताया कि शमीम ने प्रश्नपत्रों तक पहुंच प्राप्त करने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया. झारखंड पुलिस के एक सूत्र के अनुसार, सभी सात आरोपी जेल में हैं.
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पूछा, “यहां तक कि ऐसे मॉड्यूल में भी जहां लोग प्रश्न स्वयं लीक नहीं कर रहे हैं, शीर्ष स्तर पर सत्ता के दुरुपयोग और सांठगांठ से इनकार नहीं किया जा सकता है. इस मॉड्यूल में काम करने वाले गैंगस्टर प्रिंटिंग प्रेस, परिवहन के साधनों आदि के बारे में जानकारी कैसे प्राप्त करते हैं?”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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