लखनऊ, चार सितंबर (भाषा) अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने बाराबंकी में एक निजी विश्वविद्यालय में कथित तौर पर बिना मान्यता के विधि पाठ्यक्रम संचालित करने के विरुद्ध सोमवार को प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस लाठीचार्ज की निंदा करते हुए इसके लिए दोषी अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर 48 घंटे के अंदर कार्रवाई की बृहस्पतिवार को मांग की। परिषद ने यह भी कहा कि ऐसा नहीं होने पर राज्य भर में ‘वृहद’ प्रदर्शन किया जाएगा।
एबीवीपी के राष्ट्रीय मंत्री अंकित शुक्ल ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में बाराबंकी के रामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय में विधि विद्यार्थियों के शांतिपूर्ण आंदोलन पर ‘बाहरी गुंडों’ के हमले और पुलिस द्वारा किये गये ‘बर्बर लाठीचार्ज’ की कड़ी निंदा करते हुए मुख्यमंत्री से 48 घण्टे के भीतर इस घटना के लिए जिम्मेदार विश्वविद्यालय के अधिकारियों, प्रशासनिक अधिकारियों और संलिप्त पुलिसकर्मियों पर दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि अगर निर्धारित अवधि में मांगें पूरी नहीं की गईं तो एबीवीपी कार्यकर्ता ‘वृहद’ राज्यव्यापी आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
शुक्ल ने आरोप लगाया कि श्री रामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय में वर्षों से मानकों के विपरीत तथा नवीनीकरण/अनुमति के बिना विधि पाठ्यक्रम संचालित किया जा रहा था। भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) से विश्वविद्यालय को बुधवार को ही सशर्त (अस्थायी) अनुमति प्राप्त हुई है, जो इस तथ्य का स्पष्ट प्रमाण है कि अब तक पाठ्यक्रम अवैध रूप से संचालित हो रहा था।
उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम के विरोध में आज प्रदेश के सभी जिला केंद्रों पर एबीवीपी कार्यकर्ता प्रदर्शन करेंगे। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक विद्यार्थियों को न्याय नहीं मिल जाता।
शुक्ल ने मांग की कि लाठीचार्ज की घटना में संलिप्त पुलिसकर्मियों और प्रदर्शनकारी छात्रों पर हमला करने वाले ‘बाहरी गुंडों’ पर मुकदमा दर्ज कर कठोरतम कार्रवाई की जाए, साथ ही यह भी सार्वजनिक किया जाए कि किसके आदेश पर लाठीचार्ज किया गया था।
उन्होंने यह भी मांग की कि विधि पाठ्यक्रम के अवैध संचालन की उच्च-स्तरीय जांच कर जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों को दंडित किया जाए और विश्वविद्यालय को बंद किया जाए। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, विलम्ब शुल्क, सामाजिक कल्याण शुल्क एवं अन्य अवैध आर्थिक वसूली की जांच कर रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। छात्रों को बिना चेतावनी निष्कासित करने की अवैधानिक प्रक्रिया के दोषियों को दंडित किया जाए।
शुक्ल ने यह भी मांग की कि उच्च शिक्षा परिषद के सचिव द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर विश्वविद्यालय पर कठोर कार्रवाई की जाए, लगभग छह बीघे सरकारी भूमि पर विश्वविद्यालय के अवैध कब्जे और तहसीलदार न्यायालय द्वारा लगाए गए 27 लाख 96 हजार रुपये का जुर्माना तुरंत वसूला जाए, कब्जा हटाने के आदेश को तत्काल लागू किया जाए और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अवैध निर्माण पर बुल्डोजर चलवाया जाए।
उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माफियाओं को मिट्टी में मिलाने का काम किया है। हमें ऐसी उम्मीद है कि उनके द्वारा शिक्षा-माफियाओं को भी मिट्टी में मिलाया जाएगा।’’
बाराबंकी स्थित श्री रामस्वरूप विश्वविद्यालय में बगैर मान्यता के विधि पाठ्यक्रम संचालित किए जाने का विरोध कर रहे एबीवीपी के कार्यकर्ताओं और अन्य छात्रों पर पुलिस ने सोमवार को लाठीचार्ज किया था, जिसमें कई छात्र घायल हो गए थे।
भाषा सलीम सुरेश
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