नई दिल्ली : रूस-यूक्रेन के बीच जारी सैन्य संघर्ष की पहली वर्षगांठ पर, यूक्रेन के प्रभारी डी अफेयर्स इवान कोनोवलोव ने शुक्रवार को कहा कि यूक्रेन एक भरोसेमंद भागीदार के रूप में, भारत के समर्थन पर भरोसा करता है और गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में मतदान से भारत का दूर रहना उसके लिए एक ‘संवेदनशील मुद्दा’ है.
यूक्रेन के प्रभारी डी ने कहा, ‘प्रस्ताव को अपनाया गया और भारत के मतदान से दूर रहने की स्थिति निश्चित रूप से हमारे लिए एक संवेदनशील मुद्दा है. हम भारत के समर्थन पर भरोसा करते हैं और हमारे बीच निश्चित रूप से एक भरोसेमंद रिश्ता है और उम्मीद है कि यह भविष्य में हमारी मदद करेगा.’
भारत की G20 अध्यक्षता को युद्ध समाप्त करने के अवसर बताते हुए, यूक्रेनी दूत ने कहा कि उन्हें आशा है कि इस वर्ष के अंत में समूह की बैठक में यूक्रेन, वार्ता की मेज पर होगा.
यूक्रेनी दूत ने कहा, ‘भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान, यूक्रेन के लिए भारत का समर्थन होना बहुत महत्वपूर्ण है. हम आशा करते हैं कि G20 के फ्रेमवर्क में, यूक्रेन हिस्सा लेगा और यूक्रेन का विषय निश्चित रूप से मेज पर होगा. हम G20 की भारत द्वारा अध्यक्षता में इस युद्ध को रोकने, इस युद्ध को समाप्त करने और इसे जीतने के अवसर के रूप में देखते हैं.’
गौरतलब है कि भारत गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा, जिसने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के अनुरूप यूक्रेन में जल्द से जल्द ‘व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति’ तक पहुंचने की जरूरत को रेखांकित किया.
193 सदस्यीय यूएनजीए में मतदान के दौरान 141 सदस्य देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. जबकि 7 ने प्रस्ताव का विरोध किया, भारत और चीन सहित 32 सदस्य अनुपस्थित रहे.
संघर्ष के एक वर्ष होने पर बोलते हुए, कोनोवलोव ने कहा कि 2023 जीत का वर्ष होगा क्योंकि यूक्रेन युद्ध जीतेगा और लोकतंत्र और स्वतंत्रता के सिद्धांत प्रबल होंगे.
दूत ने कहा, ‘आज, यूक्रेन पर रूसी की आक्रामण की पहली वर्षगांठ है. पिछले साल यूक्रेन के लिए यह बहुत मुश्किल था क्योंकि हमारा देश अपनी स्वतंत्रता और लोकतंत्र के लिए लड़ रहा है. हमारे बहादुर सैनिक जमीन के हर टुकड़े को कदम दर कदम आजाद कर रहे हैं. अब कब्जे वाले क्षेत्र का 60 प्रतिशत मुक्त करा लिया गया है.’
उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि 2023 जीत का साल होगा क्योंकि यूक्रेन इस युद्ध को जीतेगा और लोकतंत्र और स्वतंत्रता के सिद्धांतों की जीत होगी.’
रूस-यूक्रेन युद्ध 24 फरवरी को बॉम्बिंग के साथ शुरू हुआ, जो वैश्विक भू-राजनीति को बदलने का भय पैदा कर दिया था. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप में सबसे बड़े भूमि संघर्ष ने लाखों लोगों को विस्थापित किया है, यूक्रेनी शहरों, कस्बों और गांवों को बर्बाद कर दिया है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को बाधित कर दिया है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बुधवार को रूस के आक्रमण को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के रूप में निंदा की, परमाणु हथियारों के संभावित इस्तेमाल के बारे में खतरे की बात की.
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