scorecardresearch
Monday, 6 May, 2024
होमदेशराजधानी दिल्ली से सटे नोएडा के कुछ इलाकों में 50,000 लोगों को पांच वर्षों से है बिजली का इंतज़ार

राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा के कुछ इलाकों में 50,000 लोगों को पांच वर्षों से है बिजली का इंतज़ार

बिजली कनेक्शन नहीं दे पाने का कारण इसका डूब क्षेत्र में बसा होना है. 'डूब क्षेत्र में किसी तरह के विकास कार्य पर प्रतिबंध है. इस क्षेत्र में 20,000 घर हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2015 को देश को संबोधित करते हुए कहा था, विद्युतीकरण से वंचित शेष 18,500 गांवों में 1000 दिनों के अंदर बिजली पहुंचा दी जाएगी. 29 अप्रैल 2018 को एक ट्वीट के जरिए उन्होंने बताया ’28 अप्रैल 2018 को देश के विकास के ऐतिहासिक दिन के रूप में याद किया जाएगा. कल हमने एक ऐसा वादा पूरा किया जिससे तमाम भारतीयों का जीवन हमेशा के लिए बदल जाएगा मैं खुश हूं कि अब भारत में हर एक गांव में बिजली पहुंच चुकी है.’

इन तथ्यों से यह भ्रम होना लाज़मी है कि सरकार जनता को बिजली की सुविधा देने के लिए संजीदगी से काम कर रही है, लेकिन सच्चाई सरकारी दावों के विपरीत है. उत्तर प्रदेश के नोएडा में 50,000 से अधिक की आबादी पिछले 5 वर्षों से 13 कालोनियों में विद्युतीकरण के लिए संघर्ष कर रही है. जबकि 2 फरवरी 2018 को अधीक्षण अभियंता राकेश कुमार राणा ने कहा था कि ‘नोएडा में ही सौभाग्य योजना के योग्य लाभार्थियों को ढूंढकर 50,000 हजार कनेक्शन दिया जाना है. फिर सवाल उठता है कि बिजली की मांग को लेकर ही सैकड़ों लोग मुख्य अभियंता कार्यालय परिसर में अनिश्चितकालीन धरने पर क्यों बैठे हैं?’

धरने पर बैठे लोगों के पास विधायक पंकज सिंह धरना स्थल पर पहुंचे और उन्होंने लोगों को तीन महीने में बिजली देने का आश्वासन दिया है.

डूब क्षेत्र में लगा है प्रतिबंध

उत्तर प्रदेश के नोएडा में हिंडन नदी के पास नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के तहत 13 ऐसी कॉलोनियां हैं जहां पर बिजली सप्लाई की कोई व्यवस्था नहीं है. इन कॉलोनियों में बसे लोगों ने जमीनों की खरीद के दौरान समस्त कानूनी औपचारिकताएं पूरी की हैं, वर्तमान समय में यहां पर 50,000 से भी अधिक लोग रहते हैं. 5 वर्षों से लगातार अधिकारियों, नेताओं के दरवाजों का चक्कर काटने के बावजूद इन लोगों को बिजली नहीं मिली है.

अधिशासी अभियंता जेके गुप्ता स्वीकार करते हैं, ‘इस क्षेत्र में 20,000 घर हैं. बिजली कनेक्शन नहीं दे पाने का कारण बताते वह कहते हैं कि ‘डूब क्षेत्र में किसी तरह का विकास कार्य करने पर प्रतिबंध लगा हुआ है इस मामले में हमारे स्तर से कोई निर्णय नहीं हो सकता है. शासन ने 2010 से ही प्रतिबंध लगा रखे हैं लेकिन अब हाईकोर्ट और एनजीटी दे भी कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं. इस मामले पर मंत्रीमंडल स्तर पर ही निर्णय होना है, जब हम लोगों को वहां से लिखित आदेश प्राप्त हो जाएगा काम शुरू कर दिया जाएगा.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

डूब क्षेत्र में बसे हैं ये इलाके

नोएडा में हिंडन नदी के किनारे बसी सोरखा एक्सटेंशन, सैनिक विहार, गणेश नगर, विष्णु नगर कॉलोनी सेक्टर 115 नोएडा, अंबेडकर सिटी, उन्नति बिहार सेक्टर 123 नोएडा, साईं इनक्लेव, राधा कुंज, कृष्णा कुंज, ककराला खासपुर एक्सटेंशन, अक्षरधाम, श्याम वाटिका और बालाजी इनक्लेव में लोग अंधेरे में रहते हैं. 2006-7 के आसपास इन कालोनियों का विस्तार होना शुरू हुआ और तब से ही यहां विद्युतीकरण की मांग होने लगी. जैसे-जैसे कालोनियों का विस्तार हुआ यह मांग भी जोर पकड़ती गई. 2015 से कालोनी के निवासियों ने सामूहिक प्रयास शुरू कर दिया.

नोएडा के इस हिस्से में जहां यह 13 कालोनियां बसी हुई हैं, निम्न मध्यवर्गीय आबादी रहती है. जिनमें अधिकांश मजदूर, रेहड़ी-खोमचे वाले, छोटे दुकानदार, सिक्योरिटी गार्ड, ड्राइवर, ई रिक्शा चालक, दर्जी, छोटे ठेकेदार जैसी आबादी है. 2006-07 में जब यहां प्रॉपर्टी डीलर सक्रिय हुए तो यह इलाका पूरी तरह से वीरान था. जिसके कारण यहां जमीन के दाम कम थे. दिल्ली के करीब घर लेने की चाह में लोगों ने यहां जमीन खरीद लिये. वर्तमान समय में यहां पर 50,000 से अधिक की आबादी रहती है.

मकान की रजिस्ट्री हुई, वोटर आईडी बने, बस बिजली नहीं

अक्षरधाम कॉलोनी की रीता बताती हैं, ‘जमीन खरीदने के लिए मैंने अपने सारे गहने बेच दिए, किसी तरह की दिक्कत ना हो इसके लिए रजिस्ट्री करवाई और सारे टैक्स का भुगतान किया. रजिस्ट्री करवाते समय कोई दिक्कत नहीं हुई अब हम बिजली मांग रहे हैं तो बताया जा रहा है कि यह डूब क्षेत्र है. इसी तर्क के आधार पर हमें हर तरह की नागरिक सुविधाओं से वंचित कर दिया गया है.’ हां, इतना जरूर है कि हर किसी को वोटर कार्ड बनाकर दे दिया गया है.

8 जुलाई 2015 को ग्रामीण विकास समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात कर समस्या से अवगत कराया था. अखिलेश ने नोएडा अथॉरिटी के चेयरमैन को निर्देश दिया कि कॉलोनी के निवासियों को परेशान ना किया जाए और इन्हें बिजली की सुविधा दी जाए. अथॉरिटी के निर्देश पर अमल करते हुए विभाग ने विकल्प दिया कि सभी कालोनियों मे लोग खुद के खर्चे से ट्रांसफार्मर, पोल, तार आदि खरीदकर उसे स्थापित करवा लें, तो विभाग बिजली की सप्लाई कर देगा.

पचास हज़ार लोगों को है रोशनी का इंतज़ार

विभाग की तरफ से कालोनियों के अनुसार संभावित खर्चे का विवरण तैयार कर लोगों को सौंप दिया गया. इसके अलावा सभी कालोनियों को संभावित खर्चे का 15 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज के तौर पर जमा करना था. कालोनी वासियों को तीन महीने के अंदर यह सब कर देना था वरना इस ‘सुविधा’ से भी उन्हें हाथ धोना पड़ता. गणेश नगर के लिए 4.5 लाख, सोरखा एक्सटेंशन 7.45 लाख, कृष्णा कुंज 6.5 लाख, राधा कुंज 5 लाख, अंबेडकर सिटी 10 लाख रुपये के खर्च का स्टीमेट तैयार किया गया था. लोगों ने 5-5 हजार रुपये इकट्ठा कर काम शुरू करवा दिया. इस बीच सरकार बदल गई तो पूरी प्रक्रिया को ही रोक दिया गया. इस योजना के तहत केवल अंबेडकर सिटी में आंशिक तौर पर बिजली पहुंच सकी.

अंबेडकर नगर कालोनी मे रहने वाली वाहिदा बीवी के पति पेशे से दर्जी हैं. उन्हें पैसे कर्ज पर लेने पड़े और महीनों उसका ब्याज चुकाना पड़ा. वह बताती हैं कि ‘ट्रांसफार्मर, तार व पोल लगवाने के लिए हमें काफी परेशानी झेलनी पड़ी, पर लगभग सभी लोगों ने पैसा दिया. कई लोगों ने 5 हजार की यह रकम ब्याज पर कर्ज लेकर दी और इसके लिए 8-10 हजार तक भुगतान किया. लोगों को उम्मीद थी कि ट्रांसफार्मर, तार व पोल लगाने के बाद उन्हें बिजली मिल जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ ट्रांसफार्मर और पोल आज भी वैसे ही खड़े हैं. इनमें से कुछ उपकरणों की चोरी भी हो चुकी है.’

संस्कृति, पर्यटन और नागरिक उड्डयन मन्त्रालय में स्वतंत्र मंत्री महेश शर्मा यहां से सांसद और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह विधायक हैं. लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान 13 मई 2018 को सोरखा एक्सटेंशन में जनसंवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महेश शर्मा ने घोषणा की थी कि 23 मई 2018 को सरकार की सौभाग्य योजना के तहत एक कैंप लगाया जाएगा जिसमें 13 कालोनियों के प्रत्येक घर को 500 रुपये में कनेक्शन दिया जाएगा. जो यह रकम देने में भी अक्षम होगा उन्हें दस किस्तों में भुगतान करने की सुविधा दी जाएगी, लेकिन आज भी उस कैंप का आयोजन नहीं हो सका. इस कार्यक्रम को आयोजित में समिति के 84,000 रुपये खर्च हो गए.

लोगों ने सांसद से फिर मुलाकात की तो 16 जुलाई 2018 को चोटपुर कॉलोनी में महेश शर्मा ने एक नया शिगूफा छोड़ दिया. उन्होंने विधायक पंकज सिंह, डीएम, एसपी और चीफ इंजीनियर के सामने हजारों लोगों की मौजूदगी में कहा कि कालोनियों को केवल बिजली ही नहीं सरकार सभी तरह की नागरिक सुविधाएं भी उपलब्ध कराएगी. जनता को सुविधाएं तो नहीं मिलीं लेकिन महेश शर्मा को इन वादों के जरिए सियासी लाभ जरूर मिल गया.

सेक्टर 18 में हेल्पडेस्क का उद्घाटन करने आए ऊर्जा मंत्री श्रीकांत वर्मा से भी ग्रामीणों ने मुलाकात कर अपनी समस्या बताई तो ऊर्जा मंत्री ने भी लोगों को आश्वासन दिया कि जल्द से जल्द उनके लिए बिजली का इंतजाम कर दिया जाएगा. विधायक पंकज सिंह ने भी कई बार यह वादा किया कि चुनाव जीतने के बाद वह लोगों को सारी सुविधाएं मुहैया करवाने की पूरी कोशिश करेंगे. लेकिन चुनाव जीतने और बहुमत से सरकार बन जाने के बाद भी इन कालोनियों में बिजली का कोई इंतजाम नहीं हो सका.

लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं लोग

नेताओं, अधिकारियों से धोखा खाने के बाद 24 अगस्त 2016 को सेक्टर 25 में हजारों लोगों ने एकजुट होकर बिजली की मांग को लेकर एक बड़ा प्रदर्शन किया. 2 दिन तक चले इस प्रदर्शन के बाद बिजली विभाग ने 70 केवी का एक अस्थाई कनेक्शन दिया और मीटर नहीं होने की बात कहते हुए आश्वासन दिया गया कि 3 महीने के अंदर मीटर उपलब्ध होने पर सभी लोगों को कनेक्शन देने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. समय बीत जाने के बाद भी जब विभाग अपने वादों को पूरा नहीं कर सका तो समिति के सदस्यों ने अधीक्षण अभियंता राकेश राणा से मुलाकात की, 6 बार मुलाकात होने के बाद भी उनका जवाब केवल यही होता था कि शासन स्तर पर बातचीत चल रही है.

अधिकारियों का तर्क है कि यह कालोनियां डूब क्षेत्र मे बनी हुई हैं इसलिए यहां कनेक्शन नहीं दिया जा सकता है. ग्रामीण विकास समिति के उपाध्यक्ष गोविंद इसका खंडन करते हुए कहते हैं कि डूब क्षेत्र में ही यूसुफपुर, चकशाहवेरी, हैवतपुर, चोटपुर, छजारसी, सरस्वती कुंज और तिगरी सहित कई अन्य कालोनियों में आधी-अधूरी बिजली की व्यवस्था की गई है. 16 मार्च 2010 को प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता के पत्र का हवाला देते हुए वह कहते हैं कि डूब क्षेत्रों में निर्माण कार्य तब से ही प्रतिबंधित है लेकिन इसका पालन नहीं किया गया. नियमों का उल्लंघन कर राशन कार्ड, बिजली कनेक्शन, पानी कनेक्शन का वितरण किया गया है. लेकिन हमें इन सुविधाओं से वंचित रखा गया. वह बताते हैं कि बिजली हासिल करने के इस संघर्ष में समिति के कोष से अभी तक 20 लाख रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं. हम आगे के लिए भी तैयार हैं लेकिन इस लड़ाई को बीच में नहीं छोड़ेंगे.

4 जुलाई 2019 को 300 से अधिक लोगों ने विधायक पंकज सिंह से कार्यालय पर मुलाकात कर इस संबंध में पुनः ज्ञापन सौंपा विधायक ने लोगों के सामने ऊर्जा मंत्री से बात की और 1 सप्ताह बाद सीएम योगी आदित्यनाथ को भी समस्या से अवगत कराया लेकिन इसके बाद भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो सकी.

18 जुलाई 2019 को ग्रामीण विकास समिति के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने चीफ इंजीनियर कार्यालय नोएडा का घेराव कर ठोस आश्वासन मांगे. पहले तो चीफ इंजीनियर एक बार फिर मामले को टालने की कोशिश करने लगे लेकिन जब प्रदर्शन कर रहे लोग अड़ गए तो उन्होंने लिखित तौर पर 15 दिन का समय मांगा. समय बीतने के बाद जब लोग चीफ इंजीनियर कार्यालय पहुंचे तो उनका ट्रांसफर हो गया था. नए इंजीनियर ने बात को टालने की कोशिश की लेकिन लोगों ने अनिश्चितकालीन प्रदर्शन की चेतावनी दी तो उन्होंने साफ कह दिया कि वह अपने स्तर पर इस मामले में कुछ नहीं कर सकते.

हर तरफ से निराशा मिलने के बाद पिछले 26 अगस्त से यह लोग सैकड़ों की संख्या में मुख्य अभियंता कार्यालय, नोएडा परिसर में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. उनका साफ कहना है कि जब तक बिजली नहीं मिल जाती प्रदर्शन जारी रहेगा. प्रदर्शन में केवल पुरुष ही नहीं महिलाएं भी गोद में बच्चों को लेकर दिन भर धरना स्थल पर बैठी रहती है. सुबह घर का काम जल्दी खत्म कर महिलाएं 11 बजे तक धरना स्थल पहुंच जाती हैं और दिन ढलने के बाद लौटती हैं, पुरुष रात भर धरना स्थल पर ही बिताते हैं. दोपहर में लोगों का खाना भी धरना स्थल पर ही बनता है.

लेकिन शासन-प्रशासन के प्रतिनिधियों ने मानो आंखें मूंद ली है. विभाग के जिम्मेदार केवल इनकी मांगों के प्रति ही लापरवाह नहीं हैं बल्कि प्रदर्शन कर रहे लोगों को परेशान किया जाता है. यह लोग शौचालय का उपयोग ना कर लें इसलिए उन्हें बंद कर दिया जाता है. इससे महिलाओं को काफी परेशानी होती है और उन्हें शौच के लिए काफी दूर जाना पड़ता है. लोगों ने बताया कि विभाग के अधिकारियों ने पहले 6 दिन तो उनकी तरफ देखना भी मुनासिब नहीं समझा. 1 सितंबर को जब प्रदर्शनकारी ज्ञापन सौंपने के लिए पैदल मार्च कर विधायक पंकज सिंह के पास जाना चाहते थे तो पुलिस ने कार्यालय का गेट बंद कर उन्हें रोक दिया. नेतृत्व कर रहे लोगों को बताया गया कि 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शहर में आने वाले हैं लोगों को सड़कों पर इस तरह देखेंगे तो देश की बदनामी होगी. थोड़ी ही देर में धरना स्थल पर भारी संख्या में पुलिस के जवान आ गए और लोगों को गेट से बाहर नहीं निकलने दिया गया.

इसका असर यह रहा कि 2 सितंबर को सिटी मजिस्ट्रेट लोगों से बातचीत के लिए धरना स्थल पहुंचे. बातचीत में समिति को बताया गया कि 2 किलो वाट के अस्थाई प्रीपेड मीटर कनेक्शन दिए जाने का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया गया है, सहमति मिलते ही इसे अमल मे लाया जाएगा. इसके आधार पर अधिकारियों ने धरना प्रदर्शन समाप्त करने को कहा लेकिन लोगों ने साफ जवाब दे दिया कि जब तक हमें बिजली नहीं मिल जाती धरना चलता रहेगा और अभी भी लोगों का प्रदर्शन जारी है.

कॉलोनियों को जाने वाले रास्तों को भी लोगों ने खुद चंदा इकट्ठा कर बनाया है. सड़क, नाली, पानी, सार्वजनिक शौचालय, सार्वजनिक प्याऊ, सीवर, फागिंग, साफ- सफाई जैसी कोई भी सुविधा इन कालोनियों को प्राप्त नहीं है. बिजली नहीं होने के कारण रात के अंधेरे की वजह से खराब रास्तों पर कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. कीड़े- मकोड़े, सांप वगैरह रात के अंधेरे में काट लेते हैं जिसके कारण अभी तक 2 बच्चों सहित 3 की मौत हो चुकी है. जिन लोगों के पास टीवी, फ्रिज, पंखा जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हैं भी वह गत्ते में बांधकर रखे हुए हैं. यहां तक कि यहां के लोगों को मोबाइल चार्ज करने के लिए भी 3 से 4 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.

बिजली की इस जरूरत ने विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों को कमाने का अवसर दे दिया. पास के एक गांव से जुगाड़ के जरिए कनेक्शन दे दिया गया है जिसके सहारे लोग अपनी छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा करते थे. इसके बदले नियमित तौर पर धन उगाही की जाती थी. स्थानीय अखबार के मुताबिक डूब क्षेत्रों में अधिकारियों ने अपने आदमी तैनात कर रखे हैं जो हर महीने वसूली करते हैं, इससे विभाग को हर महीने 4 करोड़ रुपये का नुकसान होता है.

बिजली विभाग के वह कर्मचारी जो इस वसूली का लाभ नहीं पाते थे दल-बल के साथ पहुंचकर तार को भी काट लाते थे और पोल भी उखाड़ देते थे. जब लोग मिन्नतें करते तो ‘आपसी सहमति’ से सारा सामान वापस कर दिया जाता. ऐसा महीने में 5 से 6 बार तक होता था. विभाग के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2018 में 19 में इस क्षेत्र में बिजली काटने वालों पर या अवैध तरीके से बिजली इस्तेमाल करने वालों पर 316 से अधिक एफआईआर दर्ज कराई गई. तथा उक्त एफआईआर के खिलाफ 2.30 करोड़ का राजस्व निर्धारित किया गया है जिसमें से 78 लाख रुपए की वसूली की जा चुकी है. यह केवल एक वर्ष का आंकड़ा है. ध्यान रहे इसमें कर्मचारियों और नागरिकों की “आपसी सहमति“ से वसूले गए जुर्माने को शामिल नहीं किया गया है.

15 सितंबर को भी धरना स्थल से सांसद कार्यालय तक हजारों की संख्या में लोगों ने पैदल मार्च कर उन्हें ज्ञापन सौंपा. जिस का संज्ञान लेते हुए महेश शर्मा ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत वर्मा के नाम पत्र लिखने की औपचारिकता पूरी कर दी. समिति के उपाध्यक्ष गोविंद का कहना है प्रतिबंध के बाद भी डूब क्षेत्रों में कनेक्शन बांटे गए हैं अब हम नेता और अधिकारियों के भरोसे नहीं बैठेंगे हम न्यायालय में जाएंगे.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.)

share & View comments

1 टिप्पणी

  1. Jab registry ho sakti hai rashan card bhi hai or adhar card bhi hai or 5000 parivar established hai to light bhi honi chiya

Comments are closed.