कोलकाता, 13 फरवरी (भाषा) तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने बृहस्पतिवार को फिर दोहराया कि उनकी पार्टी राज्य में ‘एकला चलो’ की नीति को बरकरार रखते हुए वर्ष 2026 में पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव अकेले लड़ेगी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी विपक्षी गुट ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’(इंडिया) का भी हिस्सा बनी रहेगी।
अपने निर्वाचन क्षेत्र डायमंड हार्बर के सतगछिया में एक निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर ‘सेबाश्रय’ में बोलते हुए बनर्जी ने कहा कि तृणमूल ने अतीत में स्वतंत्र रूप से सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा है और आगे भी ऐसा ही करती रहेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘दीदी (ममता बनर्जी) पहले ही स्पष्ट कर चुकी हैं कि हम बंगाल में अकेले लड़ेंगे। यह कोई नई बात नहीं है। हमने 2014, 2016, 2019 और 2024 में अकेले चुनाव लड़ा था। हमने तब अच्छा प्रदर्शन किया और हम फिर से ऐसा करेंगे।’’
बनर्जी ने उन दावों को खारिज कर दिया कि कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से बंगाल में लोकसभा चुनावों में भाजपा को 12 सीट जीतने से रोका जा सकता था। उन्होंने कहा, ‘‘आखिरकार, यह लोगों का समर्थन है जो मायने रखता है। चाहे हम अकेले लड़ें या गठबंधन में, इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। सबसे अच्छी स्थिति में, दो से चार सीटों का अंतर हो सकता था, इससे ज्यादा कुछ नहीं।’’
वर्ष 2026 में संभावित गठबंधनों के बारे में पूछे जाने पर बनर्जी ने चर्चा के लिए दरवाजा खुला रखा लेकिन पार्टी के मौजूदा रुख पर अडिग रहे। उन्होंने कहा, ‘‘हम एक बड़े उद्देश्य के लिए ‘इंडिया’ गुट का हिस्सा हैं। लेकिन बंगाल में हमने हमेशा अकेले लड़ाई लड़ी है और जीत हासिल की है। हम फिर से ऐसा करेंगे।’’
दिल्ली में हाल ही में आम आदमी पार्टी (आप) की हार का जिक्र करते हुए बनर्जी ने तर्क दिया कि भाजपा के ‘झूठे विमर्श’ इसलिए प्रबल हुए क्योंकि आप उनका प्रभावी ढंग से मुकाबला करने में विफल रही।
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, ‘‘उन्होंने दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दिया और फिर दुष्प्रचार किया कि आप सरकार निकम्मी है। उन्होंने मुख्यमंत्री और मंत्रियों को सलाखों के पीछे डाल दिया। फिर वे कैसे काम करेंगे?’’
ममता बनर्जी ने इससे पहले कहा था कि कांग्रेस और आप के बीच समन्वय की कमी ने दिल्ली में भाजपा की जीत में योगदान दिया, लेकिन उनके इस दृष्टिकोण से बनर्जी पूरी तरह सहमत नहीं हैं।
अभिषेक बनर्जी ने इस स्थिति की पश्चिम बंगाल से तुलना करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र ने जानबूझकर राज्य के लिए निर्धारित धन रोक लिया और फिर तृणमूल सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘ उन्होंने बंगाल में भी बिल्कुल वही किया। उन्होंने धन भेजने का दावा किया जबकि हम पर इसे रोकने का आरोप लगाया गया। हमने 50 लाख लोगों से संपर्क किया, सच्चाई बताई और केंद्र से श्वेत पत्र मांगा, जिसे वे पेश करने में विफल रहे।’’
वर्ष 2026 के चुनावों के बाद ‘लक्ष्मी भंडार’ योजना के तहत मासिक भत्ता बढ़ाकर 3,000 रुपये करने के भाजपा के वादे पर बनर्जी ने मजाक उड़ाते हुए कहा, ‘‘वही लोग जिन्होंने कभी कहा था कि वे ‘लक्ष्मी भंडार’ को खत्म कर देंगे, अब राशि बढ़ाने का वादा कर रहे हैं। यह ‘मां-माटी-मानुष’ विचारधारा की जीत है।’’
केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बनर्जी ने इसे ‘बंगाल विरोधी’ करार दिया।
तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा विपक्ष की आवाज बंद करने की कोशिश कर रही है।
इससे पहले दिन में वक्फ विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट राज्यसभा में पेश की गई। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि रिपोर्ट से असहमति जताने वाले नोट हटा दिए गए।
लेकिन इस आरोप का केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने खंडन किया। वक्फ (संशोधन) विधेयक पर जेपीसी रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर बनर्जी ने कहा, ‘‘वे यही करते हैं। आपने देखा कि वे किस तरह विपक्ष की आवाज को दबाते हैं। ठीक है, देखते हैं, क्या होता है। जनता देख रही है।’’
राज्य विधानसभा में बुधवार को पेश किए गए पश्चिम बंगाल के बजट की आलोचना पर बनर्जी ने कहा, ‘‘जो लोग इसे दिशाहीन कहते हैं, उन्हें पहले इसे पढ़ना चाहिए। बिना समझे आलोचना करना एक चलन बन गया है।’’
बनर्जी ने उन्हें ‘खाली बर्तन’ करार देते हुए आरोप लगाया कि उनके पास केंद्रीय बजट में बंगाल को देने के लिए ‘कुछ भी नहीं’ है।
केंद्रीय बजट में आयकर में छूट की केंद्र सरकार की घोषणाओं की आलोचना करते हुए बनर्जी ने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा 12 लाख रुपये तक की आय पर कर छूट की बात कर रही है, लेकिन पानी को छोड़कर हर चीज पर जीएसटी लगाया गया है। वे जो भी देते हैं, जीएसटी के जरिए वापस ले लेते हैं।’’
भाषा संतोष पवनेश
पवनेश
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