नयी दिल्ली, 24 मई (भाषा) जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम आतंकवादी हमले से बुरी तरह प्रभावित केंद्र शासित प्रदेश के पर्यटन क्षेत्र को फिर से पटरी पर लाने के लिए शनिवार को एक दोहरा दृष्टिकोण प्रस्तावित किया। अब्दुल्ला ने केंद्र से आग्रह किया कि वह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को कश्मीर में बैठकें आयोजित करने का निर्देश दे तथा संसदीय समिति की बैठकें वहां आयोजित की जाएं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की शासी परिषद की बैठक में अब्दुल्ला ने पाकिस्तान की ओर से हाल ही में की गई गोलाबारी का मुद्दा भी उठाया जिसमें पुंछ, राजौरी और उत्तरी कश्मीर में 23 लोगों की जान चली गई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निवासियों के लिए निजी बंकरों का निर्माण आवश्यक है।
महत्वपूर्ण पर्यटन क्षेत्र पर हाल की घटनाओं के गंभीर प्रभाव को स्वीकार करते हुए अब्दुल्ला ने प्रस्ताव दिया कि तत्काल कदम के रूप में सरकार को अपने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को निर्देश देना चाहिए कि वे अपनी बैठकें कश्मीर में आयोजित करें।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में संसदीय सलाहकार समिति और संसदीय स्थायी समिति की बैठकें आयोजित करने की भी जोरदार वकालत की।
उन्होंने कहा कि सरकार के इन ठोस प्रयासों से जनता का भय काफी हद तक कम होगा, सुरक्षा और विश्वास की नयी भावना पैदा होगी और अंततः कश्मीर घाटी में पर्यटन के फिर से पटरी पर लाने का मार्ग प्रशस्त होगा, जिससे बहुप्रतीक्षित आर्थिक राहत मिलेगी और सामान्य स्थिति बहाल होगी।
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण के दौरान 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के खिलाफ जनता के विरोध की सराहना की, साथ ही क्षेत्र की सुरक्षा, पर्यटन और आर्थिक पुनरुद्धार के लिए केंद्र का ध्यान आकर्षित किया।
पहलगाम के बाद की सुरक्षा चुनौतियों ने जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, विशेष रूप से इसके महत्वपूर्ण पर्यटन क्षेत्र को – जो इस क्षेत्र में कई लोगों के लिए आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
अब्दुल्ला ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्र पहलगाम नरसंहार में जान गंवाने वालों पर शोक मना रहा है, लेकिन सीमापार से गोलाबारी में जान गंवाने वाले 23 लोगों को भी नहीं भूलना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण की शुरुआत पहलगाम नरसंहार के बाद जम्मू कश्मीर के लोगों द्वारा की गई व्यापक निंदा की सराहना करते हुए की। पहलगाम आतंकवादी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी।
उन्होंने पहलगाम हमले के बाद देश के बाकी हिस्सों में असामाजिक तत्वों द्वारा निशाना बनाए गए कश्मीरियों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण सहायता के लिए प्रधानमंत्री सहित केंद्रीय नेतृत्व के प्रति आभार भी व्यक्त किया।
उन्होंने कहा, ‘जब पहलगाम नरसंहार के पीड़ितों को याद किया जाता है, तो राष्ट्र को उन 23 लोगों को भी नहीं भूलना चाहिए, जिन्होंने सीमापार से गोलाबारी में अपनी जान गंवा दी, क्योंकि वे भी पाकिस्तान की गोलाबारी में मारे गए।’’
अब्दुल्ला ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) से लगे संवेदनशील क्षेत्रों में नागरिक सुरक्षा को मजबूत करने के वास्ते निवासियों के लिए निजी बंकरों के निर्माण की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।
भाषा अमित देवेंद्र
देवेंद्र
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.