नई दिल्ली: भारत के चुनाव आयोग (ईसी) ने सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया तो वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) से ये दर्जा वापिस ले लिया गया.
दरअसल, इन तीनों पार्टियों का वोट शेयर देशभर में 6 प्रतिशत से कम हुआ है. हालांकि, एनसीपी और टीएमसी को नागालैंड और मेघालय में राज्य पार्टी के रूप में मान्यता मिली है.
इसी बीच खुशी ज़ाहिर करते हुए आप के संयोजक और अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया.
इतने कम समय में राष्ट्रीय पार्टी? ये किसी चमत्कार से कम नहीं। सबको बहुत बहुत बधाई
देश के करोड़ों लोगों ने हमें यहाँ तक पहुँचाया। लोगों को हमसे बहुत उम्मीद है। आज लोगों ने हमें ये बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी दी है
हे प्रभु, हमें आशीर्वाद दो कि हम ये ज़िम्मेदारी अच्छे से पूरी करें
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) April 10, 2023
उन्होंने कहा, ”इतने कम समय में राष्ट्रीय पार्टी? ये किसी चमत्कार से कम नहीं. सबको बहुत बहुत बधाई. देश के करोड़ों लोगों ने हमें यहां तक पहुंचाया. लोगों को हमसे बहुत उम्मीद है. आज लोगों ने हमें ये बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी दी है. हे प्रभु, हमें आशीर्वाद दो कि हम ये ज़िम्मेदारी अच्छे से पूरी करें.”
नेशनल पार्टी बनने के लिए आप को गुजरात या हिमाचल में 6 प्रतिशत से ज्यादा वोट शेयर पाने की ज़रूरत थी, लेकिन उसे गुजरात में करीब 13 फीसदी वोट शेयर मिले.
आम आदमी पार्टी इससे पहले दिल्ली, पंजाब और गोवा में 6 फीसदी से ज्यादा वोट शेयर हासिल कर चुकी है.
चुनाव आयोग ने पीडीए (मणिपुर), पीएमके (पुडुचेरी), रालोद (उत्तर प्रदेश), आरएसपी (पश्चिम बंगाल) और एमपीसी (मिजोरम) से राज्य पार्टी का दर्जा वापस ले लिया गया है.
नागालैंड में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), मेघालय में वॉइस ऑफ द पीपल पार्टी और त्रिपुरा में तिपरा मोथा को मान्यता प्राप्त राज्य राजनीतिक दल का दर्जा दिया गया है.
चुनाव आयोग ने इसके अलावा रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी को पश्चिम बंगाल में एक राज्य पार्टी के रूप में मान्यता दी है.
इसके अलावा क्षेत्रीय दलों में निर्वाचन आयोग ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) से आंध्र प्रदेश में राज्य पार्टी का दर्जा वापस ले लिया है.
गौरतलब है कि किसी पार्टी को नेशनल पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में 6 फीसदी वोट हासिल करना ज़रूरी होता है. लोकसभा की कुल सीटों में से 2 फीसदी सीटें कम से कम तीन राज्यों से मिली हों और पार्टी को चार राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा मिला हो.
साल 2019 से अब तक चुनाव आयोग ने 16 राजनीतिक दलों के स्टेटस को अपग्रेड किया है और 9 राष्ट्रीय/राज्य राजनीतिक दलों के करंट स्टेटस को वापस लिया है.
चुनाव आयोग के मुताबिक, ये पार्टियां आगे के चुनावी चक्र में प्रदर्शन के आधार पर राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा वापस हासिल कर सकती हैं.
राष्ट्रीय पार्टी को विशिष्ट चुनाव चिन्ह का आवंटन किया जाता है. राष्ट्रीय पार्टी के चुनाव चिन्ह को पूरे देश में किसी अन्य पार्टी के द्वारा प्रयोग नहीं किया जा सकता है.
मान्यता प्राप्त ‘राज्य और राष्ट्रीय’ दलों को नामांकन दाखिल करने के लिए केवल एक प्रस्तावक की ज़रूरत होती है.
राज्य और राष्ट्रीय दल चुनाव प्रचार के दौरान 40 स्टार प्रचारक तक रख सकते हैं जबकि अन्य पार्टियां 20 स्टार प्रचारकों को रख सकतीं हैं. स्टार प्रचारकों का यात्रा खर्च उनकी पार्टी के उम्मीदवारों के चुनाव खर्च के हिसाब में नहीं जोड़ा जाता है.
चुनाव के कुछ समय पहले उन्हें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर टेलीविजन और रेडियो प्रसारण करने की अनुमति दी जाती है ताकि वे अपनी बात को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहंचा सकें.
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