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Wednesday, 29 January, 2025
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दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधिकरण ने पन्नू के एसएफजे पर लगाए गए प्रतिबंध को बढ़ाया

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नयी दिल्ली, 29 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधिकरण ने अमेरिका में वकील गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा स्थापित खालिस्तान समर्थक अलगाववादी समूह ‘सिख फॉर जस्टिस’ (एसएफजे) पर लगाए गए पांच साल के प्रतिबंध को संगठन की विध्वंसकारी गतिविधियों को देखते हुए बढ़ाए जाने की पुष्टि की है।

इन गतिविधियों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल को धमकियां देना शामिल है।

गृह मंत्रालय (एमएचए) ने पिछले साल 10 जुलाई को एसएफजे पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) 1967 के तहत लगाए गए पांच साल के प्रतिबंध को इसकी निरंतर भारत विरोधी गतिविधियों को देखते हुए बढ़ा दिया था।

न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता की अध्यक्षता वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधिकरण का गठन दो अगस्त को किया गया था, ताकि यह निर्णय लिया जा सके कि एसएफजे को गैरकानूनी संगठन घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं। न्यायाधिकरण ने तीन जनवरी को एक आदेश जारी कर एसएफजे पर प्रतिबंध को 10 जुलाई से पांच और वर्षों के लिए बढ़ाने की पुष्टि की। यह आदेश बुधवार को उपलब्ध हुआ।

सरकार ने न्यायाधिकरण को बताया कि भारत की आंतरिक सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए हानिकारक गतिविधियों में एसएफजे की संलिप्तता से भारत की शांति, एकता, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को खतरा है।

न्यायाधिकरण को बताया गया कि प्रतिबंधित संगठन की गतिविधियां देश में अन्य अलगाववादियों, आतंकवादियों और कट्टरपंथी तत्वों के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई हैं।

न्यायाधिकरण को यह भी बताया गया कि एसएफजे भारत की भूमि से तथाकथित ‘खालिस्तान’ राज्य बनाने के लिए पंजाब में अलगाव की विचारधारा, चरमपंथ और आतंकवाद का समर्थन करता है।

सरकार ने कहा कि एसएफजे भारत के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, विदेश मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्रियों, एनएसए और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) प्रमुख जैसे संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों को भी धमकियां देता है।

सरकार ने न्यायाधिकरण को यह भी बताया कि पन्नू ने विदेशों में भारतीय दूतावासों और राजनयिकों को निशाना बनाया है और वह सोशल मीडिया के माध्यम से भारतीय सेना के सिख सैनिकों को विद्रोह के लिए भड़काने की कोशिश कर रहा है।

न्यायाधिकरण के समक्ष कार्यवाही लंबित रहने के दौरान भी एसएफजे ने कनाडा में पूर्व भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा को निशाना बनाया तथा कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाया।

इसके अलावा भारत में वर्मा की गतिविधियों पर नज़र रखने वाले किसी भी व्यक्ति को 5,00,000 अमेरिकी डॉलर का इनाम देने की पेशकश की गई थी, जो दर्शाता है कि एसएफजे और इसके नेता पन्नू का भारतीय संविधान के प्रति कोई सम्मान नहीं है और उन्होंने भारत के संप्रभु प्राधिकारों का अपमान किया है।

न्यायाधिकरण को यह भी बताया गया कि खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि एसएफजे और पन्नू एक ऑनलाइन अभियान, तथाकथित ‘रेफरेंडम 2020’ के माध्यम से भारत के खिलाफ एक एजेंडे में भी शामिल रहे, जिसका उद्देश्य ‘खालिस्तान’ का निर्माण करना है।

भाषा शोभना वैभव

वैभव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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