नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) दिल्ली में एक कारोबारी से जमीन घोटाले में 95 लाख रुपये की ठगी करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी व्यक्ति गिरफ्तारी से बचने के लिए हरिद्वार में रह रहा था और खुद को समाजसेवी बताता था। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
पुलिस के मुताबिक, आरोपी की पहचान धर्मेंद्र अग्रवाल (50) के रूप में हुई है। धर्मेंद्र ने अपने परिवार और समुदाय से पूरी तरह नाता तोड़ लिया था और हरिद्वार के एक आश्रम में वास्तविक पहचान छिपाकर रह रहा था। पकड़े जाने से बचने के लिए वह खुद को समाजसेवी व्यक्ति बताता था।
पुलिस उपायुक्त (अपराध) विक्रम सिंह ने कहा, ‘‘यह मामला नवंबर 2015 का है जब बालेश जैन ने आरोप लगाया था कि अग्रवाल ने उनसे गाजियाबाद के प्रताप विहार में एक आवासीय प्लॉट का मालिक होने का दावा कर उसे बेचने का प्रस्ताव दिया था।’’
पुलिस अधिकारी ने बताया कि दोनों के बीच 1.05 करोड़ रुपये में सौदा तय हुआ, जिसमें से जैन ने तीन चेकों के माध्यम से 95 लाख रुपये का भुगतान किया।
पुलिस उपायुक्त के मुताबिक, मई 2016 में प्रीत विहार स्थित एसडीएम अदालत में बिक्री के लिए एक समझौता किया गया था। यह सहमति हुई थी कि शेष 10 लाख रुपये का भुगतान प्लॉट का कब्जा सौंपते समय किया जाएगा और अन्य दस्तावेजों का निष्पादन दिसंबर 2019 तक पूरा हो जाना चाहिए।
शिकायतकर्ता द्वारा लेनदेन पूरा करने के बार-बार प्रयास के बावजूद, अग्रवाल ने कथित तौर पर कोविड-19 महामारी का हवाला देते हुए उसमें देरी की।
पुलिस उपायुक्त ने कहा, ‘‘ जुलाई 2022 में, शिकायतकर्ता ने बिक्री विलेख के निष्पादन की मांग करते हुए एक कानूनी नोटिस भेजा। जवाब में, अग्रवाल ने कथित तौर पर अतिरिक्त 40 लाख रुपये की मांग की और धमकियां दीं। इसके बाद 2023 में लक्ष्मी नगर थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया गया।’’
जब अग्रवाल बार-बार नोटिस के बावजूद जांच में शामिल नहीं हुआ तो उसे 15 जुलाई 2025 को भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया गया।
पुलिस ने 16 जुलाई को अग्रवाल को हरिद्वार के बैरागी शिविर में खोज निकाला। वह एक आश्रम में रहता था और खुद को समाज सेवा में लगा हुआ बताता था।
भाषा रवि कांत नेत्रपाल
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