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Sunday, 3 November, 2024
होमदेश‘बृजभूषण जैसा आदमी दोबारा जीत गया है’, WFI अध्यक्ष के चुनाव परिणाम के बाद साक्षी मलिक ने लिया संन्यास

‘बृजभूषण जैसा आदमी दोबारा जीत गया है’, WFI अध्यक्ष के चुनाव परिणाम के बाद साक्षी मलिक ने लिया संन्यास

रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद के लिए आज हुए चुनाव में संजय कुमार सिंह को जीत मिली. संजय सिंह का मुकाबला कॉमन वेल्थ गेम में गोल्ड मेडल जीत चुकी अनीता श्योराण से था.

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नई दिल्ली: रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद पर बृजभूषण शरण सिंह के सहयोगी संजय सिंह की जीत के बाद महिला पहलवान साक्षी मलिक ने अपने संन्यास की घोषणा कर दी है. साक्षी ने मीडिया से कहा, “मैं अब कुश्ती से संन्यास ले रही हूं. चुनाव में बृजभूषण जैसा व्यक्ति फिर से जीत गया. हम 40 दिनों तक सड़कों पर सोए और देश के कई हिस्सों से लोगों ने आकर हमारा समर्थन किया. यहां तक की हमारा समर्थन करने बूढ़ी महिलाएं तक आईं. ऐसे लोगों ने हमें अपना समर्थन दिया जिनके पास खाने-कमाने के पैसे नहीं हैं. लेकिन हम जीत नहीं पाए. हम सबका धन्यवाद करते हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “हमने पूरे दिल से लड़ाई लड़ी, लेकिन अध्यक्ष पद पर बृजभूषण का करीबी और उसका सहयोगी जीत गया. मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. वो न्याय करेंगे. सरकार ने जो वादा किया था, वो उसे पूरा करने में पूरी तरह से विफल रही हैं.”

साक्षी मलिक के संन्यास की घोषणा के बाद उनके साथ धरने पर बैठी एक और महिला पहलवान विनेश फोगाट भावुक हो गईं. फोगाट ने कहा, “यह एक दुखद समय है. हमने लड़ाई लड़ी, लेकिन हम जीत नहीं पाए. मुझे नहीं मालूम कि न्याय कैसे मिलेगा, लेकिन हमने न्याय के लिए आवाज उठाई. मैं युवा एथलीटों से कहना चाहती हूं कि वो अन्याय के लिए तैयार रहें. भारतीय कुश्ती का भविष्य अंधकार में है.”

बता दें कि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद के लिए आज हुए चुनाव में संजय कुमार सिंह को जीत मिली. संजय सिंह का मुकाबला कॉमन वेल्थ गेम में गोल्ड मेडल जीत चुकी अनीता श्योराण से था. अनीता श्योराण महिला पहलवानों के यौन शोषण मामले में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ गवाह भी हैं, लेकिन उन्हें संजय सिंह के 40 वोटों के मुकाबले सिर्फ 7 वोट मिले.

साल 2011 से रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद पर बृजभूषण शरण सिंह का कब्जा था, लेकिन इस साल जब महिला पहलवानों ने उनपर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया तो उन्हें इस पर से हाथ धोना पड़ा था.


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