नयी दिल्ली, 17 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश संजय किशन कौल ने शनिवार को कहा कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच थोड़ा बहुत मतभेद अच्छा है क्योंकि इससे लोकतंत्र में नियंत्रण और संतुलन बना रहता है।
सांसदों को ‘संसद रत्न पुरस्कार’ प्रदान करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि लोकतंत्र में नियंत्रण और संतुलन का संविधान में उल्लेख किया गया है जिसके तहत एक प्रशासन, एक विधायिका और अदालत का प्रावधान किया गया है।
न्यायमूर्ति कौल ने एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश का हवाला देते हुए कहा, ‘‘थोड़ा बहुत मतभेद अच्छा है लेकिन यदि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच चीजें बहुत अच्छी नहीं हैं, तो हमारे लिए यह एक समस्या है।’’
तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर, गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
चेन्नई के गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘प्राइम प्वाइंट फाउंडेशन’ द्वारा शनिवार को यहां 12 सांसदों और तीन संसदीय समितियों को संसद रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
संसद रत्न पुरस्कार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सुधीर गुप्ता और सुकांत मजूमदार, शिवसेना के श्रीकांत एकनाथ शिंदे, कांग्रेस के कुलदीप राय शर्मा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अमोल कोल्हे को प्रदान किए गए।
सत्रहवीं लोकसभा के लिए संसद महारत्न पुरस्कार आरएसपी के एन.के. प्रेमचंद्रन, कांग्रेस अधीर रंजन चौधरी (कांग्रेस), भाजपा के विद्युत बरन महतो और हीना गावित को प्रदान किए गए।
संसद उत्कृष्ट महारत्न पुरस्कार राकांपा की सुप्रिया सुले, शिवसेना के श्रीरंग अप्पा बर्णे और बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब को दिए गए।
तीनों पुरस्कार विजेताओं को संसद महारत्न पुरस्कार प्राप्त हुआ और उन्हें 17वीं लोकसभा में उनके अनुकरणीय प्रदर्शन के लिए भी सम्मानित किया गया।
भाजपा नेता पी.सी. गद्दीगौदर की अध्यक्षता वाली कृषि पर स्थायी संसदीय समिति, भाजपा के जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त संबंधी स्थायी संसदीय समिति और वाईएसआर कांग्रेस के विजयसाई रेड्डी की अध्यक्षता वाली परिवहन और पर्यटन समिति को संसद महारत्न पुरस्कार दिये गये।
संसदीय समितियों के महत्व को ध्यान में रखते हुए वर्तमान 17वीं लोकसभा से संसद महारत्न पुरस्कारों के लिए इन तीन स्थायी समितियों का चयन किया गया।
संसद रत्न पुरस्कार प्रतिवर्ष उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले सांसदों को, जबकि संसद महारत्न पुरस्कार लोकसभा के कार्यकाल के दौरान प्रदर्शन में निरंतरता के लिए पांच साल में एक बार प्रदान किए जाते हैं।
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देवेंद्र प्रशांत
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