तिरुवनंतपुरम, 23 फरवरी (भाषा) केरल विधानसभा बुधवार को राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री पी विजयन और विपक्षी यूडीएफ सदस्यों के बीच तीखी बहस का गवाह बनी।
कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने जहां केरल के ‘गुंडों के गलियारे’ में तब्दील होने का आरोप लगाया। वहीं, विजयन ने राज्य में दंगों के लिए सांप्रदायिक ताकतों के साथ यूडीएफ को भी कसूरवार ठहराया।
शून्यकाल के दौरान विपक्ष ने वाम सरकार के सत्ता में आने के बाद राज्य में महिलाओं के खिलाफ हत्या, हिंसा और हमलों की कथित तौर पर बढ़ती घटनाओं पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस पेश किया।
हालांकि, विजयन ने आरोपों को ‘बेबुनियाद’ बताते हुए कहा कि केरल देश के उन राज्यों में से एक है, जहां कानून-व्यवस्था बेहद मजबूत स्थिति में है और राज्य पुलिस समाज में हर तरह के अत्याचारों और गलत हरकतों के खिलाफ कड़े कदम उठा रही है।
उन्होंने बताया कि अगर पिछली यूडीएफ सरकार के पांच साल के कार्यकाल के दौरान राज्य में हत्या के 1,677 मामले दर्ज किए गए थे तो 25 मई 2016 से नौ मई 2021 तक एलडीएफ सरकार में ऐसे 1,516 मामले सामने आए थे।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मौजूदा सरकार के सत्ता में आने के बाद राज्य में राजनीतिक हत्याओं के महज छह मामले दर्ज किए गए और इन मामलों में कुल 92 आरोपियों में से 73 के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा चुकी है।’
केरल में मौजूदा सरकार में सामने आए राजनीतिक हत्या के छह में से तीन मामलों में भाजपा-आरएसएस कार्यकर्ताओं के आरोपी पाए जाने की ओर इशारा करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि बाकी घटनाओं में एसडीपीआई कार्यकर्ता और कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हैं।
विजयन ने कहा, ‘आप (कांग्रेस-यूडीएफ) और सांप्रदायिक ताकतें राज्य में दंगे भड़काने के लिए जिम्मेदार हैं। सांप्रदायिक ताकतों की कोशिशों को बेनकाब करने के बजाय आप इन घटनाओं को लेकर सरकार पर आरोप लगाकर किसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं?’
उन्होंने आरोप लगाया कि केरल में यूडीएफ, भाजपा और एसडीपीआई राज्य को संघर्ष क्षेत्र में बदलने के लिए तैयार थे, लेकिन पुलिस ऐसी घटनाओं पर कड़ा रुख अपना रही है और सभी दोषियों को गिरफ्तार कर रही है।
हालांकि, स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस देने वाले आईयूएमएल के एन शमसुधीन ने आरोप लगाया कि हत्यारे और गुंडे राज्य में हिंसा कर रहे हैं तथा पुलिस और गृह विभाग का उन पर कोई नियंत्रण नहीं है।
उन्होंने राज्य सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हाल ही में राजनीतिक रूप से अस्थिर कन्नूर जिले में भाजपा कार्यकर्ता द्वारा कथित तौर पर मारे गए अपनी पार्टी के सदस्य के हरिदासन की रक्षा भी नहीं कर सके।
वहीं, सदन में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने कहा कि वाम सरकार राज्य में लोगों के जीवन और संपत्ति को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने में बुरी तरह से नाकाम रही है।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारी माकपा के जिला और क्षेत्रीय सचिवों के नियंत्रण में थे तथा पार्टी नेताओं के अनुचित हस्तक्षेप के कारण कानून लागू करने वाले अपना कर्तव्य निभाने में असमर्थ थे।
यूडीएफ के कारण केरल में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने के मुख्यमंत्री के आरोपों को ‘मजाक’ करार देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि एलडीएफ शासन के तहत पूरा राज्य ‘गुंडों का गलियारा’ बन गया है।
यूडीएफ ने बाद में विधानसभा अध्यक्ष एमबी राजेश द्वारा स्थगन प्रस्ताव की अनुमति देने से इनकार करने पर सदन से वॉकआउट किया।
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