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मंगलवार, 29 अप्रैल, 2025
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अहमदाबाद में कब्रिस्तान में चल रही चाय की दुकान पेश कर रही अलग मिसाल

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(फोटो के साथ)

(जतिन टक्कर)

अहमदाबाद, 23 नवंबर (भाषा) अहमदाबाद में चाय की एक दुकान बड़ी खास है। खास इसलिए कि यह एक मुस्लिम कब्रिस्तान में बनी हुई है, खास इसलिए कि इसे एक मुसलमान चलाता है, लेकिन चाय के साथ केवल शाकाहारी खाद्य पदार्थ बेचता है। इसकी खासियत यह भी है कि यहां प्रसिद्ध चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन की एक पेंटिंग लगी हुई है।

मुस्लिम बहुल इलाके में स्थित लकी टी स्टॉल पर हर धर्म के लोग, नौकरीपेशा लोग और छात्र चाय की चुस्की लेने आते हैं। यहां आपको अलग-अलग संप्रदाय की सोच धुंधली नजर आएगी। दरियापुर के रहने वाले सागर भट्ट रोज सुबह मंदिर जाते हैं और वहां से लौटते वक्त यहां चाय पीने रुकते हैं।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कब्रिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘इस जगह चाय पीने का अलग मजा है। इस जगह में कुछ तो खास है।’’

दुकान की एक दीवार पर एम एफ हुसैन की पेंटिंग टंगी है जिस पर रेगिस्तान और ऊंटों के चित्र के साथ पहला कलमा लिखा है।

दुकान चलाने वाले अब्दुल रजाक मंसूरी बड़े फक्र के साथ दावा करते हैं कि यह चाय की इकलौती दुकान है जहां हुसैन की पेंटिंग है। भारत के सबसे महंगे चित्रकारों में शामिल हुसैन की इस पेंटिंग को हर रात उतारा जाता है और सुरक्षित रखा जाता है।

मंसूरी के मुताबिक मुस्लिम बहुल इलाके में छह दशक पुरानी यह दुकान आते-जाते हर आम आदमी के लिए खान-पान का अड्डा है।

गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार के कानफोड़ू शोर से दूर पुराने अहमदाबाद के जमालपुर-खड़िया की यह दुकान बड़ी शांत जगह पर है। हालांकि यहां चुनाव की चर्चा भी होती है।

भट्ट बताते हैं कि इस बार के चुनाव में धार्मिक भावनाओं से ज्यादा व्यापार को प्रभावित करने वाले आर्थिक मुद्दे अहम हैं। निर्माण ठेकेदार भट्ट ने कहा, ‘‘मैं अपने धर्म का पालन कर रहा हूं लेकिन सरकार से उम्मीद करता हूं कि अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाए ताकि मेरा धंधा ठीक चले। हम गुजरातियों के लिए धंधा सबसे पहले।’’

कॉलेज छात्राएं रितू और तान्या को भी इस दुकान पर चाय पीने आना अच्छा लगता है। चुनाव के संदर्भ में बात करने पर पहली बार मतदान करने जा रही तान्या ने कहा, ‘‘मेरे गुजरात में व्यापार का माहौल यहां की यूएसपी है। इसे किसी भी कीमत पर प्रभावित नहीं होने देना चाहिए।’’

मंसूरी ने कहा कि चाय की दुकान नीम के पेड़ के नीचे एक ठेले पर शुरू की गयी थी और काम बढ़ने के साथ ही कब्र के आसपास इसका विस्तार होता गया।

दुकान इतनी मशहूर है कि इसके पास वाला ट्रैफिक सिग्नल लकी चौक के नाम से मशहूर हो गया है।

भाषा वैभव पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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