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बुधवार, 4 जून, 2025
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अभिभावकों का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी से मिला

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नयी दिल्ली, चार जून (भाषा) दिल्ली के 70 से अधिक निजी स्कूलों के विद्यार्थियों का प्रतिनिधित्व करने वाले अभिभावकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को विपक्ष की नेता आतिशी से मुलाकात की और प्रस्तावित दिल्ली शुल्क विनियमन विधेयक, 2025 पर चिंता व्यक्त की।

एक बयान के अनुसार, ‘यूनाइटेड पैरेंट्स वॉयस (यूपीवी)’ नामक एक संगठन के तहत इस समूह ने विद्यार्थियों और अभिभावकों के सामने आने वाली कई चुनौतियां सामने रखी हैं जिनमें फीस के चलते होने वाली मानसिक परेशानी, नीति-निर्माण में परामर्श नहीं किया जाना और स्कूल शुल्क संरचनाओं में पारदर्शिता की जरूरत शामिल है।

फीस संबंधी मुद्दों का समाधान नहीं होने के चलते कुछ विद्यार्थियों को स्कूल पंजिका से नाम हटाये जाने, कक्षाओं में प्रवेश से रोके जाने या स्कूल संवाद चैनलों से निकाले जाने जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। कुछ मामलों में, उन्होंने दावा किया कि शैक्षणिक परिणाम रोक दिये गये, जिससे बच्चों में भावनात्मक तनाव पैदा हो गया।

प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि दिल्ली शुल्क विनियमन विधेयक का मसौदा तैयार करने में अभिभावक संघों के सुझावों को शामिल नहीं किया गया, जबकि अभिभावक शिक्षा प्रक्रिया में प्रमुख हितधारक हैं।

आतिशी ने प्रतिनिधिमंडल को अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया।

बैठक के बाद उन्होंने कहा, ‘‘हम विधानसभा और मीडिया समेत सभी उपलब्ध मंचों के माध्यम से इस मुद्दे को उठाएंगे।’’

उन्होंने शिक्षा में सुधारों के लिए पारदर्शी और भागीदारीपूर्ण दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया।

आतिशी ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने लंबे समय से जन-केंद्रित मुद्दों का समर्थन किया है तथा वह अभिभावकों और विद्यार्थियों के साथ खड़ी रहेगी।

प्रतिनिधिमंडल ने प्रमुख मांगों की एक सूची सौंपी, जिसमें प्रस्तावित विधेयक और अध्यादेश को अस्थायी रूप से निलंबित करना, न्यूनतम 30-दिवसीय सार्वजनिक परामर्श अवधि, 2019 से अस्वीकृत शुल्क वृद्धि को वापस लेना और शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी मौजूदा दिशानिर्देशों को सख्ती से लागू करना शामिल है।

इससे पहले दिन में, दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने 100 दिनों के काम की रिपोर्ट पेश करते हुए एक प्रेसवार्ता में कहा था,‘‘नये पेश किये गये दिल्ली स्कूल शिक्षा पारदर्शिता विधेयक ने निजी स्कूलों में मनमानी पर अंकुश लगाया है। अभिभावकों को अब विशिष्ट दुकानों से वर्दी या किताबें खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।’’

सूद ने कहा, ‘‘27 साल तक निजी स्कूलों पर कोई अंकुश नहीं लगा, लेकिन हमारी सरकार ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाये।’’

भाषा राजकुमार रंजन

रंजन

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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