पुणे: पुणे के शुकरवार पेठ स्टैंड के पास स्थित प्रेस्टीज प्वाइंट नाम का एक वाणिज्यिक परिसर है. भवन के सामने हार्डवेयर, लेजर कटिंग और प्लास्टिक की दुकानें हैं.
कुछ किलोमीटर दूर लाल बहादुर शास्त्री रोड पर इंदुलाल कॉम्प्लेक्स है, गली-कूचे के बीच में दो दुकानें हैं, जिसमें जंक फूड, फोटोकॉपी, प्रिंटर की दुकानें हैं.
इन इमारतों के बारे में कुछ भी उल्लेखनीय नहीं है. यह कोचिंग हब की तरह हैं, लगभग एक कारखाने की तरह. जैसे कोटा इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए है, वैसे ही पुणे चार्टर्ड अकाउंटेंट के नए छात्रों के लिए है.
कुछ ही समय में इंदुलाल कॉम्प्लेक्स और प्रेस्टीज प्वाइंट 15 हज़ार कोचिंग सेंटरों, 50 क्लासरूम, स्टडी लैब्स, लाइब्रेरी और यहां तक की काउन्सलिंग सेंटर के लिए घर के जैसा हो गया है, जो कि 1000 छात्रों के सीए की तैयारी की मेजबानी प्रतिदिन कर रहा है. बड़े कोचिंग सेंटर प्रतिवर्ष 10 करोड़ से ज़्यादा का बिज़नेस कर रहे हैं, जो कि इसको बड़ा बिज़नेस बना रहे हैं.
इंदुलाल कॉम्प्लेक्स से नाता रखने वाले एकतव्य एकेडेमी के सह-संस्थापक, सुचरैत राजध्यक्ष ने कहा, ‘जिस तरह से ये आगे बढ़ रहे हैं, कोटा के शुरुआती वर्षों की याद दिलाते हैं.’
हालिया घटना
ये कोचिंग हब काफी नए हैं, पिछले एक दशक में आगे बढ़े हैं. क्योंकि शिक्षक प्रतिद्वंदिता में नयी-नयी कोचिंग खोलते रहे हैं. अपने छात्रों को साथ ले जाते रहे हैं.
पूर्व छात्र कहते हैं कि ये सब एक एकेडेमी से शुरू हुआ था. जावरे प्रोफेशनल एकेडेमी, जो कि इंदुलाल कॉम्प्लेक्स में स्थित है. इसकी वेबसाइट दावा करती है कि एकेडेमी की स्थापना 1973 में हुई थी और इसका सीए के 9,000 भूतपूर्व छात्रों का आधार है.
31 वर्षीय पुष्कर सबने जो कि कार्यरत सीए हैं, कहते हैं कि जब मैं विद्यार्थी था, तब इंदुलाल कॉम्प्लेक्स में मात्र एक क्लास हुआ करती थी. लेकिन धीरे-धीरे कुछ वर्षों में नये-नये कोचिंग संस्थान इंदुलाल कॉम्प्लेक्स के आस-पास खुल गए. यह पहले से भी विद्यार्थियों का केंद्र रहा है.
छात्रों को सभी सीए विषयों की तैयारी करने के लिए साइन अप करना पड़ता था, और हर दिन लंबे समय तक कक्षाओं में भाग लेना पड़ता था. सांस्कृतिक रूप से भी जावरे कोचिंग सेंटर एक कॉलेज की तरह बन गया था, जिसमें वार्षिक खेल दिवस और पिकनिक होता था.
वर्ष 2000 के मध्य में चार्टर्ड अकाउंटेंट वीके अग्रवाल ने इंदुलाल कॉम्प्लेक्स के सामने अपनी कक्षाएं शुरू की थीं. और विषय-वार शिक्षण की शुरुआत की, जिसमें लेखांकन और वित्तीय प्रबंधन जैसे विषयों ने कई छात्रों को आकर्षित किया.
धीरे-धीरे और अधिक प्रोफेसर अपने खुद के विषय-वार कक्षाओं के साथ आए और अपने संबंधित विषयों में ब्रांड बन गए.
चूंकि इंदुलाल कॉम्प्लेक्स में अब जगह नहीं बची थी, इसलिए इनमें से कुछ केंद्र अपेक्षाकृत नये और सस्ते प्रेस्टीज पॉइंट पर स्थानांतरित हो गए.
सब जगह के छात्र
किसी समय में इन दोनों बिल्डिंगों में पांच से छह बड़े कोचिंग सेंटर में सीए परीक्षा के पहले स्तर की परीक्षा (कॉमन प्रोफिशिएंसी टेस्ट के रूप में जाना जाने वाला फाउंडेशन कोर्स) के लिए 500 से 800 छात्र भाग लेते थे. दूसरे स्तर (इंटरमीडिएट व्यावसायिक योग्यता पाठ्यक्रम) की परीक्षा के लिए 300 छात्र पढ़ते थे. सीए फाइनल के लिए लगभग 200 छात्र अध्ययन करते थे.
इंदुलाल कॉम्प्लेक्स के दो प्रमुख एकेडेमी जावरे और एकत्वम में फाउंडेशन कोर्स के लिए लगभग 1,500 से 2,000 छात्र नामांकित हैं. इसके अलावा परिसर में पढ़ने के लिए रीडिंग रूम हैं जो लगभग आधी रात तक खुले रहते हैं.
छात्रों का कहना है कि सीए इंटरमीडिएट और सीए फाइनल के छात्र ज्यादातर प्रेस्टीज पॉइंट में विषयवार कक्षाएं लेते हैं.
पुणे के गौरव जोशी, जो इस साल की शुरुआत में सीए बने, ने कहा, ‘एक ही छत के नीचे, छात्रों को विभिन्न विषयों की शिक्षा मिलती है, साथ ही साथ काउंसलर, विभिन्न परीक्षाओं के लिए उपयोगी पुस्तकों का स्टॉक भी रहता है, जो कि परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. इस तरह की सुविधाएं इंदुलाल की तुलना में प्रेस्टीज प्वाइंट में अधिक हैं.’
गौरव जोशी ने इंदुलाल के साथ-साथ प्रेस्टीज पॉइंट में भी पढ़ाई की है. उन्होंने कहा, ‘छात्रों के बीच बहुत अधिक विविधता है. यहां आने वाले छात्रों की संख्या में पुणे के छात्रों की संख्या 25-30 प्रतिशत है. महाराष्ट्र के अन्य छोटे शहरों और कस्बों से बहुत अधिक छात्र आते हैं, और कुछ गुजरात और राजस्थान से भी आते हैं.’
पानीपत (हरियाणा) के गगन मिनोचा एक प्रमुख उदाहरण हैं. उन्होंने अपने गृहनगर से सीए फाउंडेशन और इंटरमीडिएट स्तर को पूरा किया, लेकिन पुणे स्थित एक फर्म प्रेस्टीज पॉइंट में आर्टिकलशिप प्राप्त करने के बाद अपने फाइनल की तैयारी के लिए प्रेस्टीज पॉइंट में कक्षाएं लीं.
मिनोचा ने कहा, ‘सभी प्रसिद्ध शिक्षक जो खुद में ब्रांड बन गए हैं, वे प्रेस्टीज पॉइंट में पढ़ाते हैं. लगभग 60 फीसदी छात्र महाराष्ट्र के थे, कई पुणे के बाहर से आते थे. अन्य राज्यों से भी मेरे जैसे कुछ थे.’
बड़ा व्यापार
इमारतें निश्चित रूप से एक समृद्ध व्यवसाय की मेजबानी करती हैं, जो वहां अधिक संख्या में पढ़ने के लिए आने वाले छात्रों की संख्या का कारण हैं.
जबकि कोचिंग सेंटरों का कहना है कि उनके टर्नओवर के लिए आंकड़ों का अनुमान प्राप्त करना मुश्किल है, क्योंकि साल-दर-साल यह आंकड़ा बदलता रहता है, अनुमान है कि प्रति वर्ष 4 करोड़ रुपये से 10 करोड़ रुपये के बीच होता है.
छात्रों का कहना है कि फाउंडेशन कोर्स के लिए फीस 30,000 रुपये से लेकर 35,000 रुपये प्रति वर्ष होती है. इंटरमीडिएट और फाइनल ईयर के लिए 10,000 रुपये से 15,000 रुपये प्रति विषय है. अंतिम वर्ष में आठ और मध्यवर्ती वर्ष में भी आठ विषय होते हैं.
कोचिंग सेंटर पेन ड्राइव क्लासेस की भी पेशकश करते हैं. जहां पूरे लेक्चर्स को पेन ड्राइव पर प्री-लोड किया जाता है, जिसमें छात्र-शिक्षक के बीच बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं होती है. ये 6,000 रुपये से 10,000 रुपये प्रति विषय पर उपलब्ध हैं.
एकत्वम के राजाध्यक्ष ने कहा कि दोनों परिसरों ने अतिथि आवास, हॉस्टल, फूड हॉल, बुक शॉप, फोटो कॉपी, स्टेशनरी की दुकानें और आस-पास के क्षेत्र में छात्र जीवन का एक संपूर्ण ईको-सिस्टम तैयार किया है.
इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.