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दिल्ली में 98वां मराठी साहित्य महोत्सव शुरू

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नयी दिल्ली, 21 फरवरी (भाषा) तालकटोरा स्टेडियम में शुक्रवार को 98 वां मराठी साहित्य महोत्सव शुरू हुआ और इस मौके पर पारंपरिक परिधान पहने तथा ढोल नगाड़ों के साथ साहित्य प्रेमियों ने पुस्तकों की औपचारिक शोभायात्रा निकाली।

राष्ट्रीय राजधानी में 98 वां अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन 71 वर्षों के अंतराल के बाद आयोजित किया जा रहा है और इसे ऐसे समय में आयोजित किया जा रहा है जब एक साल पहले केंद्र सरकार ने मराठी को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी थी।

इस महोत्सव का इतिहास करीब 150 वर्ष पुराना है और इसमें शिरकत करने के लिए पूरे महाराष्ट्र के लगभग तीन हजार से अधिक लेखक, कवि एवं साहित्यप्रेमी यहां पहुंचे हैं।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन किया जाएगा।

यह सम्मेलन पहली बार 1878 में आयोजित किया गया था, जिसके अध्यक्ष प्रसिद्ध विद्वान और समाज सुधारक महादेव गोविंद रानाडे थे। यह सम्मेलन 1926 से लगभग हर साल आयोजित किया जाता रहा है और इसमें विद्वान, समीक्षक तथा साहित्यकार विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए एकत्रित होते हैं।

मराठी लोक साहित्य, संस्कृति, परंपराओं की सुप्रसिद्ध विशेषज्ञ और रंगमंच कलाकार तारा भवालकर इस सम्मेलन की अध्यक्ष हैं।

दिल्ली में आखिरी बार 1954 में कोशकार तर्कतीर्थ लक्ष्मणशास्त्री जोशी की अध्यक्षता में यह सम्मेलन आयोजित किया गया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसका उद्घाटन किया था।

यहां तीन दिनों तक जारी रहने वाले इस कार्यक्रम में मराठी पुस्तकों को एक पालकी में संसद भवन परिसर से तालकटोरा स्टेडियम तक ले जाया गया, जिसे ‘छत्रपति शिवाजी महाराज साहित्य नगरी’ नाम दिया गया।

सम्मेलन में समिति चर्चा, पुस्तक प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतिष्ठित साहित्यिक हस्तियों के साथ संवाद सत्र आयोजित किए जाएंगे। इसमें मराठी साहित्य की कालातीत प्रासंगिकता का उत्सव मनाया जाएगा और समसामयिक संवाद में इसकी भूमिका का पता लगाया जाएगा, जिसमें भाषा संरक्षण, अनुवाद और साहित्यिक कार्यों पर डिजिटलीकरण के प्रभाव जैसे विषय शामिल होंगे।

इसमें 2,600 से अधिक कविताएं प्रस्तुत की जाएंगी, 50 पुस्तकों का विमोचन होगा और 100 बुक स्टॉल लगाए जाएंगे। सम्मेलन के लिए पुणे से दिल्ली तक एक विशेष ट्रेन लगभग 1200 प्रतिभागियों को लेकर यहां पहुंची जो साहित्य की एकजुट करने की भावना को दर्शाता है।

भाषा यासिर नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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