बेंगलुरू: कोविड-19 महामारी ने कर्नाटक के मंदिरों को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिनकी आय औसतन 317 करोड़ रुपए सालाना से 94 प्रतिशत गिरकर, इस साल अभी तक, कुल 18.7 करोड़ हो पाई है, ये जानकारी राज्य के एक मंत्री ने दिप्रिंट को दी है.
कर्नाटक के बंदोबस्ती मंत्री कोटा श्रीनिवास पूजारी के अनुसार, आमदनी में गिरावट ने निश्चित रूप से मंदिर के महंतों और कुछ धार्मिक स्थलों के स्टाफ की जीविका को प्रभावित किया है. लेकिन, उन्होंने कहा कि बहुत से मंदिर आत्म-निर्भर हैं, और वो बैंक राशि पर मिलने वाले ब्याज से वेतन बांटते हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमने सुनिश्चित किया है कि मंदिर स्टाफ के किसी सदस्य को, किसी तरह की कमी न हो. लेकिन उसके अलावा, आमदनी रख रखाव करने, और कोविड सुरक्षा मानकों का पालन करने में भी इस्तेमाल होती है. इसलिए इस कमी का उन चीज़ों पर बुरा असर पड़ेगा’.
मंदिरों द्वारा अर्जित आमदनी- आमतौर से चढ़ावा और लोगों द्वारा कराई जाने वाली पूजा से- मंदिर परिसर को विकसित करने, कर्मचारियों को वेतन देने, और श्रद्धालुओं को प्रसाद देने में ख़र्च होती है.
महामारी और उसके बाद दूरी बनाए रखने के नियमों ने, किस बुरी तरह मंदिरों को प्रभावित किया है, ये समझाने के लिए उन्होंने मिसाल देते हुए कहा, कि दक्षिण कन्नड़ ज़िले में कुक्के सुब्रामण्या मंदिर ने इस साल सिर्फ 4.2 करोड़ रुपए कमाए हैं, जबकि इसकी वार्षिक औसत आय 100 करोड़ रुपए होती थी- 96 प्रतिशत की गिरावट.
उन्होंने आगे कहा कि मैसूरू का प्रसिद्ध चामुंडेश्वरी मंदिर, हर साल क़रीब 36 करोड़ रुपए अर्जित कर लेता था, जबकि दशहरा सीज़न में आमतौर पर, उसकी आय बढ़ जाती थी. लेकिन, इस साल ये मंदिर केवल 74 लाख रुपए ही जुटा पाया है.
दो महीने के कोविड लॉकडाउन के दौरान मंदिर बंद रहे थे, लेकिन उसके बाद उन्हें फिर से खोलने की अनुमति मिल गई, अलबत्ता कई सोशल डिस्टेंसिंग नियम लगा दिए गए, जिनमें अब उस तरह की भीड़ की इजाज़त नहीं है, जैसी धार्मिक स्थलों पर पहले हुआ करती थी.
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ऑनलाइन पूजा
कर्नाटक में एक अंदाज़े के मुताबिक़ 34,500 मंदिर हैं, जो पूरे राज्य में फैले हुए हैं. कुछ प्रमुख मंदिर हैं- उडुपी का कोल्लूर मूकांबिका, बेंगलुरू का बनाशंकरी मंदिर, नांजंगूड़ का नांजुंदेश्वरा मंदिर, मैसूरू का चामुंडेश्वरी मंदिर और मैंगलुरू के पास कुक्के सुब्रामण्या का सुब्रामण्येश्वरा मंदिर.
कर्नाटक बंदोबस्ती विभाग के अनुसार, कर्नाटक के मंदिरों को उनकी आय के अनुसार तीन श्रेणियों में बांटा गया है. वर्ग-ए में 175 मंदिर आते हैं जिनकी आय 25 लाख रुपए सालाना से अधिक है. 163 मंदिर बी- वर्ग में आते हैं, जिनकी वार्षिक आय 5 लाख रुपए से 25 लाख रुपए के बीच है. सी- वर्ग में वो मंदिर आते हैं जिनकी वार्षिक आय 5 लाख रुपए से कम है, और ये वो मंदिर हैं जो विशेष रूप से बुरी तरह प्रभावित हैं.
श्रीनिवास ने कहा, ‘ऑनलाइन बुकिंग्स हो रही हैं, और अब लोग मंदिरों में आ रहे हैं. लेकिन लॉकडाउन के दौरान जितने दिनों तक मंदिर बंद रहे, उससे उनपर निश्चित रूप से असर पड़ा है’.
इस साल मई में, कोविड लॉकडाउन के दौरान, राज्य सरकार ने मंदिरों की पूजा को फ्री में लाइव दिखाने का फैसला किया. बहुत से मंदिरों में श्रद्धालु फीस अदा करके, ऑनलाइन पूजा आयोजित कराने के लिए अनुरोध कर सकते थे.
जब से ऑनलाइन सेवाएं शुरू हुईं, तब से मंदिरों के चढ़ावे- प्रसाद और तीर्था (पवित्र जल) – कोरियर के माध्यम से श्रद्धालुओं के घर पहुंचाए जा रहे हैं.
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