(कुणाल दत्त)
नयी दिल्ली, 13 फरवरी (भाषा) भारत की भव्य आधुनिक राजधानी ‘नयी दिल्ली’, जिसके दिल में रायसीना हिल परिसर है और जिसकी आधारशिला एक सदी पहले महाराज जॉर्ज पंचम और महारानी मैरी ने रखी थी, 1931 में वायसराय लॉर्ड इरविन द्वारा आज ही के दिन भारत की राजधानी के रूप में इसका उद्घाटन किया गया था।
उद्घाटन समारोह एक हफ्ते तक चला था, जिसमें तत्कालीन वायसराय ने 12 फरवरी 1931 को प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918) और तीसरे आंग्ल-अफगान युद्ध (1919) में शहीद सैनिकों की याद में निर्मित अखिल भारतीय युद्ध स्मारक आर्क, जिसे अब इंडिया गेट के नाम से जाना जाता है, को समर्पित किया था। इस ऐतिहासिक स्थल पर सैनिकों के नाम उकेरे गए हैं।
नया शाही शहर 12 दिसंबर 1911 को यहां एक भव्य ‘दरबार’ समारोह के दौरान अस्तित्व में आया था, जब ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम ने भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की थी।
तीन दिन बाद, भारत सरकार के शिविर में एक साधारण समारोह आयोजित किया गया, जहां महाराज जॉर्ज पंचम और महारानी मैरी ने नयी राजधानी की दो आधारशिलाएं रखी थीं।
अभिलेखों के मुताबिक, आधारशिला के पत्थरों पर सिर्फ ‘15 दिसंबर 1911’ उकेरा गया था।
आधारशिला रखने के बाद ब्रिटिश सम्राट ने कहा था, ‘यह मेरी इच्छा है कि सार्वजनिक भवनों के निर्माण की योजना और डिजाइन पर सबसे अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि इस प्राचीन और सुंदर शहर के योग्य नयी रचना हर जगह की जा सके।’
महाराज के दृष्टिकोण के अनुरूप आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियन और सर हर्बर्ट बेकर ने ब्रिटिश राज की नई राजधानी का निर्माण किया, जिसकी भव्यता और वास्तुशिल्पीय वैभव ने यूरोप और अमेरिका के सर्वश्रेष्ठ शहरों को टक्कर दी।
इस नयी राजधानी का केंद्रबिंदु रायसीना हिल परिसर था, जिसमें राजसी वायसराय हाउस (अब राष्ट्रपति भवन) के अलावा नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक मौजूद था।
शहर का निर्माण दो विश्व युद्धों के बीच किया गया था और इसे बनाने में 20 साल लगे थे। नयी राजधानी का उद्घाटन 13 फरवरी 1931 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था।
पुस्तक ‘ग्लिटरिंग डिकेड्स: न्यू डेल्ही इन लव एंड वॉर’ के अनुसार, उद्घाटन के दिन लॉर्ड इरविन ने तुरही की धुन के बीच (ब्रिटिश) राष्ट्रगान बजाए जाने के दौरान चार प्रतिष्ठित डोमिनियन खंभों का अनावरण किया था, जो लाल बलुआ पत्थर से बने थे और जिनके ऊपर जहाज की एक-एक प्रतिकृति मौजूद थी।
प्रत्येक खंभे ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और कनाडा से उपहार में मिले थे और ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति उनकी दोस्ती व एकजुटता का प्रतीक थे।
दिल्ली अभिलेखागार के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने ‘नयी दिल्ली’ के ऐतिहासिक उद्घाटन को याद किया।
विभाग ने ट्वीट किया, ‘‘#टुडेइनहिस्ट्री, भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन ने 1931 में आज ही के दिन भारत की नयी राजधानी के रूप में नई दिल्ली का उद्घाटन किया था।’’
दिल्ली अभिलेखागार ने तत्कालीन नवनिर्मित सचिवालय भवन और संसद भवन की एक अभिलेखीय तस्वीर भी साझा की।
भाषा पारुल सुरेश
सुरेश
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