पटना, 31 अगस्त (भाषा) कांग्रेस ने रविवार को दावा किया कि उसने मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत निर्वाचन आयोग को 89 लाख शिकायतें दीं लेकिन पार्टी से संबंधित बूथ स्तरीय एजेंट (बीएलए) की शिकायतों को स्वीकार नहीं किया गया।
खेड़ा ने यहां संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि अनियमितताएं निर्वाचन आयोग की मंशा पर संदेह पैदा करती हैं और उन्होंने मांग की कि एसआईआर दोबारा कराई जाए।
जवाब में, आयोग ने शुरू में दावा किया कि किसी भी बीएलए ने कोई दावा या आपत्ति प्रस्तुत नहीं की है, लेकिन कुछ घंटों बाद एक अन्य बयान में कहा गया कि कांग्रेस की शिकायतें निर्धारित प्रारूप में प्राप्त नहीं हुई हैं, लेकिन आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
खेड़ा ने दावा किया, ‘‘निर्वाचन आयोग अपने ‘सोर्स’ के माध्यम से खबरें प्लांट करवाता रहता है कि किसी राजनीतिक पार्टी से कोई शिकायत नहीं आ रही है।’’
उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि कांग्रेस पार्टी ने 89 लाख शिकायतें निर्वाचन आयोग को दी हैं लेकिन पार्टी के बीएलए की शिकायतें नहीं ली गईं।
उन्होंने कहा, ‘जब हमारे बीएलए शिकायत लेकर जाते हैं तो उनसे शिकायतें नहीं ली जातीं। उनसे कहा जाता है कि हम प्रभावित लोगों से शिकायतें लेंगे।’
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख ने सवाल किया कि ऐसे में राजनीतिक दलों और बीएलए की क्या भूमिका है?
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जो आंकड़े दिए हैं उनकी जांच आयोग को करानी चाहिए।
खेड़ा ने कहा, ‘कल एक सितंबर है, निर्वाचन आयोग में एसएआईआर के तहत शिकायतें दर्ज करवाने की आखिरी तारीख है। ऐसे में हमारे बीएलए ने बिहार के नागरिकों की शिकायतें और आपत्तियां दर्ज करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘बिहार में कुल 90,540 बूथों पर 65 लाख वोट काटे गए। आयोग ने नाम काटने के चार कारण बताए हैं।’
खेड़ा के अनुसार, पलायन के कारण 25 लाख नाम काटे, मृतकों के 22 लाख नाम काटे, पते पर अनुपस्थित रहने के कारण 9,70,000 नाम काटे गए, पूर्व में कहीं और पंजीकृत होने की वजह से सात लाख नाम काटे गए।
उन्होंने कहा कि 100 से ज्यादा नाम काटे जाने वाले बूथों की संख्या 20,368 है तथा 200 से ज्यादा नाम काटे जाने वाले बूथों की संख्या 1988 है।
खेड़ा ने बताया, ‘7,613 बूथ ऐसे हैं, जहां 70 प्रतिशत से ज्यादा महिलाओं के नाम काटे गए हैं, 635 बूथ ऐसे हैं, जहां प्रवासी श्रेणी में काटे गए नामों में 75 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं हैं। 7,931 बूथों पर 75 प्रतिशत नामों को काटकर मृत श्रेणी में डाल दिया गया है ।’
उन्होंने कहा कि इन सभी आंकड़ों को फिर से जांचना बहुत जरूरी है क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर एक ‘पैटर्न’ के तहत लोगों के नाम काटे गए हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘ऐसे लाखों मामले हैं, जिनमें एक ही वोटर को दो मतदाता पहचान पत्र संख्या दिए गए हैं। हमारे पास उनकी रसीदें भी हैं, अब इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता।’
खेड़ा ने मांग की, ‘हमने जो आंकड़े दिए हैं, निर्वाचन आयोग उनका फिर से सत्यापन कराए, उनकी जांच कराए।’
हालांकि, मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा, ‘‘आज तक, बिहार में कांग्रेस के किसी भी जिला अध्यक्ष द्वारा अधिकृत किसी भी बीएलए ने निर्धारित प्रारूप में एक अगस्त को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची में किसी भी नाम पर कोई दावा (फॉर्म 6) या आपत्ति (फॉर्म 7) प्रस्तुत नहीं किया है।’’
बाद में, सीईओ कार्यालय ने एक और बयान जारी कर कहा कि निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) जिला कांग्रेस अध्यक्षों द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन पर विचार करने के बाद ही प्रक्रिया के संबंध में व्यापक निर्णय लेंगे।
बयान में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने 22 अगस्त के अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि यदि 12 राजनीतिक दल मतदाता सूची में गलत नामों के बारे में जानकारी प्रस्तुत करते हैं, तो संबंधित ईआरओ को निर्धारित प्रपत्र में ऐसी जानकारी दर्ज करनी होगी और आवश्यक कार्रवाई करनी होगी।
मसौदा मतदाता सूची में दोहरा मतदाता होने के आरोपों पर, सीईओ कार्यालय ने कहा कि एसआईआर के तहत प्रकाशित वर्तमान मसौदा मतदाता सूची अंतिम नहीं है।
सीईओ कार्यालय ने कहा कि ये स्पष्ट रूप से सार्वजनिक जांच के लिए हैं और मतदाताओं, राजनीतिक दलों और अन्य सभी हितधारकों से दावे और आपत्तियां आमंत्रित करती हैं।
भाषा सुभाष शोभना
शोभना
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