नई दिल्ली: वैक्सीन खरीद की नई व्यवस्था, जिसके तहत केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए पूल में खरीद और आपूर्ति शुरू की है, के पहले दिन 21 जून को देशभर में कोविड-19 टीकों की 86 लाख से अधिक खुराकें दी गई थीं.
एक हफ्ते से भी कम समय बाद रविवार को यह संख्या घटकर महज 17 लाख रह गई. बाकी पूरे हफ्ते में टीकाकरण का आंकड़ा 50 से 60 लाख के बीच रहा लेकिन सोमवार के ‘रिकॉर्ड’ तक नहीं पहुंचा.
यद्यपि कुछ सरकारी समितियों से जुड़े मंत्रियों और विशेषज्ञों का दावा है कि भारत प्रतिदिन 1 करोड़ के टीकाकरण लक्ष्य पर नजरें गड़ाए है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को यह संख्या फिलहाल आने वाले कुछ दिनों तक 75 लाख से कम के ब्रैकेट में ही रहने की उम्मीद है.
राज्यों को पहले ही बताया जा चुका है कि जुलाई महीने के लिए 12 करोड़ टीके उपलब्ध होंगे. इसका मतलब है कि आने वाले महीने में प्रतिदिन औसतन 50 लाख टीकों की भी उपलब्धता नहीं हो सकती है.
यह पूछे जाने पर कि दैनिक टीकाकरण की संख्या में इतना उतार-चढ़ाव क्यों होता है. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘अब चीजें स्थिर हो रही हैं. इसकी एक बड़ी वजह यह भी हो सकती है कि अब आपूर्ति बढ़ रही है और समय के साथ राज्यों को अधिक आपूर्ति मिलने लगी है और कल रविवार भी था.’
अधिकारियों का कहना है कि न केवल सप्ताहांत पर बल्कि स्थानीय त्योहारों और छुट्टियों के मौके पर टीकाकरण की संख्या कम रहती है क्योंकि टीके लगाने वालों के साथ-साथ लाभार्थियों की संख्या भी ज्यादा नहीं होती.
जून में भारत की कुल वैक्सीन उपलब्धता करीब 12 करोड़ खुराक रही, जिसमें रविवार तक 10.76 करोड़ खुराक दी जा चुकी थीं. इसका मतलब है कि अगले तीन दिनों के लिए अभी राज्यों के पास लगभग 1.23 करोड़ टीके उपलब्ध हैं- यदि सभी उपलब्ध खुराक इस्तेमाल हो जाएं तो यह प्रतिदिन औसतन 40 लाख से अधिक नहीं हो सकती.
आने वाले कुछ दिनों में आपूर्ति सीमित रहेगी
नरेंद्र मोदी सरकार ने 26 जून को दिए एक हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अगस्त और दिसंबर के बीच टीकों की कुल 135 करोड़ खुराक उपलब्ध होंगी.
इसका मतलब है कि प्रतिमाह औसतन लगभग 27 करोड़ खुराक उपलब्ध होंगी और अधिकतम दैनिक टीकाकरण का आंकड़ा सर्वेश्रेष्ठ स्थिति में 90 लाख प्रतिदिन हो सकता है जो एक करोड़ के लक्ष्य से कम ही है. वह भी तब जब कोई भी खुराक बर्बाद न हो. जबकि यदि पिछले अनुभवों को देखें तो वास्तव में लगभग 10 से 30 प्रतिशत टीके बर्बाद हो सकते हैं.
उसी हलफनामे में केंद्र ने बताया है, ‘देश में 18 वर्ष और उससे अधिक आयु की कुल जनसंख्या लगभग 93-94 करोड़ है. ऐसे में, इन सभी लाभार्थियों को दो खुराक देने के लिए अनुमानत: 186 से 188 करोड़ वैक्सीन खुराक की आवश्यकता होगी. जैसा कि ऊपर तालिका में दिखाया गया है, इस आवश्यकता में से 51.6 करोड़ खुराक 31 जुलाई 2021 तक लगाने के लिए उपलब्ध करा दी जाएगी, जिसके बाद पात्र आबादी के पूर्ण टीकाकरण के लिए लगभग 135 करोड़ वैक्सीन खुराक की जरूरत रहेगी.
इसमें आगे कहा गया है, ‘186 करोड़ के उपरोक्त आंकड़े में 135 करोड़ का पूर्वकथित आंकड़ा (जिसका विवरण यहां दिया गया है) शामिल है, जिसके लिए आवश्यक व्यवस्था कर ली गई है. यहां स्पष्ट किया जाता है कि 186.6 करोड़ के इस आंकड़े में अन्य टीके शामिल नहीं हैं जो देश के भीतर विकास के विभिन्न चरणों में हैं और आने वाले समय में लोगों को लगाए जाने के लिए उपलब्ध हो सकते हैं.’
इसलिए केंद्र को उम्मीद है कि देश के सभी वयस्कों को साल के अंत तक टीके की दो खुराकों के साथ उनका पूर्ण टीकाकरण हो जाएगा.
सरकार बच्चों के लिए कोविड वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर भी आशान्वित है. इसने शीर्ष कोर्ट को बताया कि भारत बायोटेक जहां इस समय 2 से 18 वर्ष की आयु के स्वस्थ स्वयंसेवकों पर क्लीनिकल ट्रायल के लिए नामांकन कर रहा है, डीएनए आधारित वैक्सीन बना रही जायडस कैडिला ने 12-18 आयु वर्ग के लिए अपना क्लीनिकल ट्रायल पूरा कर लिया है, और ‘आवश्यक मंजूरियों के बाद यह निकट भविष्य में उपलब्ध हो सकता है.’
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)