scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमदेशसरकार के सर्वे में खुलासा- भारत में 82% महिलाएं पति को सेक्स के लिए मना करने में सक्षम हैं

सरकार के सर्वे में खुलासा- भारत में 82% महिलाएं पति को सेक्स के लिए मना करने में सक्षम हैं

पुरुषों से पूछा गया कि अगर उनके पास 4 प्रकार के व्यवहार करने का अधिकार हो: डांट फटकार, पैसा देने से इनकार, बल प्रयोग, या किसी अन्य महिला के साथ जाकर सेक्स करना, तो वो क्या करेंगे. 6% ने कहा सब कुछ, 72% ने कहा कुछ नहीं.

Text Size:

नई दिल्ली: एक तिहाई से कम (32 प्रतिशत) विवाहित महिलाएं काम करती हैं, और 44 प्रतिशत महिलाओं को अकेले बाज़ार भी जाने नहीं दिया जाता- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (एनएफएचएस-5) के ये निष्कर्ष देश में महिला सशक्तीकरण की बहुत अच्छी तस्वीर पेश नहीं करते.

लेकिन, निष्कर्षों से पता चलता है कि भारत की 82 प्रतिशत महिलाएं अपने पति के साथ सेक्स करने से मना कर सकती हैं.

केंद्रीय स्वाथ्य मंत्री मंसुख मंडाविया द्वारा पिछले सप्ताह जारी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पांच में से चार से अधिक महिलाएं (82 प्रतिशत) अगर यौन संबंध नहीं बनाना चाहतीं, तो अपने पति को मना कर सकती हैं. महिलाओं के ना कहने की सबसे अधिक संभावना (82 प्रतिशत) गोवा में है, और सबसे कम संभावना अरुणाचल प्रदेश (63 प्रतिशत), और जम्मू-कश्मीर (65 प्रतिशत) में है’.

ये एक नया मीट्रिक है जिसे ताज़ा सर्वेक्षण में शामिल किया गया है, जो दो चरणों में किया गया था- पहले चरण में, 17 जून 2019 से 30 जनवरी 2020 के बीच, 17 राज्यों और 5 केंद्र-शासित क्षेत्रों को कवर किया गया, और दूसरे चरण में 2 जनवरी 2020 से 30 अप्रैल 2021 के बीच, 11 राज्यों और 3 केंद्र-शासित क्षेत्रों से आंकड़े एकत्र किए गए.

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के अंतर्गत वैवाहिक रेप को बलात्कार की परिभाषा में एक अपवाद माना गया है, जिसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति 18 वर्ष से अधिक आयु की अपनी पत्नी के साथ ज़बर्दस्ती करता है, तो उसपर मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता. लेकिन, निष्कर्षों से पता चलता है कि विवाह में दोनों भागीदारों के रवैये में एक निरंतर बदलाव आ रहा है.

सर्वेक्षण के दौरान, जेंडर नज़रियों का आंकलन करने के लिए पुरुषों से कुछ अतिरिक्त सवाल पूछे गए. इन सवालों का संबंध ऐसी स्थिति से था जिसमें कोई महिला अपने पति के साथ सेक्स करने से मना कर देती है जब वो चाहता है. पुरुषों से पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि उनके पास चार तरह के व्यवहार का अधिकार है: ग़ुस्सा हो जाएं और उसे डांटें, उसे पैसा या किसी और तरह की वित्तीय सहायता देने इनकार कर दें, ज़बर्दस्ती करके उसके साथ सेक्स करें भले ही वो न चाहती हो, और किसी दूसरी महिला के पास जाकर उसके साथ सेक्स कर लें.

सर्वे में कहा गया है, ‘…15-49 आयु वर्ग के केवल 6 प्रतिशत पुरुष इससे सहमत हैं, कि अगर पत्नी सेक्स के लिए इनकार करती है तो पुरुषों को इन चारों प्रकार के व्यवहार करने का अधिकार है. लेकिन, 19 प्रतिशत पुरुष इससे सहमत हैं कि अगर पत्नी पति के साथ सेक्स करने से मना करती है, तो पति को नाराज़ होकर उसे डांटने का अधिकार है’.

उसमें आगे कहा गया है, ‘लगभग सभी राज्यों में ऐसे लोगों का प्रतिशत जो चारों में से किसी व्यवहार से सहमत नहीं हैं, 70 प्रतिशत से काफी ऊपर है, और ऐसे पुरुषों का प्रतिशत जो चारों में से किसी व्यवहार से सहमत नहीं हैं, 50 प्रतिशत से कम केवल पंजाब (21 प्रतिशत), चंडीगढ़ (28 प्रतिशत), कर्नाटक (45 प्रतिशत) और लद्दाख़ (46 प्रतिशत) में है. ऐसे लोगों का प्रतिशत जो चारों में से किसी व्यवहार से सहमत नहीं हैं, एनएफएचएस-4 के बाद से 5 प्रतिशत कम हो गया है, जब ये 77 प्रतिशत था’.


यह भी पढ़ें : सीरम इंस्टीट्यूट से मिला दूसरा कोविड टीका, 225 रुपए प्रति डोज़: किशोरों के लिए मंज़ूर नए टीके कोवोवैक्स के बारे में पूरी जानकारी


केवल 32% विवाहित महिलाएं कार्यरत हैं

सर्वेक्षण में पता चला है कि विवाहित महिलाओं में रोज़गार की दर 32 प्रतिशत है- जो एनएफएचएस-4 सर्वेक्षण में दर्ज 31 प्रतिशत से थोड़ी अधिक है, जिसमें 2015-16 की स्थिति दिखाई गई थी.

जो विवाहित महिलाएं रोज़गार में हैं, उनमें से 15 प्रतिशत को वेतन भी नहीं मिलता, और 14 प्रतिशत का इसपर कोई बस नहीं है कि उनकी कमाई को कैसे ख़र्च किया जाता है.

उसमें कहा गया है, ‘भारत में 15-49 आयु वर्ग की फिलहाल विवाहित महिलाओं में केवल 32 प्रतिशत ही रोज़गार में हैं, जबकि इसकी अपेक्षा 15-49 आयु वर्ग के फिलहाल विवाहित पुरुषों में 98 प्रतिशत रोज़गार में हैं’.

सर्वे में पता चला, ‘कार्यरत महिलाओं में 83 प्रतिशत नक़द कमाई करती हैं, जिनमें 8 प्रतिशत ऐसी हैं जिनकी कमाई नक़द और किसी अन्य रूप में है. पंद्रह प्रतिशत कार्यरत महिलाओं को उनके काम का पैसा नहीं मिलता. इसकी तुलना में 95 प्रतिशत कार्यरत पुरुष नक़द कमाई करते हैं, और 4 प्रतिशत को उनके काम का कोई पैसा नहीं मिलता’.

सर्वे में पता चला है कि 85 प्रतिशत विवाहित महिलाएं जो नक़द कमाई करती हैं, वो उस आय के इस्तेमाल को लेकर अकेले या अपने पति के साथ मिलकर फैसला करती हैं. महिलाओं में सबसे आम ये है कि वो ये फैसले अपने पति के साथ मिलकर करती हैं; केवल 18 प्रतिशत ही ये फैसले ख़ुद अकेले करती हैं. डेटा से पता चलता है कि 14 प्रतिशत महिलाओं के लिए, उनकी कमाई से जुड़े फैसले लेने वाले अकेले उनके पति होते हैं.

लेकिन पुरुषों की आय के मामले में ये पैटर्न थोड़ा अलग हो जाता है.

एनएफएचएस-5 सर्वे में पाया गया है कि जहां पुरुष और महिलाएं इस सवाल का अलग तरह से जवाब देते हैं, वहीं दोनों में 6 प्रतिशत का कहना है कि ये फैसला पत्नी करती है, जबकि 71 प्रतिशत महिलाओं और 66 प्रतिशत पुरुषों का कहना है कि ये एक साझा फैसला होता है, और 21 प्रतिशत महिलाओं तथा 28 प्रतिशत पुरुषों का कहना है कि ये पति है जो तय करता है कि ख़र्च कैसे करना है.

महिलाएं अकेली सफर नहीं कर सकतीं

सर्वे में पाया गया है कि 56 प्रतिशत महिलाओं को अकेले बाज़ार जाने की अनुमति है, 52 प्रतिशत स्वास्थ्य सुविधा तक जा सकती हैं, और 50 प्रतिशत गांव या समुदाय से बाहर किसी जगह जा सकती हैं. कुल मिलाकर, भारत में केवल 42 प्रतिशत महिलाओं को तीनों स्थानों पर अकेले जाने की अनुमति है, और 5 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें तीनों में किसी भी जगह जाने की अनुमति नहीं है.

एनएफएचएस-4 में केवल 41 प्रतिशत महिलाओं ने कहा था कि उन्हें अकेले बाज़ार, स्वास्थ्य सुविधा, या गांव अथवा समुदाय से बाहर किसी जगह जाने की अनुमति है.

एनएफएचएस-5 रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ऐसी महिलाओं का अनुपात जो आने-जाने की आज़ादी होने की बात करती हैं, राज्यों में बहुत अलग अलग है. हिमाचल प्रदेश में 82 प्रतिशत महिलाओं को सभी तीनों जगहों पर अकेले जाने की इजाज़त है, जबकि इसकी तुलना में लक्षद्वीप में ये संख्या केवल 2 प्रतिशत है, केरल में 15 प्रतिशत है, और गोवा, ओडिशा, मणिपुर, नागालैण्ड, और कर्नाटक में एक तिहाई से कम है’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें : ‘एक हजार रुपये’ में 3डी ग्लव्स, IISC टीम स्ट्रोक के मरीजों के लिए लेकर आई सस्ती वर्चुअल फिजियोथेरेपी


 

share & View comments