नयी दिल्ली, एक जून (भाषा) आर्मी वेलफेयर हाउसिंग ऑर्गनाइजेशन (एडब्ल्यूएचओ) से जुड़े धोखाधड़ी के एक मामले में जमानत पर छूटकर एक दशक से अधिक समय से फरार चल रहे 77 वर्षीय एक व्यक्ति को पंजाब के पटियाला स्थित एक वृद्धाश्रम से गिरफ्तार कर लिया गया। दिल्ली पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने एक बयान में कहा कि आरोपी सीताराम गुप्ता पंजाब के मनसा का निवासी है। उन्होंने बताया कि वह खुद को भारतीय सेना में कर्नल बता रहा था और फर्जी एडब्ल्यूएचओ योजनाओं के तहत फ्लैट और दुकानें देने का वादा कर लोगों को ठग रहा था।
पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) अपूर्व गुप्ता ने बयान में कहा, ‘पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और इतिहास में स्नातकोत्तर और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पूर्व छात्र गुप्ता, दिल्ली के विवेक विहार पुलिस थाने में दर्ज 2007 के धोखाधड़ी के एक मामले में मुकदमे से बच रहा था।’
अधिकारी ने बताया कि उसने शिकायतकर्ता को एडब्ल्यूएचओ योजना के तहत फ्लैट और दुकान देने का प्रस्ताव देकर उससे कथित तौर पर 56,000 रुपये लिये और जाली रसीदें जारी कर दीं।
वर्ष 2007 में गिरफ्तारी और उसके बाद जमानत पर रिहा होने के बाद गुप्ता भूमिगत हो गया और अदालत में पेश नहीं हुआ, जिसके कारण उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया।
बयान में कहा गया है कि इस साल 26 अप्रैल को कड़कड़डूमा अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था।
गुप्ता पर नजर रखने के लिए एक विशेष टीम बनाई गई। एक गुप्त सूचना के आधार पर टीम ने निगरानी की और पटियाला के वृद्धाश्रम पर ध्यान केंद्रित किया, जहां वह पहचान छुपा कर रह रहा था।
अधिकारी ने बताया, ‘उसने अपना हुलिया बदल लिया था और अपने परिवार से भी संबंध तोड़ लिए थे, ताकि वह किसी की नजर में न आए। उसकी पहचान की पुष्टि होने के बाद उसे आश्रय गृह से पकड़ लिया गया।’
पूछताछ के दौरान गुप्ता ने धोखाधड़ी के कई मामलों में अपनी संलिप्तता स्वीकार की जिसमें शकरपुर पुलिस थाने और दिल्ली में अपराध शाखा में दर्ज तीन अन्य धोखाधड़ी के मामले भी शामिल हैं। ये सेना में फर्जी नौकरी की पेशकश से संबंधित हैं।
भाषा
शुभम नरेश
नरेश
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