(अपर्णा बोस)
नयी दिल्ली, दो मार्च (भाषा) भारत की पहली क्षेत्रीय त्वरित परिवहन प्रणाली (आरआरटीएस) के 17 किलोमीटर लंबे दुहाई-साहिबाबाद हिस्से पर मार्च के अंतिम सप्ताह तक परिचालन शुरू होने की संभावना है।
आरआरटीएस को पर्यावरण के सबसे अनुकूल और यात्रियों के लिए सबसे सुविधाजनक परिवहन प्रणाली बताया जा रहा है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के अधिकारियों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कार्बन फुटप्रिंट को घटाने के उद्देश्य से एनसीआरटीसी ने पूरे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर की कुल ऊर्जा जरूरत के 70 फीसदी हिस्से को सौर ऊर्जा से पूरा करने की योजना बनाई है।
अधिकारियों के मुताबिक, पूरे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस के सभी एलिवेटेड स्टेशन और डिपो पर सौर पैनल लगाये जाएंगे।
उन्होंने कहा कि ईंधन की बचत और वायु प्रदूषण में कमी से आरआरटीएस कॉरिडोर पर परिचालन के दौरान कार्बन क्रेडिट अर्जित होगा।
अधिकारियों के अनुसार, रेल आधारित परिवहन प्रणाली होने के नाते और ‘स्टील-टू-स्टील रोलिंग कॉन्टैक्ट’ के कारण कॉरिडोर पर चलने वाली गाड़ियों में सड़क पर दौड़ने वाले वाहनों के मुकाबले जीवाश्म ईंधन की खपत महज 20 फीसदी होगी।
आरआरटीएस उच्च गति और उच्च आवृत्ति वाली एक रेल-आधारित क्षेत्रीय परिवहन प्रणाली है, जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में महानगरों को बड़े शहरों और कस्बों से जोड़ेगी।
इसके पहले कॉरिडोर की शुरुआत से वाहनों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन में सालाना 2.5 लाख टन की कमी आने का अनुमान है।
आरआरटीएस के तीन प्राथमिकता वाले कॉरिडोर (दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ, दिल्ली-पानीपत और दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी-अलवर) हैं, जिन्हें अलग-अलग चरणों में शुरू किया जाएगा।
करीब 82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर पर रोजाना औसतन आठ लाख लोग सफर करेंगे और आरआरटीएस के एक बार शुरू होने के बाद सड़कों पर से एक लाख से अधिक निजी वाहनों का बोझ हटने का अनुमान है।
भाषा पारुल सुरेश
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