हैदराबाद: आंध्र प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौतम सवांग का कहना है कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान आंध्र प्रदेश में कम से कम 70 पुलिसकर्मियों की मौत हुई है और कुल कार्यबल में से 8.6 प्रतिशत को टेस्ट में पॉजिटिव पाया गया है.
सवांग ने दिप्रिंट को दिए एक विशेष इंटरव्यू में दावा किया कि राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों और पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में विधानसभा चुनावों के कारण संक्रमण में तेजी से वृद्धि हुई है.
सवांग ने कहा कि दूसरी लहर में अब तक करीब 5400 पुलिसकर्मी- कुल 63,000 कर्मचारियों वाले कार्यबल का करीब 8.6 फीसदी- वायरस की चपेट में आ चुके हैं और लगभग 670 पुलिस कर्मी अस्पताल में भर्ती हैं.
उन्होंने कहा कि मार्च 2020 से इस साल जनवरी तक पहली लहर के दौरान लगभग 18,000 पुलिसकर्मियों को टेस्ट में पॉजिटिव पाया गया.
सवांग ने दिप्रिंट को बताया, ‘पहली लहर के दौरान हमारे पास हताहतों का आंकड़ा लगभग 110 था और दूसरी लहर के दौरान पिछले महीनों में हमने 70 जवानों को गंवाया है. जब हम संक्रमण दर देखते हैं तो इस बार यह वायरस बहुत तेजी से फैल रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘मैं यह तो नहीं कह सकता कि चुनाव (आंध्र प्रदेश में) का कोई प्रभाव नहीं पड़ा. चुनाव और चुनावी गतिविधियों के साथ ही जोखिम बढ़ जाता है, पुलिस को बहुत से लोगों के साथ घुलना-मिलना पड़ता है और हम नहीं जानते कि कौन संक्रमण का वाहक हो सकता है. इसलिए, हम देखते हैं कि जब कभी भी कोई बंदोबस्त किया जाता है, आंकड़े बढ़ जाते हैं. उदाहरण के तौर पर हमने कुछ जवानों को तमिलनाडु चुनाव में भेजा था, फिर चुनाव बाद जब वे लौटे, तो हमने पाया कि उनमें से कई संक्रमित थे.’
राज्य पुलिस ने 3,500 पुलिसकर्मियों को चुनाव ड्यूटी पर तमिलनाडु भेजा था, जहां 6 अप्रैल को चुनाव हुए थे और नतीजे 2 मई को घोषित किए गए थे. वहीं, फरवरी में आंध्र प्रदेश में चार चरणों में स्थानीय निकाय चुनाव हुए थे और मंदिरों के शहर तिरुपति में 17 अप्रैल को एक महत्वपूर्ण उपचुनाव भी हुआ था.
हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि चुनाव ड्यूटी के दौरान वायरस ने कितने पुलिसकर्मियों को चपेट में लिया लेकिन राज्य पुलिस के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि ऐसी संभावना से पूरी तरह इंकार नहीं किया जा सकता.
सवांग ने यह भी बताया कि इस समय राज्य पुलिस विभाग में 2,300 के करीब सक्रिय मामले हैं.
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गर्भवती कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम और टीकाकरण
टीकाकरण के बारे में बात करते हुए डीजीपी ने बताया कि उनके विभाग के लगभग 98 प्रतिशत कर्मचारियों को कोविड वैक्सीन की पहली खुराक मिल गई है और 80 प्रतिशत ने दूसरी खुराक भी ले ली है. उन्होंने कहा कि फरवरी में स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान टीकाकरण अभियान रोक दिया गया था.
आंध्र प्रदेश पुलिस ने अपनी टीम को संक्रमण से बचाने के लिए कई उपाय किए हैं. इसमें गर्भवती महिला पुलिसकर्मियों को घर से काम करने की अनुमति देना और पुलिसकर्मियों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण शामिल है.
आंध्र प्रदेश में पॉजिटिविटी रेट लगभग 23 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बना हुआ है. शुक्रवार को राज्य ने संक्रमण के 20,937 नए मामले दर्ज किए, जिससे कुल मामलों की संख्या 15,42,079 पर पहुंच गई है. अब तक मरने वालों का आकंड़ा 9,904 है.
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‘माओवादियों से आत्मसमर्पण की अपील’
डीजीपी ने यह भी कहा कि राज्य पुलिस उन माओवादियों को इलाज मुहैया कराने को तैयार है, जो कोविड की चपेट में आ गए हैं, बशर्ते वे आत्मसमर्पण करें और मुख्यधारा में शामिल हों.
उन्होंने कहा, ‘राज्य को लगता है कि वे सिर्फ गुमराह युवा और गुमराह तत्व हैं, हमारे पास उनके खिलाफ कुछ नहीं होता जब वे बाहर आते हैं और मुख्यधारा में शामिल होते हैं. हम उनसे ये राह छोड़ने और मुख्यधारा में शामिल होने की अपील करते हैं क्योंकि हमें पता चला है कि उनमें से कई अस्वस्थ हैं और कोविड संक्रमण के शिकार हो चुके हैं. इसलिए, वो जैसे ही बाहर आएंगे, हम उन्हें उनके स्वास्थ्य की स्थिति के मुताबिक उपयुक्त इलाज मुहैया कराएंगे और उन्हें सरकार की ओर से आमतौर पर चलाए जाने वाले पुनर्वास कार्यक्रमों का लाभ दिया जाएगा.’
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