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Monday, 16 September, 2024
होमदेशयूपी के स्कूल में सात-वर्षीय मुस्लिम लड़के से ‘मांसाहार लंच’ के लिए ‘दुर्व्यवहार’, जांच के आदेश जारी

यूपी के स्कूल में सात-वर्षीय मुस्लिम लड़के से ‘मांसाहार लंच’ के लिए ‘दुर्व्यवहार’, जांच के आदेश जारी

घटना के वीडियो में अमरोहा के प्राइवेट स्कूल के प्रिंसिपल को बच्चे की मां से यह कहते हुए देखा जा सकता है कि 7 वर्षीय बच्चा ‘सभी को मांसाहारी खाना खिलाकर उन्हें इस्लाम में परिवर्तित करना चाहता है’.

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आगरा: उत्तर प्रदेश के अमरोहा में एक प्राइवेट स्कूल के प्रिंसिपल पर सात-वर्षीय मुस्लिम छात्र के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया गया है, क्योंकि बच्चा ‘अक्सर स्कूल में मांसाहारी भोजन लाता था’ और हिंदू मंदिरों के बारे में असंवेदनशील टिप्पणी करता था.

प्रिंसिपल और बच्चे की मां के बीच कथित तौर पर तीखी बहस दिखाने वाला एक वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

बच्चे की मां के अनुसार, प्रिंसिपल ने कथित तौर पर बच्चे पर स्कूल परिसर के भीतर एक मंदिर में तोड़फोड़ करने का आरोप लगाया और उसे “आतंकवादी” करार दिया. मां ने आगे आरोप लगाया कि बच्चे को स्कूल के एक स्टोररूम में बंद कर दिया गया और प्रिंसिपल ने कथित तौर पर एक वीडियो रिकॉर्ड किया जिसमें उससे पूछा गया कि क्या वो स्कूल कैंपस को उड़ाने का इरादा रखता है.

प्रिंसिपल के इस आरोप का खंडन करते हुए कि उनका बेटा स्कूल में मांसाहारी भोजन लाता था, मां ने दावा किया कि बच्चे को मांसाहारी भोजन पसंद नहीं है और अन्य छात्र उसके बेटे को उसकी धार्मिक पहचान के कारण परेशान करते हैं.

वायरल वीडियो के बाद, मुसलमानों की एक स्थानीय समिति ने उप-विभागीय मजिस्ट्रेट को पत्र लिखकर घटना की निष्पक्ष जांच, प्रिंसिपल की तत्काल गिरफ्तारी और स्कूल की मान्यता को निलंबित करने की मांग की. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को संबोधित पत्र में उनसे तुरंत और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया.

दिप्रिंट ने प्रिंसिपल और स्कूल प्रबंधन से टिप्पणी के लिए संपर्क किया, लेकिन उनके फोन बंद थे.

जिला प्रशासन के सूत्रों ने कहा कि स्कूल के मालिक मंगल सिंह सैनी पूर्व राज्य मंत्री हैं और स्कूल उनके बेटे और बहू द्वारा चलाया जाता है.

इस बीच, सात-वर्षीय बच्चे की मां ने कहा कि उनके तीनों बच्चे एक ही स्कूल में पढ़ते हैं और उनका बीच वाला बच्चा सहपाठियों द्वारा धमकाने की शिकायत करता रहा है, लेकिन शिक्षकों और प्रिंसिपल ने कोई कार्रवाई नहीं की है. उन्होंने दावा किया कि उन्हें दो सितंबर को स्कूल से एक कॉल आया, जिसमें उन्हें अगले दिन प्रिंसिपल से मिलने के लिए कहा गया.

वे तुरंत चली गईं, लेकिन न तो प्रिंसिपल और न ही शिक्षक वहां मौजूद थे.

उनके अनुसार, उनका बेटा स्कूल के दिन खत्म होने से पहले उनके पास आया, वो स्पष्ट रूप से सहमा हुआ था और क्लास में वापस जाने से इनकार कर रहा था. बच्चे ने कहा कि प्रिंसिपल ने स्कूल असेंबली के बाद उसे उसके स्कूल बैग के साथ एक स्टोररूम में अकेले बंद कर दिया था और उसे उसे क्लास में जाने की अनुमति नहीं दी.

फिर मां ने प्रिंसिपल से पूछा, जिन्होंने उन्हें कहा: “कल आओ, और पुलिस तुमसे बात करेगी.”

वे अगले दिन अपने बेटे के साथ स्कूल लौटीं, जो अपनी क्लास में जाने से बहुत डरा हुआ था. कथित तौर पर प्रिंसिपल ने उन्हें बुलाने से इनकार कर दिया और फिर उनके बेटे से पूछा कि क्या उसका इरादा स्कूल को उड़ाने का है.

घटना के एक वायरल वीडियो में प्रिंसिपल को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वे अपने स्कूल में ऐसे ‘संस्कार’ वाले बच्चों को प्रवेश नहीं देंगे. वीडियो में प्रिंसिपल मां से कहते हुए दिखाई दे रहे हैं, “तुम्हारा बच्चा कहता है कि वो सभी को मांसाहारी भोजन खिलाकर इस्लाम में परिवर्तित करना चाहता है.”

हालांकि, प्रिंसिपल अवनीश कुमार शर्मा ने बाद में इन दावों का खंडन करते हुए कहा कि पूरी घटना स्कूल के सीसीटीवी कैमरों में रिकॉर्ड है. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि बच्चे को बंधक बनाया गया था, इसके बजाय उन्होंने दावा किया कि बच्चे को शिक्षक के साथ दूसरे कमरे में बैठाया गया था.

इसके अलावा, स्कूल ने स्पष्ट किया कि बच्चे का नाम रोल लिस्ट से नहीं हटाया गया था, जैसा कि शुरू में मां ने आरोप लगाया था. एक और घटनाक्रम में स्कूल प्रबंधन ने एक वीडियो बयान जारी किया जिसमें कई छात्रों ने बच्चे पर एक विशेष धर्म के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया.

इस बीच, जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS), विष्णु प्रताप सिंह ने घोषणा की कि मामले की जांच के लिए तीन अलग-अलग सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपलों की तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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