नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा)पूर्व न्यायाधीशों, नौकरशाहों और राजदूतों सहित भारत की 650 से अधिक प्रतिष्ठित हस्तियों ने बांग्लादेश के लोगों को एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें उनसे पिछले पांच दशक से दोनों देशों द्वारा जारी शांति और मैत्री के मार्ग पर जारी यात्रा को बरकरार रखने की अपील की गई है।
इस पत्र पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी के भी हस्ताक्षर हैं। इसमें अल्पसंख्यकों, उनकी संपत्तियों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर हमलों तथा उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर करने के प्रयासों को तत्काल रोकने का आह्वान किया गया है।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों ने कहा कि घनिष्ठ और भरोसेमंद द्विपक्षीय संबंध दोनों देशों के नागरिकों के दीर्घकालिक हित में है, और बांग्लादेश के लोगों को दुर्भावनापूर्ण भारत विरोधी अभियानों से प्रभावित नहीं होना चाहिए, जो लगातार बढ़ रहे पारस्परिक लाभकारी सहयोग के आधार को कमजोर करने का प्रयास करते हैं।
पत्र में कहा गया, ‘‘भारत के लोग बांग्लादेश में बिगड़ती स्थिति को लेकर चिंतित हैं। बांग्लादेश में अराजकता का माहौल है, जहां निर्णय लेने के लिए भीड़तंत्र को प्राथमिकता दी जा रही है। पूरे देश में सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में जबरन इस्तीफों का चलन है, जिसमें न्यायपालिका, कार्यपालिका (पुलिस सहित), शिक्षा जगत और यहां तक कि मीडिया घराने भी शामिल हैं।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘पुलिस बल अब भी पूरी क्षमता के साथ ड्यूटी पर नहीं लौटा है और सेना को मजिस्ट्रेट और पुलिस शक्तियां दिए जाने के बावजूद सामान्य स्थिति अभी तक बहाल नहीं हुई है।’’
पत्र में कहा गया, ‘‘विशुद्ध रूप से मानवीय पहलुओं के अलावा, यह खतरा भी है कि बांग्लादेश में अस्थिर स्थिति सीमा पार फैल सकती है, सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ सकती है और भारत में कानून-व्यवस्था की गंभीर समस्या पैदा कर सकती है।’’
पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली 685 हस्तियों में 19 सेवानिवृत्त न्यायाधीश, 34 पूर्व राजदूत और 300 शिक्षाविद शामिल हैं जिनमें केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आईआईटी)तथा भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के निदेशक शामिल हैं।
इनके अलावा, 139 पूर्व नौकरशाहों ने भी हस्ताक्षर किए हैं जिनमें संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), एनसीईआरटी के पूर्व अध्यक्ष, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त, पूर्व पुलिस महानिदेशक और पूर्व आयकर आयुक्त शामिल हैं। सशस्त्र बल के 192 अवकाश प्राप्त अधिकारी और नागरिक समाज के 35 सदस्यों के भी पत्र पर हस्ताक्षर हैं।
भाषा धीरज नरेश
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