नयी दिल्ली, नौ जून (भाषा) दिल्ली में सर्दियों में 64 फीसद प्रदूषण राष्ट्रीय राजधानी की सीमा के बाहर से आता है तथा ‘कृषि अपशिष्टों को जलाना’ एवं अलाव तथा रसोई संबंधी जरूरतों के लिए जलावन का इस्तेमाल इसके मुख्य स्रोत हैं। बृहस्पतिवार को जारी किए गए एक अध्ययन में यह बात कही गई है।
ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद के अध्ययन में कहा गया है कि परिवहन (12 फीसद), धूल कण (सात फीसद) और घरेलू जैव ईंधन का जलाना (छह फीसद) शहर में सर्दियों में (15 अक्टूबर से 15 जनवरी तक) स्थानीय रूप से होने वाले प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं।
अनुसंधानकर्ताओं ने दिल्ली वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली, दिल्ली वायु गुणवत्ता प्रबंधन निर्णय सहयोग प्रणाली और अर्बन इमिशन डॉट इन्फो डॉट समेत वायु गुणवत्ता पूर्वानुमानों पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों का इस्तेमाल किया।
अर्बन इमिशन डॉट इन्फो डॉट से जुटाए गए आंकड़े दर्शाते हैं कि खुले रूप से आग जलाना (31.68 फीसद), धूल कण (15.84 फीसद) और परिवहन (11.88) पिछले साल 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक ‘पराली जलाने’ के दौर के दौरान प्रदूषण के मुख्य स्रोत रहे।
बाद में 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक अलाव जलाने या खाना पकाने के लिए जैव ईंधन के उपयोग (17 फीसद) , धूल कण (17 फीसद) और परिवहन (16 फीसद) का राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण में सबसे अधिक योगदान रहा।
अध्ययन में कहा गया है कि दिल्ली में सर्दियों में प्रदूषण का 64 फीसद हिस्सा इसकी सीमा के बाहर से आता है। इसके अनुसार, अनुमान है कि ‘कृषि अपशिष्टों को जलाना’ एवं अलाव तथा रसोई संबंधी जरूरतों के लिए जलावन का इस्तेमाल इसके मुख्य स्रोत हैं।
भाषा
राजकुमार नेत्रपाल
नेत्रपाल
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