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Monday, 23 December, 2024
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12 महीने में 6 FIR, कैसे यह पूर्व IAS अधिकारी योगी सरकार के लिए मुसीबत बन गया है

पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह पिछले एक साल से ज्यादा समय से लगातार योगी आदित्यनाथ सरकार की आलोचना करते आ रहे हैं. उन्नाव पुलिस ने शनिवार को उनसे 4 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की.

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लखनऊ : पूर्व नौकरशाह सूर्य प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना करने वाले अपने तीखे ट्वीट्स और फिर अपने खिलाफ दर्ज होने वाली एफआईआर को लेकर लगातार चर्चा में बने हुए हैं.

उनके खिलाफ सबसे ताजा मामला इस हफ्ते के शुरू में दर्ज किया गया था जब उन्होंने कथित तौर पर कुछ छेड़छाड़ के साथ तैयार एक ऑडियो साझा किया था, जिसमें ट्विटर पर दो अज्ञात लोगों को यूपी के मुख्यमंत्री का समर्थन करने के लिए पैसे की मांग करते सुना जा सकता है. सूर्य प्रताप सिंह ने अपने ट्वीट में ऑडियो को ‘योगी का टूलकिट’ करार दिया था.

इस मामले में कानपुर पुलिस ने अतुल कुशवाहा की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की थी, जिन्होंने सिंह और दो अन्य लोगों पर उन्हें और योगी आदित्यनाथ को बदनाम करने का आरोप लगाया था. तीनों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 505 (सार्वजनिक क्षति वाला बयान देना) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

पुलिस अधिकारियों की एक टीम ने शनिवार को लखनऊ स्थित आवास पर सूर्य प्रताप सिंह से 4 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की. पूर्व अधिकारी ने कहा कि यह उन्हें डराने और मुद्दे उठाने से रोकने की कोशिश है.

लेकिन 66 वर्षीय पूर्व आईएएस अधिकारी के लिए ऐसे मामले कोई नई बात नहीं है. पिछले एक साल में उनके खिलाफ कथित तौर पर भ्रामक सूचनाएं फैलाने के लिए कुल छह प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी हैं, जिनमें से दो तो मई 2021 में दर्ज की गई हैं.


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इसका उल्लेख उनके ट्विटर प्रोफाइल में भी शामिल है, जहां उनके 1,59,000 से अधिक फॉलोअर हैं. उनके बायो में लिखा है, ‘योगी सरकार से सवाल पूछने पर 6 एफआईआर का तमगा प्राप्त.’

हालांकि, यह उन्हें इस तरह के सवाल उठाने से नहीं रोक सका है. सूर्य प्रताप सिंह ने दिप्रिंट से बताया, ‘मैंने हमेशा हर सरकार में कुछ भी गलत होने के खिलाफ आवाज उठाई है. मैं किसी से नहीं डरता. मैं अपनी आवाज उठाता रहूंगा. भले ही वे (सरकार) चाहते रहे हैं कि मैं राज्य छोड़ दूं या फिर मैं अपनी आवाज उठाना बंद कर दूं.’

उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ एफआईआर राज्य में ऑक्सीजन और दवा की कमी और गंगा नदी में तैरते शवों जैसे जरूरी मुद्दों पर जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिए दर्ज की गई है.

12 महीने में छह मामले

योगी सरकार के साथ पूर्व अधिकारी का विवाद पिछले साल लंबे समय तक चले देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान शुरू हुआ जब उन्होंने यूपी में कम टेस्टिंग का मुद्दा उठाया था.

जून 2020 में कोविड-19 महामारी से निपटने में सरकार की कोशिशों के संबंध में सोशल मीडिया पर कथित रूप से ‘भ्रामक सूचनाएं’ देने को लेकर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.

उन्होंने ट्वीट किया था कि एक वरिष्ठ नौकरशाह ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से मिलने के बाद एक डिस्ट्रिक्ट मैनेजर को और अधिक कोविड टेस्ट का प्रस्ताव देने के लिए डांटा था. सूर्य प्रताप सिंह ने राज्य में कोविड केस की संख्या कम रखने के लिए कम टेस्ट करने की सरकार की रणनीति पर भी सवाल उठाया था.

अगले ही महीने यानी जुलाई 2020 में गोरखपुर जिले में बिजली मीटरों के मामले में भ्रष्टाचार को लेकर कथित तौर पर गलत सूचना ट्वीट करने के लिए सेवानिवृत्त अधिकारी के खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

कासगंज में हत्या के मामले को लेकर ट्वीट करने के बाद अक्टूबर 2020 में सिंह के खिलाफ तीसरा मामला दर्ज किया गया, जिसमें एक मां और बेटी की ट्रैक्टर से कुचलकर मौत हो गई थी. हालांकि, पूर्व आईएएस अधिकारी ने कहा था कि यह सामूहिक बलात्कार का मामला है लेकिन बाद में उन्होंने ट्वीट को हटा दिया.

पिछले माह दो अलग-अलग घटनाओं को लेकर उनके खिलाफ दो मामले दर्ज किए गए थे. मई के शुरू में सूर्य प्रताप सिंह ने एक वीडियो ट्वीट किया था जिसमें दावा किया गया था कि वाराणसी में एक नाले में एक कोविड मरीज का शव मिला था. हालांकि, पुलिस का कहना था कि वीडियो असल में सितंबर 2020 का है और इस पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.

13 मई को गंगा में तैरते शवों की कथित तौर पर सात साल पुरानी तस्वीर को ट्वीट करने के लिए पूर्व नौकरशाह के खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज की गई थी. उन्होंने दावा किया था कि शव हाल ही में बलिया में नदी में देखे गए थे.

सूर्य प्रताप सिंह का कहना है कि उन्हें ‘आम लोगों की आवाज’ उठाने के लिए निशाना बनाया जा रहा है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मैं इलाज के बिना लोगों की मौत, अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी और जिस तरह से शव नदियों में फेंके जा रहे है, उनकी बात कर रहा हूं. मैं वह कर रहा हूं जो मुख्यधारा का मीडिया नहीं कर रहा. क्या किसी संगठन ने योगी सरकार के सूचना विभाग में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था? नहीं, उन्होंने ऐसा करने की हिम्मत नहीं दिखाई, लेकिन मैंने ऐसा किया.’

‘पोस्टिंग के दौरान 54 बार ट्रांसफर’

बुलंदशहर के रहने वाले सूर्य प्रताप सिंह 1982 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं और उत्तर प्रदेश में कई विभागों में सेवाएं देने के बाद 2015 में रिटायर हुए थे.

पूर्व अधिकारी के मुताबिक, 25 साल के कैरिअर में उनका 54 बार तबादला हुआ है. उनकी अंतिम पोस्टिंग यूपी सरकार के सार्वजनिक उद्यम विभाग में प्रमुख सचिव और सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो के महानिदेशक के रूप में थी.

आईएएस में शामिल होने से पहले उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा के एक अधिकारी के रूप में कार्य किया.

सेवा में रहने के दौरान वे एक लोकप्रिय अधिकारी थे. लोगों ने कथित तौर पर जिलों से उनके तबादले के दौरान विरोध प्रदर्शन किए थे और यहां तक कि कुछ मामलों में सड़कें तक बाधित कर दी थीं. एक सूत्र के मुताबिक, नैनीताल से उनका तबादला होने के बाद वहां तो एक हफ्ते तक बंद रखा गया था.

इस बीच, सूर्य प्रताप सिंह के एक करीबी सूत्र ने बताया कि उन्होंने समाजवादी पार्टी की सरकार के समय जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे, भी सरकार पर सवाल उठाए थे. उन्होंने 2017 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) में चल रहे घोटाले का मुद्दा विशेष तौर पर उठाया था.

पूर्व अधिकारी ने माना कि सत्तारूढ़ सरकार से सवाल करना उनके लिए नया नहीं था, लेकिन यह पहली बार है जब सरकार ने उनके खिलाफ मामले दर्ज किए हैं.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने अखिलेश सरकार के दौरान भी भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाए थे, लेकिन तब तो मेरे खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी, लेकिन यह सरकार मेरे खिलाफ बार-बार एफआईआर दर्ज कर रही है. वे अपने खिलाफ उठने वाली किसी भी आवाज को बर्दाश्त नहीं करते.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने कभी व्यक्तिगत तौर पर मुख्यमंत्री पर हमला नहीं किया. मैंने कभी उनके खिलाफ या किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं किया. मेरा इरादा व्यवस्था में सुधार करने का है और मैं सवाल उठा रहा हूं ताकि सरकार उपयुक्त समाधान तलाश सके.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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