जालंधर: 18 मार्च से फरार चल रहे खालिस्तानी एक्टिविस्ट अमृतपाल सिंह को पकड़ने के लिए पंजाब पुलिस ने अत्याधुनिक तकनीक और सैकड़ों पुलिसकर्मियों को शामिल कर एक बड़ा अभियान शुरू किया है.
पंजाब पुलिस के सूत्रों ने कहा कि चौबीसों घंटे कंट्रोल रूम में, 40 सदस्यीय तकनीकी टीम 5,400 से अधिक सीसीटीवी कैमरों से फुटेज को स्कैन करती है, जबकि एक अन्य खुफिया दस्ते मोबाइल टावरों से सैकड़ों जीबी डेटा के माध्यम से सावधानी से छानबीन करता है. उन्होंने कहा कि कई ‘हिट टीमें’, जिनमें लगभग 200 कर्मी शामिल हैं, इस बीच फिल्ड में है जो किसी भी प्रकार की लीड मिलने पर काम करना शुरू कर देती है.
फिर भी इन तमाम कोशिशों के बावजूद अमृतपाल अब तक हर मोड़ पर पुलिस को पछाड़ने में कामयाब रहा है और पुलिस से कई कदम आगे बढ़कर काम कर रहा है.
कथित तौर पर बुधवार को जारी किए गए एक वीडियो में, अमृतपाल को यह कहते हुए देखा जा सकता है कि उनकी गिरफ्तारी ‘वाहेगुरु (भगवान)’ तक थी. उन्होंने यह संकेत देते हुए कहा कि उसपर किसी दैवीय शक्तियों ने हस्तक्षेप किया होगा, इसलिए ‘कोई भी उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा सका’.
हालांकि, पंजाब पुलिस के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, जिसमें उनका मानना था कि अमृतपाल को संभवतः सीमा पार से ‘मार्गदर्शन’ मिल रहा है, जिससे वह उनका पीछा कर रही पुलिस को चकमा दे सके. पुलिस ने पहले भी कहा था कि वे अमृतपाल और पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के बीच संभावित लिंक की जांच कर रहे हैं.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक अमृतपाल को आखिरी बार पंजाब के होशियारपुर जिले के महतियाना गांव में बुधवार को देखा गया था. एक गुप्त सूचना के आधार पर, पुलिस ने मंगलवार की रात फगवाड़ा से एक सफेद इनोवा कार का पीछा भी किया, जिसमें अमृतपाल और उसके ‘संरक्षक’ पापलप्रीत सिंह के होने का संदेह था.
पुलिस सूत्र के अनुसार, हालांकि कार एक पुलिस चौकी से बच निकली और मरनियां गांव में प्रवेश कर गई, जहां के निवासी घर से बाहर आ गए, जिसके बाद गाड़ी में सवार लोग खेतों की ओर भाग गए. इसके बाद आसपास के गांवों में तलाशी अभियान चलाया गया, लेकिन अमृतपाल पकड़ से बाहर रहा.
अमृतपाल लगभग दो सप्ताह से भगोड़ा है, जब पुलिस ने इस महीने की शुरुआत में उसके और उसके संगठन वारिस पंजाब डे (पंजाब के वारिस) के अन्य सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी थी.
वकील से अभिनेता और फिर कार्यकर्ता बने दीप सिद्धू द्वारा 2021 में एक प्रेशर ग्रुप के रूप में इस विवादास्पद संगठन की शुरुआत की गई थी. सिद्धू की मृत्यु के बाद अमृतपाल पिछले साल इसके प्रमुख बने थे.
उसके बारे में यह भी कहा जाता है कि वह आनंदपुर खालसा फौज (एकेएफ) नामक मिलिशिया ग्रुप बना रहा था. पिछले मंगलवार को पंजाब सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया था कि उसपर सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाया गया है.
18 मार्च के बाद से मीडिया में कई फोटोज और वीडियो आए जिसमें इस कट्टरपंथी उपदेशक को कथित तौर पर वाहनों के साथ भेष बदलकर घूमते हुए देखा गया था.
हालांकि, पुलिस सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि वो उसे पकड़ने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं और उसे पकड़ने के करीब पहुंच चुके हैं.
पंजाब पुलिस के एक दूसरे सूत्र ने कहा, ‘कई टीमें काम पर हैं. मोबाइल टावर से डेटा एकत्र किया जा रहा है और उसके आधार पर एक नक्शा तैयार किया गया है. अब तक, हमारे सभी इनपुट के परिणामस्वरूप काम करने योग्य सुराग मिले हैं.’
‘सीसीटीवी कैमरे, डेटा डंप, इंटेल इनपुट’
अमृतपाल सिंह को ट्रैक करना अपने अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ सैकड़ों पुलिसकर्मियों द्वारा मुश्किल काम रहा है.
एक दूसरे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि एक काउंटर टेररिज्म टीम ऑपरेशन में मदद कर रही है और बाकी ‘हिट टीमों’ के साथ समन्वय कर रही है, जो जमीनी स्तर पर काम कर रही हैं.
अन्य टीमें बड़े पैमाने पर डेटा की निगरानी कर रही हैं, जिसमें विभिन्न राज्यों के सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल टावर डंप शामिल हैं. डेटा के आधार पर अमृतपाल के कथित रूट का ब्यौरा देने वाला एक मैप भी बनाया गया है.
पंजाब पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, ‘जब कोई व्यक्ति भागता है, तो यह एक खुफिया ऑपरेशन बन जाता है. डेटा का विश्लेषण करने और लीड जेनरेट करने के लिए टीमें चौबीसों घंटे काम कर रही हैं. 40 से अधिक लोग लगातार डेटा की निगरानी कर रहे हैं और खुफिया और तकनीकी जानकारी की तलाश कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि पंजाब के जालंधर, जालंधर ग्रामीण, अमृतसर, अमृतसर ग्रामीण, होशियारपुर और कपूरथला में चार-चार टीमें मैदान में हैं.
पहले उद्धृत पुलिस सूत्र ने कहा कि हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी टीमें तैनात की गई है.
उन्होंने कहा, ‘पंजाब से कुरुक्षेत्र और दिल्ली तक, टोल, राजमार्गों, ढाबों के 5,600 से अधिक कैमरों को स्कैन किया गया है. मार्गों के मानचित्र भी तैयार कर लिए गए हैं और कार्य प्रगति पर है.’
हालांकि, पुलिस को शक है कि अमृतपाल को पाकिस्तान में कथित सहयोगियों से मदद मिल रही है, जिससे उसे पकड़ना और भी मुश्किल हो गया है.
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‘पाकिस्तान की स्क्रिप्ट के बाद’
पंजाब पुलिस ने पिछले हफ्ते कहा था कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने अमृतपाल के सार्वजनिक व्यक्तित्व को बढ़ाने में भूमिका निभाई और विदेशों में रह रहे खालिस्तान समर्थकों को भारत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए उकसाया.
अमृतपाल के कथित साथी पापलप्रीत सिंह के भी आईएसआई से संबंध होने के अनुमान हैं.
पंजाब पुलिस के पहले सूत्र के अनुसार, अमृतपाल के भागने की पटकथा सीमा पार के किसी व्यक्ति द्वारा लिखी गई है, जो लगातार उसे उसके अगले कदम के लिए मार्गदर्शन कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘वह (अमृतपाल) बस एक स्क्रिप्ट का पालन कर रहा है जो उन्हें सीमा पार से दी जा रही है. उसे एक ऐसे व्यक्ति द्वारा निर्देशित किया जा रहा है, जो जानता है कि पुलिस कैसे काम करती है और उसे कैसे चकमा दिया जा सकता है. उसे हर एक कदम के लिए निर्देशित किया जा रहा है कि आगे कहां जाना है और सीमा पार से उसे रसद सहायता भी प्रदान की गई है.’
पुलिस का मानना है कि इसने अमृतपाल को इस महीने की शुरुआत में उसके खिलाफ शुरू की गई बड़ी तलाशी से बचाने में मदद की.
18 मार्च को इस कट्टरपंथी उपदेशक ने पुलिस से भागने की कोशिश की, चतुराई से पीछा करने वाली टीमों को चकमा दिया और अंततः एक हैचबैक कार में फरार हो गया. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, उसके जाने के एक हफ्ते बाद ही उसे हरियाणा के कपूरथला में सीसीटीवी फुटेज में देखा गया था. उसके बाद वह पूर्वी दिल्ली में एक सीसीटीवी फुटेज में कथित तौर पर बिना पगड़ी और फिर पंजाब के होशियारपुर में देखा गया था.
पुलिस के एक सूत्र ने कहा, ’18 मार्च को, हमें यकीन था कि हम उसे पकड़ लेंगे, लेकिन फिर वह एक हैचबैक कार में अपने काफिले को छोड़कर भाग निकला. हमें इसका एहसास नहीं हुआ कि उसने हमें धोखा दिया.’
‘एक भी गोली नहीं चली’
एक तीसरे पुलिस सूत्र ने कहा कि पंजाब में कानून प्रवर्तन ने अमृतपाल का पीछा करने के दौरान गोली नहीं चलाने और उनके समर्थकों को किसी भी प्रकार का चोट न पहुंचाने का निर्णय लिया है.
उन्होंने कहा, ‘हम कोई हताहत नहीं चाहते थे, यही वजह है कि पुलिस ने ऑपरेशन के दौरान बेहद संयम बरता. एक भी गोली नहीं चलाई गई और न ही किसी समर्थक को पीटा गया या किसी तरह से मारपीट की गई. यह एक बहुत ही सावधानीपूर्वक किया गया ऑपरेशन था.’
उन्होंने कहा कि यह एक रणनीतिक फैसला था.
उन्होंने कहा, ‘भगवान न करे ऐसा हो लेकिन अगर कुछ हो जाता तो अमृतपाल हीरो बन जाता. वह शहीद कहलाता. इससे कानून-व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति पैदा हो सकती थी, जो हम नहीं चाहते थे.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हम उसे पकड़ लेंगे, आज नहीं तो कल, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि राज्य में कानून-व्यवस्था व्यवस्था बनी रहे.’
इस सूत्र ने दावा किया कि पुलिस से भागकर अमृतपाल ने एक नेता और एक पवित्र व्यक्ति के रूप में अपनी छवि को धूमिल किया है.
उन्होंने कहा, ‘वैसे भी उनके पास बहुत कम इलाकों में समर्थन है और वह भी अब प्रभावित हो रहा है. वे सब देख रहे हैं कि वह कैसे भाग रहा है. यह एक संत या एक नेता की उनकी छवि को प्रभावित करता है जिसे वे पेश करना चाहते थे. इसने उन्हें पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘अब लोगों को एहसास हुआ कि जिस व्यक्ति को वे बहुत बहादुर समझते थे, वह एक भगोड़े की तरह इधर-उधर भाग रहा है.’
(संपादन: ऋषभ राज)
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