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Friday, 20 December, 2024
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छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व बनने को तैयार, आठ साल देरी का कारण बताने पर चुप रहे अधिकारी

अधिकारी ने बताया कि विभाग ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है और अब विधानसभा सत्र के उपरांत जल्द ही प्रदेश सरकार के स्तर पर नए टाइगर रिजर्व के नोटिफिकेशन की कार्यवाही होगी.

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रायपुर: सरकार के आला अफसर करीब आठ साल की हीला-हवाली के कारण बताने से परहेज करते नजर आये लेकिन यह जानकारी जरूर साझा किया की छत्तीसगढ़ का चौथा और देश का 51वें टाइगर रिजर्व के गठन का इंतजार अब जल्द ही खत्म होगा. काफी इंतजार के बाद राज्य सरकार जल्द ही गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व (जीटीआर) की नोटिफिकेशन के लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) को एक प्रपोजल भेजेगी. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह कवायद विधानसभा के बजट सत्र के तुरंत बाद होगी.

दिप्रिंट से बात करते हुए विभागीय अधिकारियों ने बताया कि सरकार द्वारा गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व के गठन कि पूरी तैयारी कर ली गयी है. इसके तहत रिजर्व का क्षेत्रफल, बाघों की वर्तमान संख्या और भविष्य मे उनकी संख्या में बढ़ोत्तरी की गतिविधियां, वन क्षेत्र में बाघों के लिए उपर्युक्त वातावरण, वहां के शिकार का आधार और रिजर्व के क्षेत्रफल की जानकारी के साथ-साथ एनटीसीए के मापदंडों के अनुसार की जाने वाली सभी गतिविधियों की जानकारी दी जाएगी.

दिप्रिंट से बात करते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) वन्य जीव एवं राज्य वन्य जीव प्रतिपालक एके शुक्ला ने बताया, ‘विभाग ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है और अब विधानसभा सत्र के उपरांत जल्द ही प्रदेश सरकार के स्तर पर नये टाइगर रिजर्व के नोटिफिकेशन की कार्यवाही की जाएगी.’

शुक्ला ने आगे बताया, ‘गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल करीब 2000 वर्ग किलोमीटर का होगा जहां जहां बाघों के लिए एक मजबूत शिकार का आधार पहले से ही है. राज्य सरकार ने गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व बनाने का निर्णय नवंबर 2019 में हुई राज्य वन्य जीव बोर्ड की 11वीं बैठक में ले लिया था लेकिन फिर चुनाव और अब विधानसभा सत्र के चलते समय के अनुसार प्राथमिकता बदलती रही.’

हालांकि, शुक्ला से जब दिप्रिंट ने जानना चाहा कि इस प्रक्रिया के लिए राज्य सरकार के स्तर पर आठ साल से ज्यादा का वक्त क्यों लगा तो उनका कहना था, ‘इसकी जानकारी देने में मैं सक्षम नहीं हूं क्योंकि मैंने यह पद जुलाई 2019 में संभाला है और उसके बाद वन्य जीव बोर्ड की पहली बैठक के बाद ही नए टाइगर रिजर्व के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई.’

ज्ञात हो कि पूर्व केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने देहरादून स्थित भारतीय वन्य जीव संस्थान द्वारा 2010 में किये गए एक सर्वे के पश्चात 2011 में राज्य सरकार को पत्र लिखा था कि वह इस दिशा में केंद्र के लिए नोटिफिकेशन की कार्यवाही करें. इसके बाद 2014 में एनटीसीए ने भी अपनी विधिवत हामी भर दी थी लेकिन भाजपा की तत्कालीन राज्य सरकार ने इस दिशा में कोई पहल करना उचित नहीं समझा.

प्रदेश वन विभाग के बड़े अधिकारियों से पूछा गया कि नोटिफिकेशन के लिए सरकार को इतना समय क्यों लगा तो विभाग के सचिव मनोज कुमार पिंगुआ का कहना था, ‘ऐसा क्यों हुआ यह मेरी जानकारी में नहीं है. इस संबंध में पीसीसीएफ, वन्य जीव ही कुछ बता पाएंगे.’

विभागीय सूत्रों का कहना है कि पिछली सरकार में राजीनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव और वनग्राम में निवासरत वोट बैंक को बचाये रखना ही मुख्य उद्देश्य था जिसके वजह से यह नहीं हो पाया. नाम जाहिर न करने की शर्त पर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पिछली और वर्तमान सरकार दोनों में गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व का एजेंडा कभी था.

भूपेश सरकार में अभी अधिकारी कुछ भी कह रहे हों लेकिन इस सरकार ने भी यह कदम तभी उठाया जब राज्य के अजय दुबे नामक एक वन्य जीव एक्टिविस्ट ने मामले में सितंबर 2019 में एक पीआईएल के माध्यम से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में मांग की कि गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व को जल्दी बनाने के लिए राज्य सरकार को आदेश दिया जाय.

अजय दुबे ने पीआईएल के जरिए कोर्ट में सरकार के खिलाफ कहा, ‘केंद्र सरकार की सहमति के बाद भी यह समझ से परे है कि राज्य गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व के नोटिफिकेशन की कार्यवाही क्यों नहीं करना चाहती. सरकार को आदेश दिया जाय की इसे कार्य को जल्द सम्पन्न करे.’

मामला उच्च न्यायालय में आने के बाद राज्य सरकार अपना पक्ष रखने के लिए अभी तक न्यायालय से दो बार समय ले चुकी है. लेकिन अधिकारियों का कहना है कि अगली सुनवई में सरकार द्वारा न्यायालय को नए टाइगर रिजर्व के नोटिफिकेशन प्रपोज़ल की पूरी जानकरी दे दी जयेगी.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार के आमंत्रण के बाद 2014 में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने भी गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व के गठन के लिए अपनी सहमति दे दिया था.

यदि योजना मूर्तरूप लेती है तो बतौर जयराम रमेश गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व मध्य भारत में बाघों के संरक्षण वाल का सबसे बड़ा भूभाग होगा. गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ और झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व के बीच है. इसका एक भाग मध्य प्रदेश के संजय-डुमरी टाइगर रिजर्व से भी लगा हुआ है. छत्तीसगढ़ में तीन टाइगर रिजर्व पहले ही हैं. उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व गरियाबंद जिला, अचानकमार टाइगर रिजर्व बिलासपुर और इंद्रावती टाइगर रिजर्व बीजापुर जिले में स्थित है.

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