नयी दिल्ली, नौ अक्टूबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर में 4,153 ग्राम सहायता समूह (वीडीजी) और 32,355 विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) नागरिकों की सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी अभियानों से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों में शामिल हैं।
वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, सीमा पार से प्रायोजित और समर्थित आतंकवादी एवं अलगाववादी हिंसा के कारण जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति लगभग तीन दशकों तक प्रभावित थी।
इसमें कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में जारी आतंकवादी गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के साथ-साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी) के रास्ते सीमा पार से होने वाली आतंकवादी घुसपैठ का नतीजा हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर सरकार ने 1995 में ग्राम रक्षा समूह योजना को अधिसूचित किया था। इसमें कहा गया है कि क्षेत्र के मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए योजना को 14 अगस्त 2022 को संशोधित कर नये सिरे से अधिसूचित किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, “ग्राम रक्षा समूह के सदस्यों को ग्राम रक्षा गार्ड नाम दिया गया है। मौजूदा समय में ग्राम रक्षा समूह की स्वीकृत संख्या 4,985 है, जिनमें से 4,153 वीडीजी का गठन किया जा चुका है।”
अधिकारियों ने बताया कि वीडीजी का मूल नाम ग्राम रक्षा समिति (वीडीसी) था। उन्होंने कहा कि वीडीसी की स्थापना का विचार 1965 और 1971 के युद्ध के दौरान पूर्व सैन्य कर्मियों को हथियारों से लैस करने के इरादे से रखा गया था, ताकि पाकिस्तान से घुसपैठ और जासूसी पर लगाम लगाई जा सके।
ग्रामीणों के समक्ष मौजूद आतंकवादी खतरों के मद्देनजर उन्हें आत्मरक्षा की क्षमता प्रदान करने के लिए जम्मू क्षेत्र में वीडीसी की स्थापना की गई थी। योजना के तहत प्रत्येक वीडीसी में प्रभारी के रूप में एक विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) और 10-15 स्वयंसेवक सदस्य होते थे, जिनमें से ज्यादातर सेना के पूर्व कर्मी होते थे। उन्हें .303 राइफल और गोला-बारूद दिया जाता था। वीडीसी के प्रभारी एसपीओ को भुगतान किया जाता था, जबकि बाकी सदस्य स्वयंसेवक होते थे।
साल 2020 में ग्राम रक्षा समिति संबंधी नीति को नया रूप दिया गया और ग्राम रक्षा समूहों की शुरुआत की गई, जिनके सदस्यों को ग्राम रक्षा गार्ड कहा जाता है।
सिर्फ नाम ही नहीं, समिति की संरचना भी बदल दी गई है। वीडीसी में जहां केवल एसपीओ को भुगतान किया जाता था, वहीं वीडीजी में ग्राम रक्षा गार्ड को भी पारिश्रमिक दिया जाता है।
अधिकारियों ने बताया कि ज्यादा संवेदनशील क्षेत्रों में ग्राम रक्षा गार्ड को 4,500 रुपये प्रति माह, जबकि अन्य क्षेत्रों में 4,000 रुपये प्रति माह का भुगतान किया जाता है।
ग्राम रक्षा गार्ड जिला पुलिस अधीक्षक या वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की देखरेख में काम करते हैं।
गृह मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा समय में विशेष पुलिस अधिकारियों की स्वीकृत संख्या 34,707 है, जिनमें से 32,355 एसपीओ की नियुक्त की जा चुकी है। जम्मू-कश्मीर पुलिस एसपीओ को सौंपे गए विभिन्न अभियानों में उनका नेतृत्व और मार्गदर्शन करती है।
जम्मू-कश्मीर में विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) का पद 1995 में स्थापित किया गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एसपीओ पद की स्थापना का मूल उद्देश्य आतंकवाद-रोधी अभियानों में कानून लागू करने वाली एजेंसियों को सहायता प्रदान करना, स्थानीय आबादी को उसकी सुरक्षा की प्रक्रिया में शामिल करना और आतंकवाद पर लगाम लगाने में जम्मू-कश्मीर पुलिस एवं अर्धसैनिक बलों की मदद करना था।
रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर पुलिस के एसपीओ को 18 हजार रुपये प्रति माह तक का भुगतान किया जाता है। इसमें बताया गया है कि तीन साल से कम अनुभव वाले एसपीओ को हर महीने 6,000 रुपये, तीन साल से अधिक और पांच साल से कम अनुभव वाले एसपीओ को 9,000 रुपये, पांच साल से अधिक और 10 साल से कम अनुभव वाले एसपीओ को 12,000 रुपये, 10 साल से अधिक और 15 साल से कम अनुभव वाले एसपीओ को 15,000 रुपये तथा 15 साल से अधिक का अनुभव रखने वाले एसपीओ को 18,000 रुपये का भुगतान किया जाता है।
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पारुल प्रशांत
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