नई दिल्ली: दिल्ली स्थित चार अस्पतालों ने अब तक पीएम केयर्स फंड में कोविड-19 के लिए सहायता राशि देने से मना कर दिया है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) का कहना है कि इस फंड में एक दिन की सैलरी काटे जाने की जो बात है वो वैकल्पिक होनी चाहिए.
मामले पर एम्स आरडीए के सचिव डॉक्टर श्रीनिवास राजकुमार ने दिप्रिंट से कहा, ‘ऐसा नहीं है कि सबने पीएम केयर्स फंड में पैसे देने से मना किया है. हमने बस इतना कहा है कि ये वैकल्पिक होना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि जिसे इस फंड में पैसे देने हैं वो दें जिसे नहीं देने हैं उसे मजबूर न किया जाए.
ऐसा करने वाले अस्पतालों में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एंड एसोसिएटेड हॉस्पिटल (एलएचएमसी) और वीएमएमसी और सफ़दरजंग हॉस्पिटल शामिल हैं. सफ़दरजंग हॉस्पिटल प्रशासन ने अपने डॉक्टरों की ये मांग मान ली है.
सफ़दरजंग आरडीए के अध्यक्ष डॉक्टर मनीष ने दिप्रिंट से कहा, ‘हमने 8 तारीख़ को ये मांग की थी कि पीएम केयर्स में डॉक्टरों के एक दिन की सैलरी न काटी जाए और रिस्क एंड हज़र्ड अलाउएंस की मांग की थी.’ उन्होंने बताया कि पैसे नहीं काटे जानी की उनकी मांग सोमवार को मान ली गई.
पीएम केयर्स में सहायता राशि बाध्य किए जाने पर विरोध के स्वर सबसे पहले एम्स के डॉक्टरों में उभरे. 8 अप्रैल को की गई इससे जुड़ी मांग में एम्स आरडीए के सचिव डॉक्टर श्रीनिवास राजकुमार ने ट्वीट किया, ‘एम्स आरडीए पीएम केयर्स फंड बनाए जाने की तारीफ़ करता है.’ उन्होंने आगे लिखा कि पहले से पैसों की कमी की मार से जूझ रही भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था पर इस स्तर की महामारी से पड़ी मार का भी उन्हें अंदाज़ा है.’
इसके बाद उन्होंने मांग की कि तमाम गंभीरताओं को ध्यान में रखते हुए पीएम केयर्स फंड में डॉक्टरों का दान वैकल्पिक होना चाहिए. एम्स के रजिस्ट्रार को इस बारे में लिखते हुए कहा गया, ‘एक महामारी या राष्ट्रीय आपातकाल भी किसी की स्वतंत्रता छीनने की वजह नहीं हो सकती, ख़ास तौर से स्वास्थ्य से जुड़े लोगों की तो बिल्कुल नहीं.’
आगे लिखा है कि एम्स आरडीए ने आपातकाल के समय भी अपनी बात स्पष्ट तरीके से रखी थी और वो इन आदर्शों के लिए अभी भी खड़े रहेंगे. 9 अप्रैल को ऐसी ही मांग करते हुए एबीवीआईएमएस और आरएमएल ने इस फंड में एक दिन की सैलरी देने से मना कर दिया.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के आउटब्रेक की शुरुआत से ही इन अस्पतालों के डॉक्टर इस लड़ाई में सबसे आगे रहे हैं.
अपने मेडिकल सुपरीटेंडेंट को उन्होंने लिखा, ‘आरडीए के सदस्य सैलरी काटे जाने को लेकर पूर्ण असहमति व्यक्त करते हैं क्योंकि वो कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में सबसे आगे हैं.’ वहीं, वो इस विपदा के समय में डटकर मुकाबला कर रहे हैं. यहां के आरडीए सदस्यों ने भी रिस्क एंड हज़ार्ड अलाउएंस की मांग की.
While everybody goes crazy about PM CARES, the real frontline soldiers who know the reality..#PMCARES #PMCARESFund #PPE pic.twitter.com/rxrrE0MgHb
— Srinivas Rajkumar M.D(AIIMS) (@srinivas_aiims) April 12, 2020
लेडी हार्डिंग द्वारा की गई अपील में भी कुछ ऐसी ही भाषा है जिसमें एक दिन की सैलरी देने से साफ़ मना किया गया है और रिस्क एंड हज़ार्ड अलाउएंस की मांग की गई है. इसी से जुड़े एक ट्वीट में डॉक्टर श्रीनिवास ने लिखा है, ‘एक तरफ़ लोग पीएम केयर्स फंड को लेकर सकारात्मक राय रखते हैं, वहीं दूसरी तरफ़ फ्रंट लाइन के सिपाहियों को असलियत पता है.’
It’s misleading. I am in central govt job in Ministry and many friends are working across the country in various departments. All got mail from cash section , including me, for 1 day salary deduction and to inform if not agreeiy before a certain date.
So, it is optional. If this was not done in RML,AIIMS etc, it is the fault of cash section of respective hospital. The article above, shows as if it is being forced.
It is correct. This is optional in central government ministries/departments.