नई दिल्ली: युद्धग्रस्त देश सूडान से लगभग 3800 भारतीय नागरिक सफलतापूर्वक वापस देश आ चुके हैं. सरकार ने बाकी बचे भारतीयों को वापस देश लाने के लिए ‘ऑपरेशन कावेरी’ को और तेज कर दिया है.
बीती रात भारतीय वायु सेना का C-130J विमान 47 फंसे हुए भारतीयों को लेकर जेद्दाह से दिल्ली के लिए रवाना हुई.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट किया, ‘सूडान से 47 लोगों को लेकर आईएएफ का C-130J विमान जेद्दा से दिल्ली के लिए रवाना हो रहा है. ‘ऑपरेशन कावेरी’ के तहत सूडान से करीब 3800 लोगों को बचाया गया है.’
इससे पहले गुरुवार को सूडान में फंसे 192 भारतीय अहमदाबाद पहुंचे.
उन्हें भारतीय वायुसेना के सी17 विमान से पोर्ट सूडान से अहमदाबाद लाया गया था.
सूडान में भारतीय दूतावास के अनुसार, ‘ऑपरेशन कावेरी’ के तहत संघर्षग्रस्त सूडान से कुल 3,584 भारतीयों को निकाला गया है, गुरुवार को नौ दिनों का अभियान पूरा हुआ.
संघर्षग्रस्त सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए भारत सरकार द्वारा अपने महत्वाकांक्षी बचाव मिशन, ‘ऑपरेशन कावेरी’ को शुरू किए हुए नौ दिन बीत चुके हैं. वाडी सैय्यदना सैन्य हवाई अड्डे से 5 भारतीय नौसेना के जहाजों और 16 भारतीय वायु सेना के विमानों का उपयोग करके ऑपरेशन शुरू किया गया था.
दक्षिण सूडान के विदेश मंत्रालय के मंगलवार को एक बयान के अनुसार, सूडान में दो युद्धरत गुट, सूडानी सशस्त्र बल (एसएएफ) और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) सात दिनों के युद्धविराम के लिए सहमत हुए हैं.
बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने यह भी कहा कि वे शांति वार्ता के लिए प्रतिनिधियों को ‘अपनी पसंद के सहमत स्थान पर आयोजित करने के लिए’ भेजेंगे. न तो SAF और न ही RSF ने अपने आधिकारिक चैनलों पर इसको लेकर कोई टिप्पणी की.
पिछला युद्धविराम देश भर में विरोधी गुटों के बीच हिंसा को समाप्त करने में सक्षम नहीं रहा था. सूडानी सेना के कमांडर अब्देल फत्ताह अल-बुरहान और आरएसएफ के नेता मोहम्मद हमदान डागलो एक समझौते पर पहुंचने में विफल रहे और अप्रैल के मध्य में दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 528 लोगों की मौतें हुई और देश से शरणार्थियों का बड़े पैमाने पर पलायन हुआ.
मंगलवार की घोषणा संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) द्वारा चेतावनी के बाद आई है कि 800,000 से अधिक लोग अन्य देशों में पलायन कर सकते हैं. हालांकि सूडान के प्रमुख बंदरगाहों से लोगों को निकालने के लिए चल रहा अभियान हिंसा के कारण काफी दिक्कतों का सामना कर रहा है.
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