नई दिल्ली: अगस्त 2021 में 14 वर्षीय खय्याम मकसूद, एक पाकिस्तानी किशोर और एक स्कूली छात्र, “अपनी बकरियों की तलाश” करते हुए नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास भटकने के बाद भारत आ गया. तीन महीने बाद, नवंबर 2021 में, एक और 14 साल का असमद अली भी “अपने पालतू कबूतरों का पीछा करते हुए” भारत में प्रवेश किया. दो साल पहले, 16 साल के अहसान अनवर ने अक्टूबर 2019 में अपने दोस्तों के साथ “लुका-छिपी” खेलते हुए भारत में प्रवेश किया था.
तीनों किशोरों को भारतीय सेना द्वारा हिरासत में लिया गया और जम्मू और कश्मीर पुलिस को सौंप दिया गया. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उन्हें पुंछ के रणबीर सिंह पुरा अवलोकन गृह में रखा.
उसके बाद जांच हुई और किशोर न्याय बोर्ड, पुंछ ने 2021 और 2022 के बीच उनकी रिहाई का आदेश दिया. आदेश में यह लिखा था कि वे “अनजाने में” भारतीय इलाके में आ गए थे और यह साबित हो चुका है.
लेकिन, उनकी रिहाई के आदेश एक साल से अधिक समय पहले जारी किए जाने के बावजूद – लगभग दो मामलों में – उन लड़कों को अभी भी निगरानी गृह में ही रखा है. जबकि अनवर को रिहा करने का आदेश 30 जून 2021 को आया था और मकसूद और असमद की रिहाई के लिए आदेश 25 जून 2022 को आया था. दिप्रिंट ने तीनों आदेशों की कॉपी देखी है.
तीन मामलों में, जहां मकसूद को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था, वहीं अली और अनवर को पर्याप्त अनुमति के बिना भारत क्षेत्र में प्रवेश करने का दोषी ठहराया गया था. पाकिस्तान के पंजाब के ननकाना साहिब का रहने वाला अनवर अब बालिग हो गया है.
तीनों मामलों को करीब से देखने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ता राहुल कपूर ने दिप्रिंट को बताया कि अदालत द्वारा उन्हें रिहा करने का आदेश और पाकिस्तान द्वारा उनके स्वदेश वापसी की मांग के बावजूद लड़कों को वापस भेजने की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हुई है.
कपूर ने कहा, “सीआईडी ने किशोरों को वापस भेजने की मंजूरी दे दी है और जेल अधीक्षक ने एक रिपोर्ट भी सौंपी है. लेकिन तीनों किशोर अभी भी जेल में ही बंद हैं.”
उन्होंने कहा कि अनवर यहां लगभग दो साल से है, जिसका मतलब है कि वह पहले ही विदेशी अधिनियम के तहत दी गई न्यूनतम सजा काट चुका है.
उन्होंने कहा, “अन्य दो बच्चे भी एक साल से अधिक समय से फंसे हुए हैं.”
कपूर के अनुसार, उन्होंने मानवीय आधार पर बच्चों की रिहाई का मुद्दा प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), विदेश मंत्रालय (एमईए) और पाकिस्तान और भारत के उच्चायोगों के समक्ष उठाया है, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
उन्होंने कहा, “यह और भी निराशाजनक है क्योंकि बच्चे अपने जीवन के महत्वपूर्ण समय को खो रहे हैं. सभी प्रकार की मंजूरी मिलने के बावजूद वह एक अवलोकन गृह में फंस गए हैं. अदालत ने उनकी रिहाई का आदेश दिया है, लेकिन अब भी किसी न किसी बहाने से इसमें देरी की जा रही है.”
कपूर ने दावा किया कि अली को एक बार फोन से अपने परिवार के लोगों से बात करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन अन्य दो लोगों किशोर को अभी तक फोन से अपने परिवार के बात करने की अनुमति भी नहीं दी गई है.
दिप्रिंट ने कॉल के जरिए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची से संपर्क किया कि उनकी रिहाई में किस वजह से देरी हो रही है, लेकिन इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
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‘पता नहीं हम अपने बच्चे को कब देखेंगे’
इन पाकिस्तानी किशोरों के परिवारों को जब रिहाई के आदेश जारी होने की खबर मिली तो इनकी उम्मीदें बढ़ गई लेकिन रिहाई में देरी ने उनकी उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया है.
फोन पर दिप्रिंट से बात करते हुए, अली के चाचा अरबाब अली ने कहा कि उन्होंने अपने भतीजे की वापसी सुनिश्चित करने के लिए जो कुछ भी कर सकते थे, किया, लेकिन अब वह बेहद असहाय महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अली की मां का निधन तब हो गया जब वह काफी छोटा था. उसके बाद उसके पिता ने उसे छोड़ दिया. अरबाब अली और उसका परिवार तब से अली को अपने साथ रखने लगा और उसका पालन-पोषण करने लगा.
अली पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के सीमावर्ती गांव टाट्रिनोट से ताल्लुक रखते हैं, जो एलओसी से महज 20-30 कदम की दूरी पर है.
अरबाब अली ने कहा, “वह नवंबर 2021 में अचानक से लापता हो गया था और हमें नहीं पता था कि वह अपने कबूतरों के पीछे-पीछे दौड़ते हुए भारतीय सीमा में चला गया था. हमें सोशल मीडिया के माध्यम से पता चला कि उसे भारत में गिरफ्तार किया गया है. वह बच्चा है और उसे अंदाजा नहीं था कि यह एक अलग देश है और वह वहां फंस जाएगा. उस दिन से हम उसे घर वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं.”
लड़के के चाचा ने कहा कि वह तब से कई बार भारतीय उच्चायोग जा चुके हैं, लेकिन हर बार कहा गया कि उन्होंने इसके लिए अपने भारतीय समकक्ष को लिखा है. लेकिन “पिछले डेढ़ साल में कुछ भी नहीं बदला है”.
उन्होंने कहा, “यह एक लंबा इंतजार है, हम नहीं जानते कि हम अपने बच्चे को कब देख पाएंगे.”
अस्मद अली की रिहाई का आदेश भी कुछ ऐसी ही कहानी बयां करती है. आदेशों के अनुसार, उसमें दावा किया कि वह बिना यह जाने कि वह दूसरे देश के क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है, जम्मू-कश्मीर में घुस गया.
इसके अलावा उसके पास से कुछ भी संदिग्ध बरामद नहीं हुआ. लेकिन चूंकि वह बिना किसी अनुमति के भारत में प्रवेश करने का आरोपी था, इसलिए अली पर द इग्रेस एंड इंटरनल मूवमेंट (कंट्रोल) अध्यादेश, 2005 की धारा 2 और 3 के तहत अपराध करने का मामला दर्ज किया गया था.
हालांकि, उसके खिलाफ आरोप साबित हो गए थे, लेकिन अदालत ने उसकी रिहाई का आदेश दिया, क्योंकि वह एक किशोर है.
आदेश में कहा गया था, “उसे दोषी ठहराया गया है, लेकिन एक किशोर होने के नाते, उसे कानून के तहत सजा नहीं दी जा सकती है. इसलिए, उसे मजिस्ट्रेट द्वारा विधिवत रूप से सत्यापित एक उपक्रम प्रस्तुत करने के अधीन रिहा करने का आदेश दिया गया है कि वह इस अपराध को नहीं दोहराएगा.“
कपूर, जिन्होंने अली का मामला उठाया और उसकी रिहाई के लिए एक अभियान भी शुरू किया था. उन्होंने कहा कि यद्यपि उसे दोषी ठहराया गया था, लेकिन एक किशोर होने के नाते, उसे जेल की कोई सजा नहीं काटनी थी. उन्होंने कहा कि उनसे इस बात का सबूत देने के बाद जाने दिया जाना चाहिए था कि वह इस अपराध को दोबारा नहीं दोहराएगा.
बाकी दो की भी कहानी अलग नहीं
खय्याम मकसूद की कहानी भी कुछ अलग नहीं है.
उसका बड़ा भाई अहतिशाम, जो इस्लामाबाद में एक कपड़ों के ब्रांड के साथ सेल्स एग्जीक्यूटिव के रूप में काम करते हैं, ने कहा कि पिछले दो सालों में उनके अनुरोधों और अपीलों का कोई फल नहीं मिला है.
उन्होंने कहा, “लगभग दो साल बीत चुके हैं और हमने अपने छोटे भाई से एक बार भी बात नहीं की है. हम नहीं जानते कि वह कैसा है और किस हाल में है. उसका एकमात्र दोष यह था कि वह गलती से भारत में चला गया.”
अहतिशाम ने कहा कि जब परिवार को पता चला कि उसके लड़के को क्यों गिरफ्तार किया गया है, तो वे भारतीय उच्चायोग में गए और उनसे इस मामले को लेकर अपील की. उन्होंने कहा, “वे हमें बताते रहे कि आपकी अपील पेंडिंग में है. हमने उनसे मिन्नतें भी कीं कि कम से कम एक बार मेरे भाई से बात करवा दे, लेकिन उन्होंने कुछ भी नहीं किया. अब, हम यह भी नहीं जानते कि क्या हम कभी अपने भाई के साथ फिर से कभी मिल पाएंगे. मैं पूरी तरह से असहाय महसूस कर रहा हूं.”
मकसूद के लिए, अभियोजन पक्ष ने 5 जुलाई 2022 को अपना अंतिम निवेदन किया.
अपने बयान में, लड़के ने कहा कि वह दौड़ते हुए और अपनी बकरियों को खोजते हुए नियंत्रण रेखा पार कर गया, और जब सेना ने उसे गिरफ्तार किया तब जाकर उसे पता चला कि वह दूसरे क्षेत्र में है.
उसकी रिहाई आदेश के मुताबिक, उस पर लगे आरोप साबित नहीं हो सके और उसे सभी आरोपों से बरी कर दिया गया.
कपूर कहते हैं, “वह नियंत्रण रेखा के बारे में नही जानता था, और न ही उसे पार करने से रोकने के लिए कोई अधिकारी वहां था. बाड़ न होने के कारण वह दूसरे क्षेत्र में आ गया. वह नाबालिग है और पूरी तरह से निर्दोष है. इसके अलावा, वह एक छात्र है और उसकी शिक्षा को रुके हुए एक साल से अधिक समय हो गया है.”
लगभग दो साल निगरानी गृह में बिताने वाले अनवर का हाल भी कुछ ऐसा ही है.
कपूर कहते हैं, “हमें असमद की रिहाई पर काम करते हुए अनवर के मामले के बारे में भी पता चला. उसे भी दोषी ठहराया गया था लेकिन जून 2021 में उसकी रिहाई का आदेश दे दिया गया था. लेकिन इसके बावजूद वह अभी भी बंद हैं. लगभग दो साल हो गए हैं जब से हम अधिकारियों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं. मैं पाकिस्तान में उसके परिवार के नियमित संपर्क में रहता हूं और वे बेहद असहाय हैं.”
(संपादनः ऋषभ राज)
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