नई दिल्ली: यह दोहराते हुए कि अगर जांच एजेंसी आरोपी की गिरफ्तारी के 180 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करने में विफल रहती है, तो आरोपी जमानत पाने का हकदार होता है, दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को तीन लोगों को जमानत दे दी, जिन्हें अल-कायदा इन दि इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) से जुड़े एक “आतंकी मॉड्यूल” का हिस्सा होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
पटियाला हाउस कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर ने सोमवार को झारखंड के रांची के रहने वाले उमर फारूक, हसन अंसारी और अरशद खान की रिहाई के आदेश दिए. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उन्हें 22 अगस्त पिछले साल राजस्थान के भिवाड़ी जिले से गिरफ्तार किया था. उन पर आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा होने और हथियारों की ट्रेनिंग लेने का आरोप था.
पिछले साल अगस्त में, दिल्ली पुलिस की विशेष आतंकवाद विरोधी इकाई ने झारखंड एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड के साथ मिलकर कथित तौर पर रांची के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. इश्तियाक अहमद द्वारा संचालित एक आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था. स्पेशल सेल ने 11 संदिग्धों को गिरफ्तार किया था, जिनमें इश्तियाक और भिवाड़ी से गिरफ्तार किए गए तीन आरोपी भी शामिल थे। गिरफ्तारी के बाद से सभी न्यायिक हिरासत में थे.
स्पेशल सेल ने सोमवार को 11 में से 8 आरोपियों, जिनमें इश्तियाक भी शामिल हैं, के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जबकि शाहबाज अंसारी नाम के एक अन्य आरोपी को इस साल जनवरी में गिरफ्तार किया गया था. पुलिस के पास अब भी उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए निर्धारित समय बचा है.
अदालत ने अपने आदेश में कहा, “यह स्वीकार किया जाता है कि आरोपी उमर फारूक, हसन अंसारी और अरशद खान को 22.08.2024 को गिरफ्तार किया गया था. 180 दिनों की वैधानिक अवधि बीतने के बावजूद, उनके खिलाफ अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है. विशेष लोक अभियोजक (Addl. PP) ने अदालत को बताया कि उनके खिलाफ जांच अभी भी लंबित है. मेरी राय में, जांच एजेंसी को आगे जांच जारी रखने से कोई रोक नहीं है, लेकिन वैधानिक अवधि समाप्त होने के बाद आरोपी व्यक्ति वैधानिक जमानत के हकदार हैं.”
इससे पहले, जांच एजेंसी ने इस साल जनवरी में शाहबाज अंसारी को गिरफ्तार किया था, जो अभी न्यायिक हिरासत में है.
स्पेशल सेल के सूत्रों के अनुसार, अब तक पर्याप्त सबूतों की कमी के कारण इन तीनों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया था, और उनके कथित आतंकी मॉड्यूल से जुड़े होने की जांच अभी पूरी नहीं हुई है.
वहीं, इस मामले में गिरफ्तार सभी आरोपियों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता अबू बक्र सब्बाक ने दिल्ली पुलिस से जवाबदेही की मांग की कि छह महीने तक जेल में रहने के बावजूद जांच एजेंसी के पास उनके खिलाफ कोई ठोस आरोप नहीं है.
“इन लोगों को राजस्थान के भिवाड़ी से इस आरोप में गिरफ्तार किया गया था कि वे एक कथित आतंकी मॉड्यूल के तहत हथियारों की ट्रेनिंग ले रहे थे. वे पिछले छह महीनों से जेल में हैं, और पुलिस अब तक उनके खिलाफ कोई ठोस आरोप नहीं लगा पाई है. इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए. उनके लिए जमानत एक बुनियादी न्याय है, जिसे हमने अब तक मांगा था,” सब्बाक ने दिप्रिंट से कहा.
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